चीन और ब्राजील द्वारा संयुक्त रूप से विकसित भू-संसाधन उपग्रह का व्यापक इस्तेमाल किया जा रहा है । यह उपग्रह चीन तथा दूसरे देशों के लिए भूमि की जांच , विकास तथा प्रयोग करने के संदर्भ में सेवा प्रदान कर रहा है । उपग्रह द्वारा प्रस्तुत आंकड़े आर्थिक निर्माण के बहुत से पहलुओं में उपयोगी व मूल्यवान साबित हुए हैं ।
भू-संसाधन उपग्रह का इस्तेमाल भूमि पर या इस के नीचे छिपे प्राकृतिक संसाधनों का सर्वेक्षण तथा अनुसंधान करने में किया जाता है । इस उपग्रह के जरिये भूमि के नीचे मौजूद भौगोलिक संरचनाओं तथा खनिज पदार्थों का पता लगाया जा सकता है । ऐसे उपग्रह का जंगल, समुद्र, वायु तथा प्राकृतिक विपत्तियों का निरीक्षण करने में प्रयोग किया जा सकता है । चीन और ब्राजील दोनों संसाधन समृद्ध देश हैं। सन 1990 के दशक से दोनों देशों ने संयुक्त रूप से भू-संसाधन उपग्रह का अनुसंधान और उत्पादन शुरू किया था। वर्ष 1999 में चीन-ब्राजील नम्बर एक भू-संसाधन उपग्रह को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया । चार साल बाद इस उपग्रह का स्थान चीन-ब्राजील नम्बर दो भू-संसाधन उपग्रह ने ले लिया , जो वर्तमान में अंतरिक्ष में काम कर रहा है । चीन स्थित ब्राजील के राजदूत श्री मोटेरियो ने कहा , भू-संसाधन के सहयोग से चीन और ब्राजील दोनों देशों को भू-संसाधन उपग्रह से जुड़ी चोटी वाली तकनीक प्राप्त हो सकती है । इस तरह दोनों देशों की वातावरण-संरक्षण तथा प्राकृतिक विपत्तियों का मुकाबला करने की क्षमता भी बढ़ी है । भू-संसाधन उपग्रह अनेक संदर्भ में काम कर सकता है और वह हम दोनों देशों के विकास के लिए महत्वपूर्ण है ।
चीन ब्राजील नम्बर दो भू-संसाधन उपग्रह दिन भर पृथ्वी का सर्वेक्षण कर सकता है,और वह तीव्र गति से आंकड़े भेजने की व्यवस्था के जरिये उपयोगी आंकड़ों को भू-स्टेशन तक वापस भेजता है । इन आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद आवश्यक चित्र तथा दूसरी उपयोगी जानकारी में बदला जा सकता है । चीनी संसाधन उपग्रह प्रयोग केंद्र के प्रधान श्री क्वो च्यैन नींग ने कहा कि चीन ब्राजील नम्बर एक भू-संसाधन उपग्रह की तुलना में नम्बर दो की गुणवत्ता बहुत बेहतर है , जो ग्राहकों के लिए निरंतर निश्चित आंकड़े प्रदान कर सकता है ।
चीन ब्राजील नम्बर दो भू-संसाधन उपग्रह की तुलना में नम्बर की क्षमता बहुत सुधरी है । चित्र खींचने की इस की क्षमता काफी उन्नत हो गयी है । उपग्रह के द्वारा भेजे गये आंकड़ों के प्रयोग की क्षमता में भी साल दर साल सुधार हुआ है । अब चीन के सभी प्रांतों व शहरों में चीन ब्राजील भू-संसाधन उपग्रह द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों का प्रयोग किया जा रहा है । पता चला है कि वर्तमान में चीन ब्राजील भू-संसाधन उपग्रह द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों का , कृषि , वनस्पति, जलीय परियोजना आदि अनेक संदर्भों में