चीन का तिब्बत स्वायत्त प्रदेश विश्व छत कहलाने वाले तिब्बत पठार पर स्थित है। समुद्र की सतह से अधिक ऊंचा होने के कारण तिब्बत पठार पर कम औक्सिजन उपलब्ध होता है और सुर्य की किरण तेज़ होती है । विशेष भौगोलिक स्थिति की वजह से लम्बे अरसे से यहां के किसान व चरवाहे बड़ी संख्या में विभिन्न किस्मों के नेत्र रोग से पीड़ित रहते हैं, जिन में ज्यादा लोग मोतियाबिन्द से पीड़ित हैं, मोतियाबिन्द से इन तिब्बती किसानों व चरवाहों के उत्पादन व जीवन पर भारी असर पड़ता है । वर्ष 1993 में एक तिब्बती कोष ने तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में"ज्योति वापस परियोजना"नामक कार्यक्रम का आरंभ किया, जिस के तहत अब तक करीब बीस हज़ार मोतियाबिन्द पीड़ित लोग ओपरेशन के जरिए एक बार फिर इस प्रकाश की दुनिया में वापस आय चुके हैं । आज के इस कार्यक्रम में मैं आप को परिचय दूंगी इस"ज्योति वापस परियोजना"कार्यक्रम लागू करने वाले कोष यानी तिब्बत के विकास सहायता कोष की जानकारी ।
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा के केंद्र स्थित पोताला महल के पश्चिमी भाग में एक बहुत मामली सी दुमंजिला इमारत खड़ी हुई है । इमारत के द्वार पर एक छोटा सा नाम तख्त लगा हुआ है । अगर इस पर ध्यान नहीं देगा, तो लोगों को मुश्किल से पता चलेगा कि यहां तिब्बत का विकास सहायता कोष स्थित है । तिब्बत के विकास सहायता कोष के उप महा सचिव श्री न्गापो जिगय्वान ने इस कोष के बारे में जानकारी देते हुए कहाः
"तिब्बत के विकास सहायता कोष की स्थापना वर्ष 1987 के अप्रेल में हुई । कोष के संस्थापक स्वर्गीय दसवें पंचन लामा और चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की राष्ट्रीय समिति के वर्तमान उपाध्यक्ष नगापो अवांजिन्मे हैं ।"
श्री न्गापो जिगय्वान ने कहा कि तिब्बक के विकास सहायता कोष की स्थापना का मकसद तिब्बत में सामंजस्यपूर्ण समाज का निर्माण करना है । वह सरकार के साथ मिल कर चीन में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश तथा अन्य तिब्बती बहुल क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की सहायता प्रदान करने से तिब्बती लोगों के जीवन स्तर को उन्नत करता है । तिब्बत के विकास सहायता कोष ने अपनी स्थापना के बाद तिब्बत में बीस करोड़ य्वान की पूंजी लगाकर सांस्कृतिक व शैक्षिक क्षेत्र , स्वास्थ्य, गरीबी उन्मुलन, विज्ञान व तकनीक, आर्थिक विकास तथा पारिस्थितिकी संरक्षण आदि क्षेत्रों में 640 से ज्यादा परियोजनाएं चलायी हैं।
हमारे कार्यक्रम के शुरू में हम ने आप को जिस ज्योति वापस परियोजना के बारे में जानकारी दी, यह परियोजना तिब्बत के विकास सहायता कोष द्वारा कार्यान्वित सब से लम्बे समय से चली सब से प्रभावकारी और सब से स्वागत प्राप्त परियोजना है । इस योजना के कार्यांन्वयन की शुरूआती अवधि में मुख्य तौर पर विदेशी नेत्र रोग विशेषज्ञों से गठित चिकित्सा दल तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में आ कर मोतियाबिन्द पीड़ितों का ऑपरेशन करता था, और स्थानीय नेत्र डाक्टर सहायक के रूप में भाग लेते थे । इस की चर्चा में श्री न्गापो जिगय्वान ने कहाः
"वर्ष 1996 से वर्ष 1997 तक हम ने ज्योति वापस परियोजना के कार्यांन्वयन के दौरान बहुत से स्थानीय तिब्बती नेत्र डाक्टरों का प्रशिक्षण किया , जिस से उन्हों ने मोतियाबिन्द पीड़ितों को पुनः नेत्र की ज्योति वापस लौटाने की तकनीक पर महारत हासिल की है ।"
वर्ष 1997 से ही तिब्बत के विकास सहायता कोष की ज्योति वापस परियोजना में नेत्र रोग का ऑपरेशन स्थानीय तिब्बती नेत्र डाक्टर और विदेशी विशषज्ञों के साथ मिल कर करते हैं । तिब्बत के विकास सहायता कोष ने विदेशों के कोष संगठनों और देश के विभिन्न बड़े नेत्र अस्पतालों के साथ संयुक्त रूप से अनेक बार प्रशिक्षण कक्षाएं खोलीं । मोतियाबिन्द का ऑपरेशन मैक्रोस्कोप के जरिए किया जाता है , अनेक सालों के व्यवहारिक अमल के फलस्वरूप अब तिब्बत मोतियाबिन्द के ऑपरेशन के क्षेत्र में देश के उच्च तकनीक स्तर पर पहुंचा है । इस ज्योति वापस परियोजना के कार्यांन्वयन में तिब्बत के विकास सहायता कोष ने आठ करोड़ पचास लाख य्वान का अनुदान किया और करीब बीस हज़ार मोतियाबिन्द रोगियों का सफल ऑपरेशन करवाया।
श्री श्री न्गापो जिगय्वान ने कहाः
"तिब्बत में मोतियाबिन्द रोगियों का मुफ्त इलाज किया जाता है। इस परोपकारी कार्य से न सिर्फ़ नेत्र रोगियों को अंधेरी दुनिया से पिंड छुड़ा कर प्रकाश लौटाया जाता है , बल्कि उन के परिवारों , यहां तक कि क्षेत्रीय आर्थिक विकास के लिए भी अच्छी भूमिका निभायी जाती है । इस लिए इस परियोजना का स्थानीय किसान व चरवाहे खूब स्वागत करते हैं और विभिन्न स्तरीय सरकारों का समर्थन भी प्राप्त हुआ है ।"
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