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(GMT+08:00) 2006-04-24 14:41:15    
चीन में हिन्दी फ़िल्में हवाई अड्डे आदि

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आज के इस कार्यक्रम में रोहतास बिहार के हाशिम आजाद, सीतामढ़ी बिहार के मोहम्मद जहांगीर,मऊनाथ भंजन उत्तर प्रदेश के इर्शाद अहमद अंसारी के पत्र शामिल किए जा रहे हैं। रोहतास बिहार के हाशिम आजाद पूछते है कि क्या चीन में हिन्दी फ़िल्में दिखाई जाती हैं? चीन में कुल कितने फ़िल्मी हॉल हैं और उनमें कितने शो होते हैं ? सीतामढ़ी, बिहार के मोहम्मद जहांगीर ने भी इसी संदर्भ में सवाल किया है। जी हां, चीन में हिन्दी फिल्में दिखाई जाती रही हैं। पिछली शताब्दी के 70 वाले दशक के अंत में भारतीय हिन्दी फिल्में चीन में आनी शुरू हुईं।《आवारा》,《जमीन》,《कारवां》,《नूरी, 《शोले》और《लगान》तथा अन्य अनेक हिन्दी फिल्में, जिन के नाम हम नहीं बता सकते,चीनियों के दिलों में घर कर गयी हैं। उन की कहानी, अभिनेता और अभिनेत्रियों के अभिनय तथा नाच-गानों ने चीनी दर्शकों को काफी प्रभावित किया है। इधर के कुछ वर्षों में हिन्दी धारावाहिक भी चीनी टीवी चैनलों पर दिखाई देने लगे हैं। इस समय पेइचिंग टीवी चैनल पर《कोशिश एक आशा》नामक एक हिन्दी धारावाहिक दिखाया जा रहा है। खबर है कि इस से पहले इस धारावाहिक ने चीन के दूसरे बड़े शहर ऊहान में धूम मचायी है। वहां उस के दर्शकों की संख्या तब प्रसारित कार्यक्रमों की दर्शक संख्या के पायदान में सब से ऊपर रही है। उल्लेखनीय है कि हिन्दी फिल्मों का गीत-संगीत चीनियों को बहुत पसन्द है। वास्तव में यह गीत-संगीत इन फिल्मों की कहानी से ज्यादा चीनियों के सिर चढकर बोलता है। भारत की तुलना में चीन फिल्मोद्योग पिछड़ा है। संबंधित दस्तावजों के अनुसार इस समय चीन में करीब 5000 सिनेमाघर हैं जिन में से कोई 2000 आधुनिक सुविधाओं और डिजिटल साजोसामान से लैस हैं। पेइचिंग, शांघाई और क्वानचो जैसे महानगरों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के डिजिटल सिनेमा-घर भी हैं। पर अमरीका व यूरोपीय देशों के डिजिटल सिनेमा-घरों की तुलना में चीन के डिजिटल सिनेमा-घरों का आकार अपेक्षाकृत छोटा है। उन में से प्रत्येक के पास सिर्फ 3-4 हॉल हैं और हर आधे घंटे बाद एक शो होता है, जब कि अमरीका व यूरोपीय देशों के हरेक डिजिटल सिनेमा-घर में कम से कम 5-6 हॉल होते हैं और उन में प्रति 10 मिनट बाद एक नया शो होता है। चीनी राष्ट्रीय रेडियो, टीवी व फिल्म मंत्रालय के फिल्म प्रबंधन कार्यायल के उपनिदेशक ने बताया कि केंद्र सरकार ने आगामी 3 से 5 सालों के भीतर शहरी इलाके में 500 नए डिजिटल सिनेमाघर बनाने की योजना बनायी है। इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में जहां खाली जगहें ज्यादा हैं, लगभग 3000 डिजिटल सिनेमा-घर निर्मित किये जाएंगे। इस समय चीन के शहरी व देहाती इलाकों में परंपरागत साजोसामान से सुसज्जित जो सिनेमा-घर हैं, उन्हें डिजिटल सिनेमा-घरों के रूप में बदला जा रहा है। मऊ नाथ भंजन उत्तर प्रदेश के इर्शाद अहमद अंसारी का सवाल है कि चीन में कितने हवाई अड्डे हैं? सब से बडा हवाई अड्डा कौन सा है?कौन सा हवाई अड्डा सब से अधिक व्यस्त रहता है?चीन में कितने प्रशिक्षण हवाई केंद्र हैं और पायलट का कोर्स कितने वर्ष का होता है? इर्शाद अहमद अंसारी भाई,चीन में कितने हवाई अड्डे हैं, इसका सही आंकड़ा देना हमारे लिए संभव नहीं है, क्योंकि हम कहीं से भी संबंधित जानकारी हासिल नहीं कर सके। हमारा अंदाज है कि चीन के हर बड़े व मझौले शहर में कम से कम एक हवाई अड्डा है। पेइचिंग और शांघाई जैसे अंतर्राष्ट्रीय महानगरों में तो हवाई अड्डों की संख्या 2से 3 तीन तक है। सैनिक हवाई अड्डे को छोड़ पूरे चीन में नागरिक हवाई अड्डों की संख्या लगभग 290 है। पेइचिंग का राजधानी हवाई अड्डा चीन का सब से बडा और सब से व्यस्त हवाई अड्डा है। इस में दो मंजिलें हैं और सभी प्रबंध-व्यवस्था आधुनिक तकनीक व उपकरणों से होती है। मेरी दृष्टि से उस का आकार भारत के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से करीब तिगुना है। विश्व के लगभग सभी देशों की एयरलाइंसों के हवाई जहाज यहां आते-जाते हैं। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार अब प्रति माह औसतन 33 लाख यात्री इस हवाई अड्डे पर उतरते हैं या यहां से उड़ान भरते हैं। चीन में 7 प्रमुख प्रशिक्षण हवाई केंद्र हैं ,जो शानशी, क्वांगतुग,च्यांगसू,युननान,सिंगच्यांग, शानतुंग और सछ्वान में स्थित हैं। विमानों के आकार और तकनीकी स्तर के अनुसर पायलटों को 2 से 4 सालों का कोर्स करना होता है। कोर्स पूरा करने के बाद पायलट को व्यावहारिक काम के लिए एक साल का अभ्यास करना जरूरी होता है।