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(GMT+08:00) 2006-04-03 13:35:54    
विश्व की ओर बढ़ती चीनी फिल्म

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चीन में तेज आर्थिक विकास के चलते चीनी फिल्म उद्योग से भी विश्व का ध्यान आकृष्ट हुआ । वर्ष 2005 में विश्व के 20 से ज्यादा देशों व क्षेत्रों में चीनी फिल्मों की प्रदर्शनियां लगायी गयीं, विभिन्न किस्मों के अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सवों में एक सौ से ज्यादा चीनी फिल्मों की भागीदारी हुई, जिन में दर्जन चीनी फिल्मों ने अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सवों में पुरस्कार हासिल किये । इस तरह ज्यादा से ज्यादा विदेशी दर्शकों ने चीनी फिल्मों के जरिए चीनी समाज व संस्कृति की ज्यादा जानकारी हासिल की ।

गत शताब्दी के सत्तर वाले दशक के अंत में चीन में सुधार और खुले द्वार की नीति लागू की गयी, इस से प्रेरित हो कर चीनी फिल्म उद्योग का पुनरुत्थान व विकास होने लगा ।

चीनी फिल्म"पीली जमीन"की शुटिंग गत शताब्दी के अस्सी वाले दशक में हुई। इस समय चीन में सुधार और खुलेद्वार की नीति अभी-अभी लागू हुई थी। चीनी फिल्म जगत के व्यक्ति भी कला के नए आयाम की खोज करने लगे । "पीली जमीन" इन फिल्मों से एक है , जो फिल्म के परम्परागत रूपशैली से बिलकुल अलग तर्ज में दिखी है । फिल्म"पीली जमीन"में उत्तर पश्चिमी चीन के पीली मिट्टी के पठार की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि में वहां के किसानों की नए जीवन के प्रति जिज्ञासा व्यक्त हुई है । फिल्म में विशाल पीली ज़मीन, पीली नदि की उफनती बहती हुई जल लहरें और चीनी किसानों में प्रचलित शादी ब्याह की प्रथा आदि दृश्यों से चीनी जनत की परम्परागत रीति रिवाज़ दर्शाये गए हैं । फिल्म में पात्रों के दुखद भाग्य के सजीव चित्रण से चीनी दर्शकों को अपनी परम्परागत संस्कृति पर गहन रूप से सोचविचार व आत्मालोचना करने को बाध्य किया गया । फिल्म"पीली जमीन"ने अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सवों में तीन पुरस्कार हासिल किए। इस फिल्म के निर्देशक छङ खाई क और फोटोग्राफर चांग यी मो हैं, जो अब विश्वविख्यात चीनी फिल्म निर्देशक बन गए हैं । लेकिन उसी समय वे लोग फिल्म कॉलेज से अभी- अभी स्नातक हुए थे, उन्होंने अपनी नवन विचाराधारा व कला शैली से फिल्म की शूटिंग में सृजन किया । चीनी फिल्म निर्देशक श्री छङ खाई क ने कहाः 

"परम्परा का विरोध कर सृजन करना अवश्यक है । मेरा विचार है कि फिल्म शुटिंग बुनाई कसीदे के बराबर बारीकी और महीन होना चाहिए , इस में चीनियों की आद्मय आत्मा को बरकरार रखना सब से महत्वपूर्ण है ।"

विश्व में चीनी फिल्म उद्योग के प्रवेश की चर्चा केलिए चीनी फिल्म जगत के पांचवीं पीढ़ी के फिल्म निर्देशकों ने भारी योगदान किया । चीनी फिल्म कार्य के विकास के सौ वर्ष पुराने इतिहास में काल बंटवारे की दृष्टि से श्री चांग यी मो, छङ खाई क, थ्येन च्वांग च्वांग और ह्वांग च्येन शिंग आदि को पांचवीं पीढ़ी के फिल्म निर्देशक माने जाते हैं । ये लोग गत शताब्दी के अस्सी वाले दशक में पेइचिंग फिल्म कॉलेज से स्नातक हुए, जिन्हों ने फिल्म सिद्धांत के बारे में मजूत बुनियाद प्राप्त की है । उन्हों ने मुक्त और सृजनात्मक विचारधारा के आधार पर बीस से ज्यादा वर्षों में अनेक अच्छी प्रभावकारी फिल्मों की शूटिंग की, जो देश विदेश में व्यापक रूप से पसंद हुई हैं।

श्री चांग यी मो पांचवीं पीढी का प्रतिनिधित्व करने वाले चीनी फिल्म निर्देशक माने जाते हैं । फिल्म"पीली जमीन"की शूटिंग के बाद उन्हों ने फोटोग्राफ़री का काम छोड़ कर फिल्म निर्देशन का काम संभाला। वर्ष 1987 में श्री चांग यी मो ने अपनी प्रथम फिल्म"लाल बाजरा"की शूटिंग की, जिस ने चीन में असाधारण धूम मचाया था । इस फिल्म में एक सुन्दर प्रेम कहानी दिखायी गयी, फिल्म का दृश्य बहुत सुन्दर और मनोहर है और चीनी जातीय विशेषता से भरी हुई है । उसी वर्ष में"लाल बाजरा"बर्लिन फिल्म उत्सव में स्वर्ण पदक से सम्मानिक किया गया । वर्ष 1990 में श्री चांग यी मो द्वारा निर्देशित फिल्म"च्यू तो"को आस्कर फिल्म उत्सव में नामजद किया गया ,यह पहली बार था कि किसी चीनी फिल्म ने आस्कर पुरस्कार के लिए श्रेष्ठ विदेशी भाषी फिल्मों की सूची में शामिल किया गया । वर्ष 1991 में चांग यी मो की फिल्म"लाल लालटेन"ने विनिस अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव में रजत पदक हासिल किया । वर्ष 1992 में चांग यी मो की फिल्म"मुकदमे में छ्यो च्यू"ने विनिस फिल्म उत्सव में स्वर्ण पदक जीता और वर्ष 1994 में चांग यी मो की फिल्म"जिन्दा"फ्रांस के गार्ना फिल्म उत्सव में पुरस्कार भी हासिल किया । कहा जा सकता है कि फिल्म निर्देशक चांग यी मो गत शताब्दी के नब्बे वाले दशक में चीन के असाधारण सांस्कृतिक हस्ति थे । उन की फिल्मों में गहरी चीनी राष्ट्रीय सांस्कृतिक भावना होने के साथ बड़े जोश व उत्तेजना की भरमार है । पहले फोटोग्राफ़र के जीवन से प्रेरित हो कर फिल्म निर्देशक चांग यी मो ने फिल्मों में शुद्ध सौदर्य बौध की खोज की कोशिश करते हैं ।