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(GMT+08:00) 2006-04-22 15:44:49    
श्री हु चिनथाओ ने अमरीका के येल विश्वविद्यालय में भाषण दिया

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अमरीका की यात्रा कर रहे चीनी राष्ट्राध्यक्ष हु चिनथाओ ने स्थानीय समय के अनुसार 21 तारीख को येल विश्वविद्यालय में भाषण दिया , अपने भाषण में उन्हों ने चीनी राष्ट्र की सभ्यता के विकासक्रम और समकालीन विकास की दृष्टि से चौतरफा रूप से वर्तमान समय में चीन के विकास की रणनीति और आगे बढ़ने की दिशा स्पष्ट कर दी , जिस का उद्देश्य अमरीकी जनता को और चतुर्मुखी व गहन रूप से चीन को समझने में मदद मिल सकना है ।

अमरीका के येल विश्वविद्यालय के सम्मानीय अतिथि भवन में करीब 600 येल शिक्षक और छात्र प्रतिनिधि के रूप में श्री हु चिन थाओ का भाषण सुनने के लिए आमंत्रित किए गए । अपने भाषण में श्री हु चिनथाओ ने सर्वप्रथम अपनी छात्रावस्था की याद करते हुए कहाः

यहां उपस्थित यौवन से तेजस्वी छात्रों से मिलने पर और अध्ययनशील वातावरण से प्रभावित हो कर मुझे आज से 40 साल पहले की अपनी सुन्दर छात्रावस्था की याद ताजा हो गयी । छात्रावस्था का हरेक लोग की पूरी जिन्दगी पर अहम प्रभाव पड़ता है । शिक्षकों द्वारा मुझे दी गई शिक्षा और सहपाठियों से मिली मदद आज तक भी मेरे लिए लाभदायक सिद्ध रही है । येल विश्वविद्यालय का लम्बा पुराना इतिहास है और अध्ययन शैली की ज्वलंट विशेषता है , उस की असाधारण अकादमिक उपलब्धियां पूरे विश्व में मशहूर हैं । यदि युग की धारा उलटी भी बह सकती , तो मैं आप लोगों में से एक बनना चाहता हूं ।

इस के बाद श्री हु चिनथाओ ने अपने भाषण में चीनी राष्ट्र की सभ्यता के विकास इतिहास का परिचय किया और चीन के समकालीन विकास की रणनीति तथा प्रशासन की अवधारणा का व्याख्यान किया । उन्हों ने कहाः

चीनी राष्ट्र की सभ्यता विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में से कभी नहीं टूटी और निरंतर 5000 सालों से विकसित होती चली आयी सभ्यता है । चीनी राष्ट्र के लम्बे पुराने विकास इतिहास के दौरान अपनी अलग विशेष सांस्कृतिक परम्परा संपन्न हुई है , जिस से प्राचीन चीन गहरा प्रभावित हुआ था और आज भी गहरा प्रभावित हो रहा है । आधुनिक चीन मानत पर मूल महत्व देता है और युग के कदम से कदम मिला कर सामाजिक सुलह और शांतिपूर्ण विकास पर जोर देता है । इस का चीनी सभ्यता का गहरा और पुख्ता आधार है और आधुनिक विकास की प्रगतिशील भावना भी प्रतिबिंबित हुई है ।

चीन अमरीका संबंधों की चर्चा में श्री हु चिनथाओ ने बलपूर्वक कहा कि चीन और अमरिका के बीच अलग अलग ऐतिहासिक पृष्ठभूमि तथा वास्तविक राष्ट्रीय स्थिति की मौजूदगी के कारण भिन्नताएं नजर आयी हैं । यह दोनों के लिए एक दूसरे से सीखने तथा अपनी अपनी कमियों की भरपाई करने हेतु हितकारी है । चीन और अमरीका का सहयोग बढ़ाना दोनों देशों व दोनों जनता के मूल हित में है और वह विश्व शांति व विकास पर अहम प्रभाव डालेगा । श्री हु चिनथाओ ने कहाः

नयी स्थिति में चीन और अमरीका के सामने समान खतरे बढ़ गए हैं और सहयोग का दायरा विस्तृत हुआ है । विश्व शांति व सुरक्षा के सामने उभरे नए विषयों , खास कर अन्तरराष्ट्रीय आतंकवाद का विरोध करने , नरसंहारी शस्त्रों के प्रसार को रोकने , मानव अस्तित्व के वातावरण की रक्षा करने तथा अन्तरदेशीय अपराधों पर प्रहार करने से दोनों देशों के लिए समान रणनीतिक हित लाया गया है ।

श्री हु चिनथाओ ने कहा कि विचारधारा , समाज व्यवस्था तथा विकास फार्मुले की भिन्नता मानवीय सभ्यताओं के आदान प्रदान में बाधा नहीं होना चाहिए और आपसी मुकाबले के लिए सबब और नहीं होना चाहिए । विश्व की विविधता की सक्रिय रक्षा करते हुए विभिन्न सभ्यताओं में वार्तालाप व मेलमिलाप और परस्पर सीखने को बढावा देना चाहिए , ताकि मानव जाति सुलह और सुखमय रहे और विश्व और विविधतापूर्ण हो जाए।

श्री हु चिनथाओ के भाषण के बाद येल विश्वविद्यालय के वैदेशिक मामला विभाग के सहायक सचिव डाक्टर जोर्ज.युसुफ ने हमारे संवाददाता से इंटरव्यू में कहा कि येल का चीन के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध 150 साल पुराना है , राष्ट्राध्यक्ष हु चिनथाओ की मौजूदा यात्रा येल के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है और दोनों के द्विपक्षीय संबंधों के इतिहास में एक मील का पत्थर है । उन्हों ने कहाः

हमें राष्ट्राध्यक्ष हु के भाषण में बड़ी रूचि हुई है ,उन्हों ने अमरीका चीन संबंधों , विश्व के राजनीतिक आर्थिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती अहम भूमिका पर प्रकाश डाला । श्री युसुफ ने कहा कि चीन के साथ मैत्री के विकास तथा चीन को समझने के लिए बेहतर तरीका चीन के साथ संपर्क करना और आपस में आदान प्रदान करना है उन्हों ने कहा कि हमें विश्वास है कि आपसी आदान प्रदान द्विपक्षीय संबंधों के विकास को बढ़ाने का सब से कारगर तरीका है ।