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(GMT+08:00) 2006-04-19 15:27:58    
एड्स रोगियों को प्यार देने की अधिक आवश्यकता है

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अब चीन में लगभग 76 हजार ऐसे बच्चे हैं जिन के मां या बाप को एड्स रोग होने के कारण इन्हें अनाथ होना पड़ा । इन बच्चों को पूरी तरह स्वस्थ होने के बावजूद स्कूल या दूसरी जगहों में भेदभाव से ग्रस्त होना पड़ता है । इस स्थिति को बदलने के लिए चीन सरकार तथा कुछ सामाजिक दल और संगठन कुछ सकारात्मक कोशिशें कर रहे हैं । उन का मकसद लोगों को यह महसूस करवाना है कि एड्स रोगियों तथा उन के रिश्तेदारों को प्यार देने की अधिक आवश्यकता है ।

कुछ समय पहले चीन की राजधानी पेइचिंग किशोर-क्लब में ऐसी एक कक्षा आयोजित की गयी जिस में पेइचिंग के दर्जन प्राइमरी स्कूलों से गये छात्रों और अध्यापकों ने भाग लिया ।

एक बार एक छात्र ने अपने गुरू जी से यह प्रश्न किया, किस हालत में एड्स का संक्रमण नहीं होता ? अध्यापक ने जवाब दिया , सामान्य संपर्क रखते समय एड्स का संक्रमण होने का खतरा नहीं है । पर छात्र का और एक सवाल था , कैसा संपर्क सामान्य संपर्क कहलाता है ? अध्यापक का जवाब था कि एक साथ खाना खाना , तैरना , हाथ मिलाना और यहां तक कि गले लगाना और चुम्बन आदि सब सामान्य संपर्क कहलाता है , जिससे एड्स का संक्रमण होने का खतरा नहीं है । अध्यापक की परिभाषा सुनने के बाद छात्रों को महसूस हो गया कि एड्स रोगी के साथ सामान्य तौर पर संपर्क रखते समय कोई खतरा नहीं है , इसलिए एड्स रोगी और उन के रिश्तेदारों के प्रति भेदभाव रखने के बजाय उन के प्रति अधिक प्यार और देखभाल जतानी चाहिये ।

उक्त दृश्य चीनी जन विश्वविद्यालय के अधीन प्राइमरी स्कूल के छात्रों व अध्यापकों द्वारा रचित एक लघु नाट्य का एक भाग है और इसका शीर्षक है – आशा । इस नाट्य की कहानी कुछ इस प्रकार है , एक लड़के के माता-पिता एड्स रोग के शिकार बने । माता-पिता के गुजर जाने के बाद लड़का अनाथ हो गया । बेघर और असहाय हो जाने के बावजूद लड़का एक प्राइमरी स्कूल में दाखिल हुआ । पर स्कूल में सहपाठियों ने उस का बहिष्कार किया । अध्यापकों से शिक्षा लेने के बाद छात्रों में एक नयीं जागृति पैदा हुई और सही विचार आया ,और अनाथ लड़का पुनः सामान्य परिवार में वापस लौट सका ।

पेइचिंग किशोर क्लब में प्रस्तुत यह नाट्य देखने के बाद बहुत से छात्रों पर गहरा असर पड़ा । बहुत से बच्चों ने नाट्य देखने के बाद एड्स रोगी और उन के रिश्तेदारों के प्रति अपना विचार बदल दिया । छात्रों ने कहा कि वे पहले एड्स रोगियों के अनाथ बच्चों के साथ बातचीत या खेलना नहीं चाहते थे , नाट्य देखने के बाद उनमें भारी बदलाव आया है।

अनाथ लड़के के माता पिता एड्स से चल बसे हैं । लड़का स्वस्थ है , पर अब वह असहाय है । मैं अपनी पूरी शक्ति से उन की मदद करना चाहूंगा । मैं उस के साथ खेलना चाहता हूं ।

चीन में एड्स रोगियों की संख्या में वृद्धि होने के साथ-साथ बहुत से बच्चे भी इस से ग्रस्त हैं । अब चीन में 76 हजार ऐसे बच्चे हैं , जिन के माता पिता में एक एड्स रोग से मर चुका है । ये बच्चे आम तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं और उन के परिवार भी गरीब हैं । शहरों में रहने वाले छात्रों को इन बेचारे बच्चों की स्थितियों की जानकारी नहीं है। शहरों में रहने वाले बच्चे आम तौर पर अमीर परिवारों में माता-पिता के प्यार व दुलार में रहते हैं । उन में दूसरों की कठिनाइयों के प्रति सहानुभूति दिखाने का विचार कम है । इसलिए एड्स रोगियों तथा उन के रिश्तेदारों को मदद देने के साथ-साथ समाज में सही शिक्षा देने की भी बड़ी आवश्यकता है ।

