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(GMT+08:00) 2006-04-21 15:36:00    
सात बहिनें

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किसी पर्वत पर सात भेडिए रहा करते थे।

एक रात जबकि आकाश में अनगिनत तारे छिटके हुए थे और चांद नहीं निकला था, उन सातों भेड़ियों ने सात नौजवानों का रूप धारण किया और वे आहार की तलाश में पर्वत के नीचे उतर गए।

पर्वत के दूसरे छोर पर सात लड़कियां रहा करती थीं, जो अपना ज्यादातर समय घर पर सूत कातने में बिताती थीं। खाना खोजते खोजते वे सात भेड़िए उन लड़कियों के घर के सामने जा पहुंचे।

उन्होंने दरवाजे की दरारों से झांककर सात लड़कियों को अन्दर बैठे देखा और दरवाजे पर दस्तक दी।

उन लड़कियों ने भी अन्दर से झांककर इन अपरिचित चेहरों को देखा और दरवाजा खोलने की उन की हिम्मत न हुई। तब वे भेड़िए बाहर से चिल्लाए

" हमें खाना चाहिए। हम अपने आहार के लिए किसी गाय को ढूंढने निकले थे, किन्तु रास्ता भटक गए। क्या हम लोग आज आप के यहां ठहर सरते हैं"

बहिनों ने उत्तर दिया

" हमारे मां-बाप बाहर गए हुए हैं, इसलिए आपको अपने यहां ठहराने में हमें असुविधा होगी। कृपया किसी दूसरे के घर जाकर ठहर जाइए "

" ठीक है, हम पूरी रात यहां नहीं ठहरेंगे, केवल थोड़ी देर बैठकर आराम करेंगे, फिर चले जाएंगे।

इसमें तो कोई एतराज नहीं है आप को " भेड़ियों ने कहा।

सात बहिनों ने यह सुनकर दरवाजा खोल दिया और अपने मेहमानों को अन्दर बुला लिया।