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(GMT+08:00) 2006-04-17 12:31:14    
चीनी फिल्म निर्देशक मा ली वन की कहानी

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जैसा कि आप जानते ही हैं चीनी सिनेमा में महिला फिल्म निर्देशकों की संख्या बहुत कम रही है, लेकिन फिर भी उन्होंने उल्लेखनीय कार्य किया है। पुरुष निर्देशकों की तुलना में महिला फिल्म निर्देशक फिल्मी रचनाओं को अधिक कोमल भावनाओं से प्रस्तुत करती हैं। सुश्री मा ली वन ऐसी महिला फिल्म निर्देशकों में से एक हैं। आज के इस लेख में हम आप को इस युवा फिल्म निर्देशक की कहानी सुनाऐंगे ।

पैंतीस वर्षीय मा ली वन अपने काम में अपनी उम्र से ज्यादा परिपक्व दिखाई देती हैं। मा ली वन अपने काम के प्रति बहुत ईंमानदार हैं और वह चीनी फिल्म जगत में बहुत मशहूर हैं। पांच वर्षों के भीतर उन्होंने "संसार में मुझे सब से अधिक चाहने वाला चला गया"और"हम दोनों"दो फिल्में बनाईं , जिन में कम पूंजी लगायी जाने के बावजूद उन्हें बड़ी सफलता हासिल हुई । इन दो फिल्मों ने देश विदेश में पुरस्कार प्राप्त किए और दर्शकों की मान्यता भी हासिल की । ऐसी कामयाबी मिलना एक नयी महिला फिल्म निर्देशक के लिए आसान बात नहीं है । इस की चर्चा करते हुए सुश्री मा ली वन ने कहा

"मैंने दो फिल्मों का निर्माण किया और दर्शकों ने इन्हें सराहा । मुझे लगता है कि यह मेरे लिए एक सफलता है ।"

वर्ष2001 में मा ली वन ने"संसार में मुझे सब से अधिक चाहने वाला चला गया"फिल्म का निर्देशन किया । यह फिल्म मशहूर चीनी महिला लेखक चांग च्ये के इसी नाम के उपन्यास पर आधारित है । फिल्म की कहानी एक चालीस वर्षीय महिला लेखक के बारे में है , जिस ने अपने कामकाज में बड़ी सफलता प्राप्त की है । वह महिला लेखक 80 वर्ष से ज्यादा बूढ़ी अपनी मां को देखने के लिए अपने जन्म स्थान वापस लौटती है । अपनी बूढ़ी और कमजोर हो चुकी मां को देखकर वह डाक्टर से राय लेती है । डाक्टर उसे बताता है कि उस की मां को मस्तिष्क रोग है , इस लिए स्वस्थ रहने के लिए उसे शारीरिक अभ्यास करना जरूरी है । महिला लेखक अपनी मां की सहायता के लिए तरह-तरह के उपाय खोजती है और मां को शारीरिक अभ्यास के लिए प्रेरित करती है । लेकिन अंत में एक दिन सुबह मां का देहांत एक दौड़ का अभ्यास करने वाली ट्रेनिंग मशीन पर हो जाता है ।

यह एक बहुत प्रभावशाली फिल्म साबित हुई, जिस में मां और बेटी के बीच सच्चे व सहज प्यार को आम जीवन के संदर्भ में दर्शाया गया है । इस फिल्म को वर्ष 2002 में छठे चीनी छांग छुङ फिल्म उत्सव में सब से श्रेष्ठ कहानी, सब से श्रेष्ठ फिल्म निर्देशक और सब से श्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री तीन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया । इस के अलावा, इसे देश विदेश के 15 अन्य पुरस्कार भी हासिल हुए ।