पेइचिंग परोपकारी कोष के कर्मचारी श्री वांग पींग ने कहा कि सरकार और समाज के विभिन्न तबकों ने अर्थतंत्र और शिक्षा के संदर्भ में एड्स रोग से ग्रस्त बच्चों की मदद करने का भरपूर प्रयास किया है । लेकिन ये बच्चे अपने सहपाठियों के भेदभाव और अन्य संक्रमण की वजह से अकेले पड़ने लगे हैं । इसलिए छात्रों में ऐसी शिक्षा दी जाने की आवशयकता है जिससे वे एड्स रोग से संबंधित जानकारियां हासिल करने के आधार पर एड्स से ग्रस्त बच्चों की अधिक मदद कर सकें ।

पेइचिंग में आयोजित प्रसारण गतिविधि का उद्देश्य यही है कि राजधानी में रह रहे छात्र, एड्स से ग्रस्त बच्चों की कठिनाइयों , मांग और आकांक्षा की जानकारी हासिल कर सकें और अपने मौजूदा वातावरण का मूल्य समझें और दूसरों को प्यार औऱ सहानुभूति दें । हमें एक साथ प्रयास करके एड्स रोगियों के अनाथों की मदद करनी चाहिये , उन के लिए बेहतरीन पर्यावरण तैयार करना चाहिये , तभी हम सामंजस्यपूर्ण समाज के निर्माण के लिए अपना प्यार और शक्ति प्रदान कर सकेंगे ।

वर्तमान में चीन के बहुत से प्राइमरी व मिडिल स्कूलों ने अपनी आंखें केवल छात्रों के अंकों पर रखने का तरीका बदलकर , छात्रों की विचारधारा पर अधिक ध्यान देना शुरू किया है । मिसाल के तौर पर कुछ स्कूलों में प्यार की भावना शीर्षक समारोह का आयोजन किया जाता है , कुछ ने गंभीर रोगों से ग्रस्त होने वालों के लिए चंदा एकत्र किया है , और कुछ ने विक्लांगों की मदद में स्वयंसेवा की है ।

चीनी जन विश्वविद्यालय के अधीन प्राइमरी स्कूल की कुलपति सुश्री जंग रे फांग ने कहा कि प्यार की भावना भरी शिक्षा का अधिकाधिक छात्र व उन के माता-पिता स्वागत कर रहे हैं । छात्रों को ऐसी गतिविधियों में भाग लेना पसंद है और उन्हें इन गतिविधियों में बहुत सी उपलब्धियां हासिल की हैं ।

ऐसी गतिविधियों में भाग लेने के बाद बच्चों को यह महसूस होने लगा है कि जब दूसरे कठिनाइयों में फंसे हों , तो उन की मदद की जानी चाहिये । इसलिए ऐसी शिक्षा से बच्चों में दिल में प्यार का बीज बोया गया है ।

12 वर्षीय लड़का आजुंग अब प्राइमरी स्कूल में पांचवीं कक्षा में पढ़ रहा है । कुछ साल पहले उस के पिता का एड्स रोग से देहांत हो गया । उस ने कहा कि वह अपनी मां को सहारा दे रहा है , वह अपनी मां से भी हाथ धो बैठना नहीं चाहता ।

मैं जरूर मेहनत से अध्ययन करूंगा और बाद में एक डॉक्टर बनूंगा , मैं सभी एड्स रोगियों का इलाज करूंगा। एड्स रोगियों के अनाथों के प्रदर्शन से गतिविधियों में भाग लेने वाले बच्चे बहुत प्रभावित हुए । उन्होंने एड्स रोगियों की मदद के लिए चंदा एकत्र करने का आन्दोलन शुरू किया । छात्रों ने यह आह्वान किया कि शहर में रहने वाले बच्चे अपनी बचत-गुल्लक में से पैसा निकालकर इन अनाथों के लिए पुस्तकें खरीदें । आह्वान के स्थल पर उपस्थितों का सक्रियता से अनुसरण किया गया । छात्रों ने कहा कि वे एड्स रोगियों के अनाथों को अधिक मदद देंगे और उन की कठिनाइयों को दूर करने के लिए अपना योगदान पेश करेंगे ।