चीन के सब से दक्षिणी प्रांत हेई नान प्रांत में एक वृद्ध रहते हैं। तीन वर्ष पहले, वे शहर से सुदूर गांव में अपने जन्मस्थान वापस लौटे। इस छोटे से गरीब गांव में उन के वापस आने के बाद बहुत परिवर्तन हुये। यह वृद्ध हाई नान प्रांत के भूतपूर्व गर्वनर छन सू हो हैं।
सुंग मेई गांव हाईनान प्रांत के लीनकाओ काऊंटी में नानपाओ कस्बा का एक सुदुर पहाड़ी गांव है। यहां लोग अकसर एक काला रंग वाले वृद्ध को देखते हैं। उन्हें हाथ में पानी की बोतल थामे गांव में घूमना पसंद है। यही हैं, छन सू हो। देखने में छन सू हो दूसरे किसानों की तरह ही दिखाई पड़ते हैं। गांव के अन्य 170 से ज्यादा किसान परिवारों की ही तरह, वे भी घर के सामने सब्जी की खेती करते हैं, जिस में गोभी, ककड़ी आदि 10 से ज्यादा किस्मों की सब्जियां उगाते हैं।
यह वृद्ध हाई नान प्रांत के सब से उच्च स्तरीय किसान हैं। वे सात वर्ष तक हाई नान प्रांत के उप गर्वनर का पद संभाले हुए थे, बाद में हाई नान प्रांत की राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के उप प्रधान भी रहे। उन्होंने क्रमशः दस से ज्यादा वर्षों तक उप गर्वनर का पद संभाला था। वर्ष 2003 में उन के सेवा-निवृत्त होने के बाद श्री छन सू हो अपनी पत्नी के साथ अपनी जन्मभूमि में वापस लौटे और पुनः किसान बनें। अपने विकल्प की चर्चा करते हुए श्री छन सू हो ने कहा, शहर में रहें या गांव में , परंतु यह मेरे जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। इतने वर्षों की कार्यवाइयों में चूंकि मैं अकसर किसानों के संपर्क में रहा,उन से बातचीत करता रहा , इसलिए, कृषि और किसानों के प्रति मेरी गहरी भावना है। हमें लगा कि गांव में वापस लौटने के बाद किसानों के साथ मिल-जुल कर रहना और उन्हें समझना मेरे लिए आसान होगा।
हाल में चीन में लगभग 1500 से ज्यादा श्री छन सू हो की ही तरह के सेवा-निवृत्त मंत्री स्तरीय वरिष्ठ कर्मचारी हैं, जोकि आमतौर पर बड़े शहरों में आराम से रहते हैं। उन्हें अच्छी चिकित्सा-सेवा व अन्य सुविधाएं मिली हुई हैं। श्री छन सू हो उन में से एक विशेष व्यक्ति हैं।
शुरु में श्री छन सू हो गांव से बाहर रहना चाहते थे और शांति से अपनी वृद्धावस्था का जीवन बिताना चाहते थे। लेकिन, जब वे मातृभूमि वापस लौटे, तो सुंग हाई गांव की हालत देख कर उन का विचार बदल गया । उन्होंने गांव को पिछड़ा हुआ पाया, बाहर की लड़कियां यहां के लड़कों से विवाह नहीं करना चाहती हैं।
मातृभूमि की स्थिति ने श्री छन सू हो के प्रारंभिक विचारों को बदला। उन के अनुसार, गरीब कस्बों ने गरीबी से छुटकारा नहीं पाया है।
पहले मैं कृषि का प्रबंध करने वाले उप गर्वनर था, और गरीबी उन्मूलन दफ्तर का सदस्य भी था। मुझे मातृभूमि को गरीबी से छुटकारा दिलाने और उसे धनी बनाने के लिए उपायों को ढूंढ़ना चाहिए।
