चीनी राष्ट्राध्यक्ष हु चिनथाओ 29 तारीख को सऊदी अरब , मोरोक्को , नाइगिरिया तथा केन्या की राजकीय यात्रा समाप्त कर स्वदेश लौटे । अफ्रीका के इन चार देशों की यात्रा समाप्त होने की पूर्ववेला में श्री हु चिनथाओ के साथ यात्रा पर गए चीनी विदेश मंत्री श्री ली चाओ शिन ने चीनी संवाददाताओं से मौजूदा यात्रा के बारे में बातचीत की । बातचीत में श्री ली चाओ शिन ने बलपूर्वक कहा कि श्री हु चिनथाओ की मौजूदा यात्रा का परम्परागत मैत्री बढ़ाने , आपसी विश्वास गहरा करने तथा आपसी लाभ वाले सहयोग को विस्तृत करने का लक्ष्य प्राप्त हुआ है , जिस ने चीन और व्यापक अरब , अफ्रीकी तथा विकासशील देशों के साथ परस्पर लाभ वाले सहयोग के विकास में एक नया अध्याय जोड़ा है , यह परम्परागत दोस्ती के आधार पर नया आलम कायम करने और दीर्घकालीन रणनीतिक महत्व रखने वाली एक सफल यात्रा है ।
इस साल चीन और अरब व अफ्रीकी देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 50 वीं वर्षगांठ है । इस मौके से फायदा उठा कर चीनी राष्ट्राध्यक्ष हु चिन थाओ ने 22 अप्रैल से उपरोक्त चार देशों की राजकीय यात्रा शुरू की । यात्रा के दौरान उन्हों ने इन चार देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय संबंधों के विकास तथा समान दिलचस्पी वाले सवालों पर रायों का आदान प्रदान किया , नयी स्थिति में चीन और अरब व अफ्रीकी देशों के बीच संबंधों के विकास पर अहम भाषण दिए और विभिन्न जगतों के व्यक्तियों के साथ स्नेहपूर्ण बातचीत की । यात्रा के दौरान चीन और इन चार देशों के बीच 28 सहयोग समझातों पर हस्ताक्षर किए गए हैं , जो राजनीति , अर्थतंत्र , व्यापार , ऊर्जा , शिक्षा ,संस्कृति , स्वास्थ्य चिकित्सा तथा पर्यटन से जुड़े हुए हैं ।
श्री ली चाओ शिन ने कहा कि राष्ट्राध्यक्ष हु चिनथाओ की यात्रा के फलस्वरूप चीन और इन चार देशों में आपसी राजनीतिक विश्वास सुदृढ़ हुआ है और द्विपक्षीय संबंधों के स्तर की उन्नति हुई है । श्री हु चिनथाओ ने नई स्थिति में चीन व अरब तथा चीन व अफ्रीका के बीच राजनीतिक विश्वास, आर्थिक उदारता तथा अन्तरराष्ट्रीय मामलों में परस्पर मदद स्वरूपी रणनीतिक साझेदारी संबंधों के पूर्ण विकास का प्रस्ताव पेश किया , जिसे चार देशों के नेताओं से सहमति प्राप्त हुई है । मौजूदा यात्रा से चीन और चार देशों के व्यवहारिक सहयोग के नए तौर तरीके भी पेश किए गए और व्यवहारिक सहयोग का मजबूत विकास भी हुआ है। श्री हु चिनथाओ ने दोनों पक्षों के सहयोग के आगे विकास के बारे में अनेक अहम सुझाव पेश किए हैं , जिन का विभिन्न देशों की सरकारों और वाणिज्य जगतों ने जोशीला स्वागत किया । वे चाहते हैं कि अधिक से अधिक चीनी कारोबार उन के देशों में निवेश करने आएं । सऊदी अरब ने यह तीव्र उम्मीद की है कि वह चीन के साथ रणनीतिक व विश्वव्यापी आर्थिक साझेदारी संबंध कायम करेगा । चार देशों ने चीन द्वारा लम्बे अरसे से उन्हें दी गई सहायता के लिए चीन के प्रति आभार प्रकट किया । विश्व मीडिया ने कहा कि चीन का विकास मध्य पूर्व और अफ्रीका के आर्थिक विकास के लिए भारी मौका ला सकेगा ।
चीनी विदेश मंत्री ली चाओ शिन ने कहा कि श्री हु चिनथाओ की यात्रा से एक दूसरे से सीखने तथा सौहार्दपूर्ण दुनिया की स्थापना के लिए समान प्रयासों को बढ़ावा मिला है । चीनी राष्ट्राध्यक्ष ने यात्रा के दौरान उस पर बल दिया कि चीन और अरब व अफ्रीका की सभ्यताएं मानव इतिहास में प्राचीनतम सभ्यता हैं । तरह तरह के रूपों में बातचीत व आदान प्रदान के जरिए जनता की मैत्री व आपसी समझ बढ़ गयी है और 21 वीं शताब्दी के मानवीय समाज के विकास के लिए और बड़ा योगदान किया जाएगा । यात्रा के दौरान श्री हु चिनथाओ ने चीन के शांतिपूर्ण विकास के रास्ते , आपसी लाभ वाली खुली रणनीति तथा सामंजस्यपूर्ण विश्व की स्थापना के बारे में अवधारणाओं का गहरा व्याख्या किया , जिस से चीन की देश विदेश नीति के प्रति इन चार देशों के विभिन्न जगतों की समझ और गहरी हो गयी ।
श्री ली चाओ शिन ने कहा कि राष्ट्राध्यक्ष हु चिन थाओ की मौजूदा यात्रा ने चीन और चार देशों के समन्वय को भी बढ़ाया है और संयुक्क रूप से क्षेत्रीय शांति की रक्षा की है । अपनी यात्रा के दौरान श्री हु चिन थाओ ने कहा कि चीन व्यापक विकासशील देशों के साथ मिल कर संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों व उद्देश्यों की रक्षा करने को तैयार है , संयुक्त राष्ट्र संघ व अन्य अन्तरराष्ट्रीय संस्थाओं में सलाह मशविरे तथा सहयोग को सुदृढ़ करने की कोशिश करेगा तथा विकासशील देशों के समुचित अधिकारों व हितों की साझा रूप से रक्षा करेगा । श्री हु चिनथाओ ने मध्य पूर्व , इरानी नाभिकीय सवाल , इराक और सूडान जैसे सवालों पर चीन के रूखों पर प्रकाश डाला और कहा कि चीन संयुक्त रूप से स्वयं विकास बढ़ाने तथा खुद अफ्रीका सवालों को हल करने के अफ्रीकी देशों के प्रयासों का समर्थन करता है और अफ्रीकी संघ की प्रमुख भूमिका का समर्थन करता है । इन चार देशों ने अन्तरराष्ट्रीय मामलों में चीन के अहम स्थान का उच्च मूल्यांकन किया और माना कि चीन विश्व शांति व विकास की अहम शक्ति है और उन की आशा है कि चीन मध्य पूर्व और अफ्रीका के मामलों में और बड़ी भूमिका अदा करेगा ।
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