प्रयोग किया जा रहा है , और इस से उल्लेखनीय लाभ भी हुआ है । मिसाल के लिए चीन ब्राजील भू-संसाधन उपग्रह अब पैदावार क्षेत्रफल की जांच करने , उपज की उत्पादन मात्रा का सर्वेक्षण व अनुमान करने आदि संदर्भों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है । उत्तरी चीन के शानसी प्रांत के दूर-संवेदी केंद्र के प्रधान श्री ली वन-क ने कहा कि पिछले छह सालों में उन्हों ने कृषि के विकास में संसाधन उपग्रह द्वारा प्रस्तुत बड़ी मात्रा वाले आंकड़ों का इस्तेमाल किया है ।
चीन ब्राजील भू-संसाधन उपग्रह द्वारा भेजे गये आंकड़े फ्रांस और अमेरिका के वैसे उपग्रहों की तुलना में अधिक सस्ते और सुनिश्चित हैं । हम पृथ्वी की सतह पर समय पर इस उपग्रह के आंकड़े प्राप्त कर सकते हैं , और इस उपग्रह की समाधान करने की शक्ति भी कृषि के विकास के अनुकूल है । इस के अतिरिक्त चीन ने चीन ब्राजील भू-संसाधन उपग्रह के आंकड़ों के जरिये विश्व के जल व मिट्टी संसाधन के निरीक्षण कार्यों में भाग लिया है । कुछ साल पहले संयुक्त राष्ट्र संघ की एशिया व प्रशांत महासागर आर्थिक व सामाजिक परिषद ने सूखे व अर्द्ध-सूखे इलाके में जल मिट्टी संसाधन के संश्रित प्रबंध शीर्षक योजना लागू करना शुरू किया , जिसका मकसद सूखे क्षेत्रों के देशों में सूखे का मुकाबला करने वाली क्षमता को उन्नत करना है । चीनी विज्ञान अकादमी के दूर-संवेदी प्रयोग अनुसंधानशाला के अनुसंधानक्रता श्री वांग चांग चाओ ने बताया कि इस योजना में चीन के सिवा जनवादी कोरिया , मंगोलिया, कज्जाकिस्तान, उज़बेकिस्तान और पाकिस्तान आदि ने भी भाग लिया था। योजना में शरीक हुए हर देश ने अपना एक प्रयोग इलाका पेश किया । चीन का प्रयोग इलाका देश के पश्चिम में स्थित सिंच्यांग स्वायत्त प्रदेश के शि-ह-चि में स्थित था । तत्काल में चीन ने चीन ब्राजील भू-संसाधन उपग्रह के आंकड़ों के सहारे मिट्टी प्रयोग के बंटवारे तथा चित्रों के बंटवारे का अनुसंधान किया । इस कार्य में प्राप्त प्रगति को व्यापक प्रशंसा मिली है ।
कृषि व वनरोपण के सरकारी विभागों को उपयोगी आंकड़े मुहैया करवाने के साथ-साथ चीन ब्राजील भू-संसाधन उपग्रह को प्राकृतिक विपदाओं का निरीक्षण करने तथा शहर निर्माण की रूपरेखा के संदर्भ में भी उल्लेखनीय प्रगतियां प्राप्त हो चुकी हैं । मिसाल के लिए वर्ष 2004 के जून में चीन-भारत सीमा पर स्थित पारीछू नदी पर भू-स्खलन होने के कारण , इस नदी के नीचे के क्षेत्रों में रहने वाले भारतीय गांव वासियों को बाढ़ के खतरे की बहुत आशंका हुई । चीन सरकार ने चीन ब्राजील भू-संसाधन उपग्रह द्वारा भेजे गये आंकड़ों के जरिये पारीछू नदी पर बनी नयी झील का लगातार सर्वेक्षण किया । श्री वेइ छंग च्ये , जिन्हों ने इस झील के सर्वेक्षण में भाग लिया था , ने बताया कि चीन ब्राजील भू-संसाधन उपग्रह के आंकड़ों ने चीन और भारत के बीच बाढ़ विरोधी सहयोग के लिए महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है ।