फिल्म निर्देशक मा ली वन का जन्म दक्षिण चीन के च्यांग शी प्रांत में हुआ । गत शताब्दी के नब्बे वाले देशक में वे चीनी केंद्रीय ऑपेरा कॉलेज में अध्ययन के लिए राजधानी पेइचिंग आयीं । उस समय उन के लिए जीवन बहुत कठिनाइयों से भरा था । पेइचिंग में एक रिहायशी मकान ढूंढ़ने के लिए उन्हें साइकिल पर यहां-वहां भागना पड़ता था । बाद में मा ली वन ने पेइचिंग में सी ह य्वान नामक रिहायशी मकान में एक कमरा किराये पर लिया । सी ह य्वान पेइचिंग वासियों का पुराने जमाने का रिहायशी मकान है, जिस में कई परिवारों के लोग अलग-अलग कमरों में रहते हैं । मा ली वन की मकान मालिकन एक बूढ़ी महिला है, जो अकेले ही जीवन बिता रही है । इस कमरे में रहने के बाद मा ली वन और मकान मालिकन के बीच एक विशेष रिश्ता कायम हुआ और अनेक संजीदा कहानियां पैदा हुईं । वर्ष 2004 में बूढ़ी मकान मालिकन का निधन हो गया । मा ली वन यह खबर सुन कर बहुत दुखी हुई। बाद में मा ली वन ने बूढ़ी मकान मालिकन और उस के बीच के वास्तविक अनुभव व कहानियों को एक फिल्म के रूप में मूर्त किया , यही है "हम दोनों।

फिल्म"हम दोनों"की कहानी शुरू होती है राजधानी पेइचिंग के एक पुराने सी ह य्वान में रह रही एक अकेली बूढ़ी औरत से । एक दिन कॉलेज की एक छात्रा आ कर बूढ़ी औरत के सी ह य्वान के एक कमरे को किराये पर लेती है । धीरे-धीरे बूढ़ी औरत और कॉलेज की उस छात्रा के बीच कई घटनाएं घटती हैं और बूढ़ी महिला के नीरस जीवन में एक नयी हलचल शुरू होती है । दोनों के बीच छोटी-छोटी बातों को लेकर तकरार और झगड़ा भी होता है । लेकिन अंत में छात्रा बूढ़ी औरत के उस कमरे को छोड़ कर एक दूसरी जगह चली जाती है । तभी बूढ़ी औरत को लगता है कि उस के जीवन में अब और अकेलापन आ गया । कुछ समय बाद बूढ़ी औरत का पौत्र वहां आता है और सारे मकान पर कब्ज़ा कर अपनी दादी को जबरन गांव में पहुंचा देता है । गांव में रहने के थोड़े समय के बाद ही बूढ़ी औरत का देहांत हो जाता है । छात्रा इस खबर को पाकर बहुत दुखी होती है ।

कुछ समय पूर्व फिल्म"हम दोनों"को चीनी राष्ट्रीय स्वर्ण कुक्कट फिल्म उत्सव में सब से बेहतरीन निर्देशक व सब से बेहतरीन अभिनेत्री के पुरस्कार से सम्मानित किया गया । इस फिल्म ने अट्ठारहवें तोक्यो अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव में भी पुरस्कार हासिल किया। जापान के मिडिया के सात अधिकारिक फिल्मी टिप्पणीकारों के एक गैरसरकारी दल ने फिल्म"हम दोनों"का मूल्यांकन करते हुए उसे उच्च श्रेणी की फिल्म घोषित किया ।

निर्देशक सुश्री मा ली वन ने कहा कि फिल्म"हम दोनों" का सत्तानवे प्रतिशत वास्तविक जीवन पर आधारित है। यह कोई काल्पनिक कहानी नहीं है । सुश्री मा ली वन ने कहा

"फिल्म में मैंने वर्ष की चार ऋतुओं में जीवन में घटे ब्यौरों को दिखाया है । यह कहानी मेरी स्वयं की कहानी होने के बावजूद सिर्फ़ मेरी कहानी नहीं है । मेरा मकसद छोटी-छोटी बातों के जरिए बड़ी चीजें दिखाना रहा है । मेरा विचार है कि दो व्यक्तियों के बीच भावना के परिवर्तन को पकड़ना आसान बात नहीं है ।"