रोरकेला उड़ीसा के आकिब निहाल खान ने हमें लिख कर कहा कि सी .आर .आई प्रोग्रामों में समाचार की कावराज बहुत लाजवाब है , लगभग तीस मिनटों के समाचार और रिपोर्टें सुन कर पूरे विश्व की स्टीक जानकारी मिल जाती है । भारत पर भी खास ध्यान दिया जाता है और प्रोग्रामों में भी कुछ नयापन हर दिन सुनने को मिलता है । आज का तिब्बत सब से अच्छा प्रोग्राम है , इस के लगभग सभी अंक मैं सुनता हूं । अप्रैल में प्रोग्राम आप से मिले में आजमी साहब से मुलाकात रोचक लगी ,उन्हों ने चीन की बहुत सी जानकारी दी हैं , उन से बातचीत से हमें लाभ मिलेगा । चीन का भ्रमण सुना , ज्ञान में वृद्धि हुई , पिछले अंकों से चीन के सुन्दर दृश्यों की जानकारी सुन कर दिल खुश हो जाता है , आज के प्रोग्राम में उत्तरी पश्चिमी चीन के छिंग हाई इलाके की सैर कराई गई । बौध धर्म के बारे में बताया गया । तथा वहां स्थित पगोडा मठ की भी जानकारी दी गई । पगोडा मठ के इतिहास बताया गया , लगभग सभी कार्यक्रम ठीक से चल रहे हैं . खेल के समाचार मुझे काफी पसंद है ।
आकिब निहाल खान ने हमें लिखे पत्र में यह सुझाव दिया है कि जब फ्रिक्वीन्सी बदली गई , तब से प्रोग्राम साफ सुनाई नहीं पड़ रहे हैं , कृपया अपनी फ्रिक्वीन्सी ठीक बनाएं । आकिब निहाल खान जी , मौसम के बदलने के साथ सी .आर .आई के हिन्दी प्रसारण में एक दो फ्रिक्वीन्सी बदली जाती है , ताकि प्रसारण साफ साफ श्रोताओं तक पहुंच सके । लेकिन हमारे प्रसारण की मुख्य फ्रिक्वीन्सी नहीं बदली जाती है , जैसा कि हर सभा के 41 , 31 , 30 , 25 मीटरबैंड बहुत कम बदली जाती है । आप इन मीटरों पर सुनने की कोशिश करें , सुविधा होगी ।
आकिब निहाल खान हमारा पुराना नियमित श्रोता है , उन की अब यह शिकायत भी आयी है कि इधर के समय में उन के पत्र कम कार्यक्रम में शामिल किए गए हैं और नए श्रोताओं के ख्याल से पुराने श्रोताओं को हम भूल जाते हैं । आकिब निहाल खान जी , आप हमारी कोशिशों से जान सकते हैं कि हम नए और पुराने श्रोता दोनों को अपना सगे भाई बहन समझते हैं और हमेशा उन की मांगों को पूरा करने की कोशिश करते हैं , हां , पत्रों को कार्यक्रम में शामिल करने के लिए कभी इस के ज्यादा ले गए और कभी उस के ज्यादा ले लिए गए । पर इस का यह अर्थ नहीं है कि हम दूसरे पक्ष की उपेक्षा करते हैं , क्योंकि पत्र आने के समय के कारण कभी इस के ले लिया या कभी उस के । वास्तव में हम श्रोताओं के सभी पत्रों को महत्वपूर्ण समझते हैं । कृपया आप नाराज न जाएं ।
आप के नए पत्रों के इंतजार में हैं ।
कोआथ बिहार के मनोज कुमार गुप्ता हमें लिख कर कहा कि हमें सी .आर.आई से प्रसारित कार्यक्रम सभी अच्छे लगता है . उन सभी कार्यक्रमों में से आप का पत्र मिला नम्बर वन है । जो हम श्रोताओं का नए है या पुराने ,उन के पत्र शामिल होता है । तथा पत्र पढ कर स्वागत कराया जाता है । उन का हम तक पत्र मिला , इस कार्यक्रम को हम बहुत पसंद करते हैं । इस कार्यक्रम में हम श्रोताओं का पत्र शामिल कर हो , इस से बढ़ कर और क्या खुशी हो सकती है ।
मनोज कुमार गुप्ता ने पत्र के साथ जो गजल भेजा है , पसंद आया , वह यहां प्रस्तुत हैः
गुल से क्यों मुहब्बत है , तितलियां समझती है ।
मां के दिल में क्या गम है , बेटियां समझती हैं ।
रूखसती की शहनाई गूंजती है , आंगन में ।
दुल्हनों के आंसू को सहेलियां समझती है ।
तोड़ कर मसलते हो , नर्म नर्म फुलों को ,
दर्द किस को कहते हैं , डालियां समझती है ।
घर में एक जवां बेवा कौन उस का दुख जानें ,
वाम व दर समझते हैं , खिड़कियां समझती है ।
मर घरों में आती है , रोज एक नई दुल्हन ,
किस तरह जली होगी , अर्थियां समझती है ।
कौन मर गया होगा कौन हो गया घायल,
ये तो हर फसादों में गोलियां समझती है ।
मुफलिसों की बस्ती से दूर क्यों उजाले हैं ,
झोपड़ों में घुटती हुई सिसकियां समझती हैं ।
अब मिलेंगे वो मनोज चाहतों की मंजिल में
फासले बताते हैं , दूरियां समझती है ।

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