हम ने चीन ब्राजील नम्बर दो भू-संसाधन उपग्रह के आंकड़ों के सहारे पारीछू नदी पर बनी झील का निरंतर निरीक्षण किया , और संबंधित विभागों को सात विपदा रिपोर्टें भेजीं । और इस झील से बाढ़ आने की पल-पल की खूब जानकारियां प्रदान कीं । चीन ब्राजील नम्बर दो भू-संसाधन उपग्रह की मदद से चीन ने वर्ष 2005 में हुए हिन्द महासागर सुनामी का पूर्ण रूप से विश्लेषण किया और अपनी अनुसंधान उपलब्धियां सुनामी ग्रस्त देशों को प्रदान कीं । चीनी संसाधन उपग्रह प्रयोग केंद्र के प्रधान श्री क्वो चैन नींग के अनुसार चीन ब्राजील भू-संसाधन उपग्रह का अधिक प्रयोग करने के लिए गत वर्ष से देश भर में इस उपग्रह के आंकड़ों का मुफ्त में वितरण किया जाने लगा है। साथ ही चीन ने मलेशिया , वियतनाम और ईरान आदि देशों को संसाधन उपग्रह के उपयोगी आंकड़े प्रदान किये हैं। श्री क्वो के अनुसार अब विश्व में चीन ब्राजील भू-संसाधन उपग्रह की बढ़िया क्षमता पर अधिकाधिक ध्यान आकर्षित हुआ है ।
अब विश्व में चीन ब्राजील भू-संसाधन उपग्रह द्वारा भेजे गये आंकड़ों में बड़ी दिल्चस्पी पैदा होने लगी है । चीन ने ऑस्ट्रेलिया , कैनेडा और नोर्वे आदि देशों के साथ उपग्रह के आंकड़ों के उपयोग और बंटवारे संबंधी प्रयोग शुरू किया है । पिछले 3 सालों में चीन ब्राजील भू-संसाधन उपग्रहों की परिक्रमा अच्छी रही है , और इस की सेवा क्षमता भी काफी सुधरी है । चीन और ब्राजील द्वारा संयुक्त रूप से विकसित भू-संसाधन उपग्रहों से प्राप्त सूचना सामग्री का इस्तेमाल कृषि , जंगलात , जल संरक्षण के अतिरिक्त शहरों की रूपरेखा बनाने , मानचित्र बनाने और प्राकृतिक विपत्तियों का पूर्वानुमान आदि व्यापक क्षेत्रों में किया जा रहा है । यहां यह भी चर्चित है कि चीनी वन विभाग ने भू-संसाधन उपग्रह से प्राप्त सूचना के जरिये तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के दूरस्थ लीन-ची इलाके के जंगलों का सर्वेक्षण किया है। इस काम के एक प्रभारी ने कहा कि भू-संसाधन उपग्रह के जरिये हम तिब्बत के सीमांत व दूरस्थ क्षेत्रों का पूर्ण सर्वेक्षण कर पाये हैं और मूल्यवान सूचना हासिल कर सके हैं। इस ने हमें भविष्य में ऐसे उपग्रह के इस्तेमाल का अनुभव भी दिया । नम्बर एक भू-संसाधन उपग्रह के लघु जीवन को ध्यान में रखते हुए चीन और ब्राजील ने नम्बर दो उपग्रह के प्रक्षेपण का निर्णय लिया । इस श्रृंखला के नम्बर तीन और चार भू-संसाधन उपग्रहों का अनुसंधान भी चल रहा है । भावी उपग्रहों का तकनीकी स्तर नम्बर एक की तुलना में बहुत उन्नत बताया गया है।
रिपोर्ट है कि चीन और ब्राजील नम्बर 3 और नम्बर 4 भू-संसाधन उपग्रहों का अनुंसधान कर रहे हैं । इन दो उपग्रहों की गुणवत्ता तथा आंकड़े भेजने की क्षमता में स्पष्ट छलांग नजर आएगी और उस के इस्तेमाल करने की संभावना भी बहुत बढ़ जाएगी ।
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