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(GMT+08:00) 2006-05-08 12:19:33    
चीन में कितने प्रकार के आम पाए जाते हैं? क्या ओजोन छिद्र भरने में ढिलाई आयी हैं?

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आज के इस कार्यक्रम में मऊनाथ भंजन उत्तर प्रदेश के परवेज अहमद,शादाब आलम,ताहिर आलम,अब्दुल हकीम,शमशीर अनवर, जयपुर राजस्थान के श्रोता राकेश शर्मा के पत्र शामिल हैं।

मऊनाथ भंजन उत्तरप्रदेश के परवेज अहमद,शादाब आलम,ताहिर आलम,अब्दुल हकीम,

शमशीर अनवर ने अपने पत्र में पूछा है कि चीन में कितने प्रकार के आम पाए जाते हैं?सब से अच्छा आम कौन सा माना जाता है?क्या चीन अपने आम दूसरे देशों को भी भेजता है?

दोस्तों, चीन में आम की किस्में बहुत कम हैं और उस की पैदावार भी ज्यादा नहीं हैं। भारत में जो आम पाए जाते हैं, उनमें से अधिकांश का चीन में नामोनिशान तक नहीं है। चीन में सिर्फ क्वानशी और हाईनान दो प्रातों में आम पाया जाता है और उसकी 2-3किस्में ही हैं, पर सभी उतने मीठे नहीं होते ,जितने भारतीय आम होते हैं। चीन भारत के उत्तर में स्थित है, सो उस का मौसम भारत से ठंडा है। ठंडी जलवायु आम को रास नहीं आती। क्वानशी और हाईनान चीन के दक्षिणी सीमांत क्षेत्र हैं, जहां का सदाबहार मौसम थोड़ा गर्म होता है, और बड़ी मात्रा में वर्षा होती है। इस वजह से वहां पैदा होने वाले आम में मिठास बहुत कम होती है। बड़े होने के बावजूद वे खाने में अच्छे नहीं लगते। इसलिए चीनी लोग बाजार में उस की जगह सेब, अंगूर, तरबूज-खरबूजे, संतरे जैसे साधारण फल खरीदना पसंद करते हैं।

उल्लेखनीय है कि लगभग एक वर्ष पहले चीन और भारत के बीच आम के आयात-निर्यात का समझौता हुआ। इस के तहत भारत हर साल चीन को अपने श्रेष्ठ किस्मों के आम का निर्यात करता है। समझौता होने से एक साल पहले हुई एक बात की याद आज भी ताजा है। हुआ यह कि भारतीय कृषि मंत्रालय ने चीनियों में भारतीय आम की लोकप्रियता पर सर्वेक्षण के लिए पेइचिंग और शांघाई को एक-एक टन आम पहुंचाए। पेइचिंग स्थित भारतीय दूतावास और शांघाई स्थित भारतीय कांसुलेट के प्रबंधन में ये आम दोनों शहरों के प्रमुख सुपरमार्केटों में रखे गए। ग्राहकों को आम खरीदने से पहले उन्हें चखने की अनुमति दी गयी। फलस्वरूप कोई ऐसा ग्राहक नहीं रहा, जिस ने चखने के बाद आम न खरीदना चाहा हो। पर अफसोस इस बात का है कि आम इतने कम थे, कि ग्राहकों की मांग पूरी करना कोसों दूर रहा। कुछ ग्राहकों ने भारतीय दूतावास और भारतीय कांसुलेट को फोन कर और अधिक मात्रा में भारतीय आम चीन पहुंचाने का अनुरोध तक किया।

सर्वविदित है कि आम को कच्चा इस्तेमाल करें या पक्का यह हर तरह से गुणों की खान होता है।चीनी लोगों को पका और मीठा आम बेहद पसन्द है।

जयपुर राजस्थान के श्रोता राकेश शर्मा ने पूछा है कि क्या ओजोन छिद्र भरने में ढिलाई आयी हैं और क्या अंतरिक्ष में शल्य चिकित्सा हो सकती है?

लगता है कि राकेश शर्मा जी की आधुनिक विज्ञान में खासी दिलचस्पी है। ओजोन छिद्र भरने के बारे में हम सिर्फ इतना बता सकते हैं कि वैज्ञानिकों का मानना है कि ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले रसायनों का उत्सर्जन अनुमान से अधिक होने की आशंका के कारण अंटार्टिक क्षेत्र में 2065 के पहले ओजोन छिद्र नहीं भर सकेगा। ओजोन ऊपरी वायुमंडल में नुकसानदेह पराबैंगनी किरणों को रोकती है और वैज्ञानिकों का पहले अनुमान था कि भारी मात्रा में रसायनों का उत्सर्जन न हो तो ओजोन परत में हुआ छिद्र स्वयं भर जाएगा।

अब हम अंतरिक्ष में शल्य-चिकित्सा के बारे में राकेश शर्मा के सवाल का जवाब देंगे।

कह सकते हैं कि धरती छोड़ अंतरिक्ष में पहुंचना आम आदमी के लिए सुखद कल्पना हो सकती है, मगर अंतरिक्ष प्रवास सौ समस्य़ाएं लिये हुए है। मसलन अगर अंतरिक्ष में कोई शल्य-चिकित्सा करनी पड़ जाए,तो भला डॉक्टर कहां से आएगा?इस समस्या का समाधान निकालने के लिए हाल में एक विदेशी विश्वविद्यालय ने एक ऐसा छोटा कंप्यूटर तैयार किया,जिसे अंतरिक्ष यात्री अपने साथ ले जाएंगे और उसका किसी भी प्रकार की शल्य -चिकित्सा के लिए प्रयोग करेंगे। रोचक बात यह है कि इस कंप्यूटर का संचालन धरती पर बैठे चिकित्सकों द्वारा किया जाएगा। इस के लिए शोधकर्ताओं द्वारा लिपस्टिक के आकार का एक रोबोट तैयार किया गया है, जो पूरी तरह से आधुनिक उपकरणों से लैस है। इस रोबोट के निर्माता लिमिटरी के अनुसार यह रोबोट मल्टीपल कंप्यूटर कंट्रोल्ड है यानी पूरी तरह कंप्यूटरीकृत है। इस का नियंत्रण धरती पर बैठे चिकित्सकों के पास रहेगा और उस के सहारे यह शरीर की विभिन्न आंतरिक टूट-फूट को सुधार सकेगा। इस दिशा में अभी बडे पैमाने पर परीक्षण जारी हैं।

ध्यान रहे कि यह रोबोट एक विशिष्ट कैमरे से सुसज्जित है, जिस की मदद से धरती से विभिन्न शारीरिक अंगों की गतिविधियों को देखा जा सकेगा। यही नहीं, वैज्ञानिक तो यहां तक आशावान हैं कि अंतरिक्ष में होने वाली शल्य-चिकित्सा मनुष्य के हाथों द्वारा की जाने वाली सर्जरी से बेहतर होगी। यह रोबोट धरती पर अंतरिक्षयात्रियों के आंतरिक अंगों की फोटो भेजेंगे और उस के आधार पर चिकित्सा किया जाना संभव होगा। खबर यह भी है कि आने वाले दिनों में इस रोबोट का प्रयोग लड़ाई के मैदान में घायल सिपाहियों की चिकित्सा के लिए भी किया जा सकेगा।