
प्रिय दोस्तो ,आप को याद होगा कि पहले हम चीन का भ्रमण कार्यक्रम में पेइचिंग शहर से निकट स्थित एक केंद्र शासित शहर थ्येनचिन की हाइहो नदी के रमणीय प्राकृतिक सौंदर्य और प्रसिद्ध संस्कृति मंदिर का लुत्फ ही उठाया था , आज के इस कार्यक्रम में हम थ्येनचिन शहर के सांस्कृतिक अवशेषों और प्राचीन चीनी सांस्कृतिक पर्यावरण के बारे में जानकारी मालूम करेंगे । मित्रो , आप को इस चीन का भ्रमण कार्यक्रम में पता हुआ होगा कि
कोई छह सौ वर्ष पुराना सांस्कृतिक शहर थ्येनचिन चीन की राजधानी पेइचिंग शहर के दक्षिण भाग में सौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है , और कार द्वारा एक घंटे में ही थ्येनचिन शहर पहुंच सकता है । थ्येनचिन शहर एक सांस्कृतिक शहर के रुप में जाना जाता है । हम ने थ्येनचिन शहर के कई प्राचीन वास्तु शैलियों से युक्त भवनों में से एक वन म्याओ यानी संस्कृति मंदिर को देखा था । आज के इस कार्यक्रम में हम आप को वन म्याओ यानी संस्कृति मंदिर के बगल में स्थित 14 वीं शताब्दी के शुरू में निर्मित असाधारण इतिहास वाला थ्येनचिन घंटा भवन देखने ले चलते हैं । थ्येनचिन घंटा भवन अजायब घर की उप निदेशक सुश्री इन ह्वा ने हमारे संवाददाता को बताया कि इतिहास में इस घंटे भवन का दो बार निर्माण हुआ था। उन्हों ने कहा कि सन 1900 में आठ देशों की संयुक्त सेना द्वारा थ्येनचिन शहर पर आक्रमण किये जाने के बाद 1901 में थ्येनचिन शहर की शहरीय दीवार मजबूरी में नष्ट की गयी । उस समय यह घंटा भवन इतना क्षतिग्रस्त हो गया था कि उस का आधार मूलतः ढह गया । सन 1921 में इस घंटा भवन का पुनःर्निर्माण किया गया और इस ने पहले से भी अधिक आलीशान मूरत हासिल की । भवन की छत पर हरी खपरैल बिछायी गय़ी और अब इस की ऊंचाई भी पहले से अधिक है । पर नये चीन की स्थापना के बाद थ्येनचिन शहर के विकास के चलते सड़कें बहुत तंग थीं । सड़कों को विस्तृत करने के लिये सन 1952 में इस घंटा भवन को दुबारा तोड़ा गया । सन 2000 में थ्येनचिन शहर की राष्ट्रीय संस्कृति की अलग पहचान को प्रदर्शित करने के लिये फिर उसी स्थल पर घंटा भवन का पुनर्निर्माण किया गया ।
अभी जो घंटा भवन देखने को मिलता है , वह 2000 में निर्मित हुआ है । यह नवनिर्मित घंटा भवन पुराने आकार-प्रकार के आधार पर ही निर्मित है , पर उस में नया आधार जोड़ कर पहले की तीन मंजिलों को बढ़ाकर पांच मंजिलों तक पहुंचा दिया गया है । और तो और पहले इस घंटा भवन पर लटकाया गया महा घंटा लौहे से तैयार हुआ था , पर आज का घंटा तीन टन भारी तांबे से बना हुआ है , पर्यटक यहां आकर अपनी इच्छा से इस महा घंटे को पीट सकते हैं और उस की प्रभावित करने वाली भारी आवाज को सुन सकते हैं ।
प्रिय श्रोताओ , वन म्याओ यानी संस्कृति मंदिर और घंटा भवन का दौरा करने के बाद अब हम क्वांगतुंग सोसायटी भवन देखने चलते हैं ।
थ्येनचिन का क्वांगतुंग सोसायटी भवन का आंगन चीनी परम्परागत ऊंची चारदीवारी से घिरा हुआ है , उस का मुख्य गेट भी बहुत बड़ा है । दक्षिण चीन की क्वांगतुंग प्रातीय वास्तु कला युक्त यह प्राचीन भवन थ्येनचिन शहर में बसने आये क्वांगतुंग वासियों के परिश्रम व मेहनत से सिंचित हुआ है । करीब तीन सौ वर्षों से पहले दक्षिण चीन के क्वांगतुंग व फूच्येन प्रांतों के व्यापारी साथ मिलकर व्यापार के लिये उत्तर चीन के थ्येनचिन शहर आये थे । समय बीतने के साथ-साथ इन व्यापारियों ने पैसे जुटाकर इस भवन का निर्माण किया , ताकि सौदा करने , दोस्तों से मिलने और गरीब प्रांतीय बंधुओं को सहायता देने और बंधुओं के बीच उत्पन्न विवादों को सुलझाने के लिये एक निश्चित स्थल मिल सके ।
इस भवन में स्थापित औपेरा थिएटर सब से ध्यानाकर्षक है और वह आज की दुनिया में सुरक्षित कुछेक चीनी प्राचीन वास्तु शैली वाले औपेरा थिएटरों में से एक है । लकड़ी से निर्मित सात आठ सौ दर्शकों की क्षमता वाले इस थिएटर का ऊपरी भाग तीन प्रमुख लकड़ी के खंभों और बेशुमार पतली लकड़ियों से तैयार हुआ है । थ्येनचिन औपेरा संग्रहालय की उप प्रधान सुश्री शू मेह मेह ने इस का परिचय देते हुए कहा कि कहा जाता है कि इस थिएटर के ऊपरी भाग में लगे तीन प्रमुख लकड़ी के खंभे विशेष तौर पर दक्षिण चीन से लाये गये थे । इतना सीधा बड़ा खंभा बनाने के लिये कम से कम चालीस पचास मीटर ऊंचे पेड़ की जरूरत थी , यह सचमुच कमाल की बात है ।
सुश्री श्यू ने आगे कहा कि इस औपेरा थिएटर की डिजाइन भी अपने ढंग की है जोकि मंच की तीनों तरफ खुली हुई हैं। दर्शक पूर्वी , पश्चिमी और उत्तरी तीनों तरफ से औपेरा देख सकते हैं , साथ ही दर्शकों और कलाकारों को आपस में अपनी भावनाओं का आदान-प्रदान करने में कोई बाधा महसूस नहीं होती । एक फ्रांसीसी पर्यटक ने क्वांगतुंग बंधु सोसायटी के औपेरा थिएटर को देखने के बाद उस की विशेष डिजाइन की खूब तारीफ की ।
अच्छा श्रोताओ , चीन में यह कहावत प्रचलित है कि सौ बार सुनने से कहीं बेहतर है एक नजर डालना । यदि बाद में आप थ्येनचिन शहर घूमने आयें , तो थ्येनचिन के वन म्याओ यानी संस्कृति मंदिर , घंटा भवन और क्वांगतुंग बंधु सोसायटी भवन को देखना मत भूलियेगा ।
|