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(GMT+08:00) 2006-05-18 09:37:54    
लो यांग शरह की लुंगमन गुफाओं का दौरा

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दोस्तो , लो यांग शहर का नाम आप ने कभी न कभी जरुर सुना होगा । क्योंकि जून 2003 वर्ष में भारत के पूर्व प्रधान मंत्री श्री वाजपेई जी चीन यात्रा के दौरान विशेष तौर पर लो यांग शहर की लुंगमन गुफाओं को देखने गये थे । आज के चीन का भ्रमण कार्यक्रम में हम आप को इसी लो यांग शहर की प्रसिद्ध लुंगमन गुफाओं और खिले हुए पियोनिया को दिखाने ले चलते हैं । प्राचीन लो यांग शहर मध्य चीन के हनान प्रांत में स्थित है और वह चीनी राष्ट्र की सभ्यता के उद्गगम स्थलों में से एक भी है । विशेषकर इस शहर की डेढ़ हजार पुरानी लुंगमन गुफाएं और दुर्लभ रंगीन लोयांग पियोनिया इस प्रांचीन ऐतिहासिक शहर की दो धरोहर मानी जाती हैं ।

दोस्तो , लो यांग शहर का नाम आप ने कभी न कभी जरुर सुना होगा । क्योंकि जून 2003 वर्ष में भारत के पूर्व प्रधान मंत्री श्री वाजपेई जी चीन यात्रा के दौरान विशेष तौर पर लो यांग शहर की लुंगमन गुफाओं को देखने गये थे । इसलिये उस समय हमारे कार्यक्रम में लो यांग शहर के बारे में काफी जानकारियां दी गयी थीं । आज के चीन का भ्रमण कार्यक्रम में हम आप को इसी लो यांग शहर की प्रसिद्ध लुंगमन गुफाओं और खिले हुए पियोनिया को दिखाने ले चलते हैं ।

प्राचीन लो यांग शहर मध्य चीन के हनान प्रांत में स्थित है और वह चीनी राष्ट्र की सभ्यता के उद्गगम स्थलों में से एक भी है । विशेषकर इस शहर की डेढ़ हजार पुरानी लुंगमन गुफाएं और दुर्लभ रंगीन लोयांग पियोनिया इस प्रांचीन ऐतिहासिक शहर की दो धरोहर मानी जाती हैं ।

लुंगमन गुफाएं दक्षिण लोयांग शहर से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं । यहां पर पूर्व व पश्चिम दिशा की ओर दो पर्वत आमने-सामने खड़े हुए दिखाई देते हैं , पर्वतों के बीच ईह नामक नदी कल-कल करते हुए आगे बहती है । इस नदी के स्वच्छ पानी में हरे-भरे पर्वतों की छायाएं स्पष्ट नजर आती हैं । इस क्षेत्र का मौसम भी साल भर बड़ा सुहावना रहता है । क्योंकि लो यांग शहर प्राचीन काल में कई राजवंशों की राजधानी रहा था इसलिए सुरक्षा के लिये शहर चारदीवारी से घिरा हुआ था । इस समय उक्त स्थल ठीक लोयांग शहर के प्रमुख गेट के सामने है । चीनी परम्परा के अनुसार राजा को ड्रेगन माना जाता है , इसलिये यह स्थल लुंगमन यानी ड्रेगन-गेट के नाम से जाना जाने लगा । लुंगमन यानी ड्रेगन-गेट के पूर्व व पश्चिम दोनों ओर स्थित एक किलोमीटर लम्बी खड़ी चट्टानों पर दो हजार तीन सौ से अधिक गुफाएं खोदी गयी हैं और इन गुफाओं में एक लाख से अधिक जीती जागती मूर्तियां तराशी गयी हैं । तो लुंगमन गुफाओं को देखने आने वाले पर्यटकों को स्वभावतः यही सवाल पूछना होगा कि किस ने और क्यों यहां पर इतनी अधिक सुंदर मूर्तियां बनायी हैं । इस के पीछे क्या कहानी छिपी हुई है ।

ईस्वी पांचवीं शताब्दी के अंत में चीन के उत्तर वेई राजवंश के राजा बौद्ध धर्म के अनुयायी थे । उस समय चीन में बौद्ध धर्म का बोलबाला था ,स्थानीय लोगों की मान्यता थी कि जितनी ज्यादा मूर्तियां बनायी जाएंगी , बुद्ध भगवान उतना अधिक एहसान करेंगे , इसलिये तत्कालीन पेइवेई राजवंश के राजा ने बड़े पैमाने पर गुफाएं खोदने और मूर्तियों को तराशने का निर्णय किया । पर उस समय लुंगमन को ही इस काम के लिए इसलिए चुना गया क्योंकि यहां पर चट्टान का पत्थर गुफा खोदने और मूर्ति बनाने के लिए बहुत बढ़िया है ।

लुंगमन गुफा समूह का निर्माण पूरा करने में चार सौ वर्ष से अधिक समय लगा था । इस दौरान पेइ वेई राजवंश और थांग राजवंश का काल बहुत महत्व का काल रहा है। ईस्वी चौथी से छठी शताब्दी तक का पेइ वेई राजवंश और सातवीं से दसवीं शताब्दी तक का थांग राजवंश चीन के इतिहास में सब से शक्तिशाली व ताकतवर माना जाता है। बौद्ध धर्म भी इसी काल में खूब प्रचलित था । इसलिये वर्तमान लुंगमन में सुरक्षित 90 प्रतिशत से अधिक गुफाएं इन्हीं दोनों राजवंश कालों में खोदी गयी हैं ।

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