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(GMT+08:00) 2006-05-08 12:28:00    
मशहूर चीनी अभिनेता थांग क्वो छयांग

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आज से लगभग तीस साल पहले थांग क्वो छयांग चीनी फिल्मी दुनिया में बहुत प्रसिद्ध थे, और एक बार जब उन्होंने फिल्मों को अलविदा कहा तो लगभग दस सालों तक किसी फिल्म में काम नहीं किया। लेकिन पिछले दिनों एक बार वे फिर सक्रिय हुए हैं और अभिनय की कुछ और ऊंचाईयों को उन्होंने छुआ है।

53वर्षीय थांग क्वो छयांग केवल देखने में खूबसूरत और बुद्धिमान हीं नहीं बल्कि एक परिपक्व व्यक्तित्व के स्वामी भी हैं। तीस साल पहले उन्होंने अपनी पहली फिल्म-दक्षिण सागर का एक जवान सैनिक- में काम किया था। 1979 में थांग क्वा छवांग ने फिल्म –श्याओ ह्वा –फिल्म में काम किया जिस ने उन के आने वाले सारे जीवन को बदल दिया।यह फिल्म एक युद्धकालीन जीवन पर आधारित फिल्म थी जिस में थांग क्वो छयांग ने एक जवान सैनिक की भूमिका की थी। उन के गठीले, खूबसूरत शरीर और चेहरे ने चीनी दर्शकों का मन मोह लिया और उन के अनेक दीवाने बन गये। इस के बाद एक दूसरी फिल्म मोर राजकुमारी में मुख्य पात्र के रूप में ताईताजि के राजकुमार की भूमिका में वे दिखाई दिये। फिल्म में ताई जाति के राजकुमार और मोर राजकुमारी के बीच गहरा प्रेम हो जाता है,लेकिन उन के मिलन के रास्ते में बहुत कठिनाईंयां हैं। वे दोंनों उन सब कठिनाईयों को दूर करके मिलते हैं और एक साथ सुखमय जीवन बिताते हैं। इस खूबसूरत प्रेम कहानी में मुख्य पात्र की भूमिका में थांग क्वो छयांग ने एक बार फिर दर्शकों का मन मोह लिया।प्रथम मनीला अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में इस फिल्म को विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया गया। अभिनेता के रूप में अपने शुरू के समय की चर्चा करते हुए थांग क्वो छयांग ने कहाः

उन दिनों फिल्मों में निर्देशक या फोटोग्राफर के विचार दिखाये जाते थे, अपने कम।

थांग क्वो छयांग का विचार था कि उन का कला जीवन जारी रहेगा लेकिन दर्शकों ने उन्हें जल्द ही किनारे कर दिया। दरअसल उन्ही दिनों एक जापानी फिल्म"कीमी हो फुनमें नो कावा ओ वातारे"चीन में प्रदर्शित हुई थी और उस फिल्म के मुख्य पात्र कन ताकाकुरा ने दर्शकों को बहुत प्रभावित किया था। उन दिनों चीन में विदेशी फिल्में कम आती थीं इसलिये जापानी फिल्म का नशा दर्शकों के सिर चढ कर बोला।इस नशे में वे थांग क्वा छयांग को भी भूल गये।उन के विचार में थांग क्वा छयांग एक ऐसा खूबसूरत अभिनेता था जिसे अभिनय नहीं आता था। यहां तक कि निर्देशक भी ऐसा ही सोचने लगे थे। कहने की जरूरत नहीं कि निर्देशकों और दर्शकों का विचार गलत था।

गत शताब्दी के अस्सी वाले दशक में थांग क्वो छयांग एक फिल्म –पहाडॉ की तलहटी में फूलमाला-में काम करना चाहता था। यह फिल्म एक युद्ध फिल्म थी जिस में चीनी सैनिकों की वीरता का गुणगान किया गया था।लेकिन फिल्म के निर्देशक ने यह कह कर उसे काम नहीं दिया कि वह तो एक चाकलेट हीरो है जिसे अभिनय नहीं आता। आप अंदाजा लगा सकते हैं, थांग को यह बात सुन कर कितना दुख हुआ होगा। इस फिल्म में काम नहीं करने का दुख थांग को आज तक सालता है। बावजूद इन घटनाओं के थांग ने अपना आत्मविश्वास कभी नहीं छोड़ा। इस बाबत बात करते हुए उन्होंने कहा

अगर किसी अभिनेता ने कभी जीवन में मुश्किलों का सामना नहीं किया तो वह अभिनेता दुख की भावना नहीं दिखा सकता।मेरा विचार है कि मुश्किलों ने मुझे लाभ ही पहुंचाया है।

वास्तव में थांग मुश्किलों के दिनों में कुछ और काम करना चाहता था, इसलिये उन्होंने मशहूर फिल्म निर्देशक श्ये चिन से बात की। श्ये चिन ने थांग से कहा कि वास्तव में तुम एक बहुत अच्छे अभिनेता हो और तुम्हें हिम्मत नहीं खोनी चाहिये। निर्देशक श्ये चिन की बातों से प्रेरणा पा कर थांग ने अपना अभिनय जारी रखा। तीस वर्ष की उमर् में थांग ने चीनी फिल्म कालिज में पढना शुरु किया, और एक विधा के रुप में फिल्म का गहरा अध्ययन किया। लेकिन दस सालों तक वे कभी चीनी दर्शकों के सामने नहीं आए। लगता है दर्शक भी उन्हें भूल गये।