श्री छन सू हो ने पता लगाया कि स्थानीय किसान परम्परागत अनाज उगाते हैं, चाहे उत्पादन क्षमता कितनी भी ऊंची हो, किसानों को आर्थिक लाभ नहीं मिलता है। आसपास के गांवों के किसान तो केला उगाने से समृद्ध बने हैं। वास्तव में सुंग मेई गांव कई हैक्टर केले का उत्पादन करता है, लेकिन, इस से लाभ नहीं हुआ।
नान पाओ कस्बे के उपाअध्यक्ष श्री वांग रू ने विश्लेषण करते हुए कहा कि इस गांव में अनाज को महत्व देने और आर्थिक रुप से लाभकारी फसल को नजरअंदाज करने की परम्परागत विचारधारा बहुत प्रचलित है। श्री वांग ने कहा, केला के उत्पादन व विकास से अनेक समस्याओं का हल किया जाना है। सब से प्रमुख सवाल यह है कि आम नागरिकों की विचारधारा की समस्या को अच्छी तरह हल किया जाना चाहिए।
किसानों की विचारधारा को बदलने के लिए श्री छन सू हो ने मेहनत की।
उन्होंने सर्वप्रथम किसानों को एकत्र करके बैठक बुलायी, और किसानों को साथ ले कर बाहर के केले के अड्डों का दौरा भी किया। सुंग मेई गांव के किसान श्री लिन माओ छीन ने कहा, हम श्री छन के प्रबंध में ल तु और तुडं फांग आदि काऊंटियों व शहरों के केला-उत्पादन केंद्रों पर गये। वापस लौटने के बाद, गांव कमेटी ने केला उगाने के लिए प्रेरित किया।
इस के बाद, श्री छन सू हो ने घर-घर जाकर किसानों को केला उगाने के लिए प्रोत्साहित किया और अंततः सात किसान परिवारों को संगठित कर केला सहयोग संघ की स्थापना भी की और खुद सहायक बने।
पूंजी समस्या का हल करने के लिए श्री छन सू हो ने तो अपनी प्रतिष्ठा से गारंटी देकर बैंकों से कर्ज लिया। किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण देने के लिए श्री छन सू हो ने हाई नान प्रांत के कृषि वैज्ञानिक अकादमी के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया और किसानों को प्रशिक्षण दिलाया। फसल होने के बाद, श्री छन सू हो ने किसानों को केला बेचने में भी मदद दी।
एक वर्ष के बाद, इन सात परिवारों के किसानों की आमदनी लगभघ 4 लाख चीनी व्यान तक जा पहुंची है । उन्होंने न केवल पहले 60 हजार चीनी व्यान का कर्ज वापस किया, बल्कि और 3 लाख से ज्यादा चीनी व्यान कमाये।
बैंक के प्रधान छन फंग चांग ने कहा, बैंक इस गांव के किसानों का पूर्ण समर्थन करता है और उन्हें कर्ज देता है।बैंक को किसानों पर विश्वास है।
इसी तरह, गांव का हर एक परिवार केला उगाता है, और मशहूर केला गांव बन चुका है।
केला उगाने से पहले इस गरीब गांव के किसानों की औसत आमदनी जितनी थी अब तीन वर्षों में उस से लगभग दोगुनी हो गयी है।
सुंग मेई गांव के किसान दिन ब दिन समृद्ध हो गये हैं। श्री छन सू हो ने किसानों का नेतृत्व करके उत्पादन व जीवन संरचनाओं को परिपक्व किया, पारिस्थितिकी सभ्यता गांव का निर्माण किया और कृषि बाजार , चिकित्सक स्थलों व संस्कृति खेल केंद्रों की स्थापना भी की। उस के बाद किसानों की जीवन-स्थिति में भारी परिवर्तन आया है।
किसानों ने कहा कि श्री छन सू हो गांव में वापस लौटकर किसान बनें और सुंग मेई गांव के किसानों ने शहरी नागरिकों का जीवन बिताना शुरु किया।
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