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(GMT+08:00) 2006-04-28 15:26:55    
मेहमान अन्दर आए

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जब सब से बड़ी बहिन मेहमानों के बैठने के लिए कुरसियां लाई, तो उस ने देखा कि उन सब के पूंछें हैं।
वह भयभीत हो उठी और बिना किसी से कुछ कहे चुपके से घर के बाहर चली गई।


जब दूसरी बहिन ने मेहमानों को पानी लाकर दिया, तो देखा कि उन के हाथों पर बड़े बड़े बाल हैं।

वह भी बहुत घबरा गई और अपनी अन्य बहिनों को आगाह किए बिना चुपचाप घर से बाहर चली गई।

तीसरी बहिन मेहमानों के पांव धोने के लिए चिलमची में पानी डाला। उस ने देखा कि उन के पैर बालों से ढके हुए हैं।

वह भी इतनी डरी कि बिना कुछ बोले चुपके से बाहर चली गई।

चौथी बहिन मेहमानों को खिलाने के लिए चावल की मीठि टिकियां बनाकर लाई।

उस ने देखा कि उस के मेहमानों ने हर टिकिया में अपने पंजे गड़ाकर दस छेद बना दिए।

डर के मारे उस बेचारी के हाथ से बाकी टिकियां फर्श पर गिर पड़ी।


सातों मेहमान कुरसी पर नहीं बैठे।

उन्होंने न तो पानी पिया, न अपने पैर धोए और न ही चावल की टिकियां खाईँ, बल्कि आगे बढकर लड़कियों से पूछा

क्या बात है? तुम लोग इतनी परेशान क्यों हो?

चौथी बहिन चिल्लाकर वहां से भागना चाहती थी, मगर उस की घिग्घी बंध गई। वह न तो कुछ बोल सकी और न वहां से भाग सकी। उस ने चावल की टिकियां फर्श से उठाकर मेज पर रख दीं।

फिर वह सूत कातने बैठ गई। इस के बाद सातों मेहमान अपनी अपनी कुरसी पर बैठ गए।

उन्होंने पानी पिया, अपने पैर धोए और टिकियां खानी शुरू कर दीं।