इस प्रथम राजमहल युंगपुलाखांग की प्रथम मंजिल पर एक बहुत सुंदर सूत्र-कक्ष में अवलोकितेश्वर और शाक्यमुनि की मूर्तियों की पूजा की जाती है । इस के अतिरिक्त कक्ष की चार दीवारों पर बेहद मूल्यवान भित्ति चित्र चित्रित हैं । इन भित्ति-चित्रों में तिब्बत के प्राचीन इतिहास का वर्णन किया गया है , जिन में तिब्बत के प्रथम राजा न्येचिचानपू से जुड़ी कहानी सब से चर्चित है । पहले थांग-राज्य की राजकुमारी वन-छंग इस राजमहल में रहती थी , बाद में ल्हासा का पोटाला महल बनवाया गया , तब राजकुमारी वन छंग पोटाला महल में स्थानांतरित हो गयीं , किंतु युंगपुलाखांग राजमहल उन के ग्रीष्मकालीन भवन के रूप में बना रहा ।
प्रिय मित्रो , हम इस चीन का भ्रमण कार्यक्रम में चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के बारे में कुछ बता चुके हैं । शायद आप तिब्बत के समृद्ध पर्यटन संसाधनों और इन संसाधनों से जुड़ी मर्मस्पर्शी कहानियों में ज्यादा रूचि लेते होंगे । मिसाल के लिये गले के सिंहासन पर बैठे बहादुर वीर राजा और सुंगचानकानपू राजा के साथ थांगराजवंश की राजकुमारी वन छंग की शादी के बारे में सुंदर किम्वदंतियां आज तक भी लोगों के जुबान पर हैं । तिब्बत के हिंडोला के नाम से प्रसिद्ध शाननांग क्षेत्र में स्थापित तिब्बत के प्रथम राजमहल युंगपुलाखांग की कहानी भी बेहद चर्चित है । हरेक तिब्बती निवासी इस प्राचीन राजमहल का परिचय इस तरह देता है कि युंगपुलाखांग-भवन तिब्बत में स्थापित सब से पुराना राजमहल है , करीब ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में तिब्बत के प्रथम राजा न्येचिचानपू के शासन काल में यह निर्मित हुआ था । पहले थांग-राज्य की राजकुमारी वन-छंग इस राजमहल में रहती थी , बाद में ल्हासा का पोटाला महल बनवाया गया , तब राजकुमारी वन छंग पोटाला महल में स्थानांतरित हो गयीं , किंतु युंगपुलाखांग राजमहल उन के ग्रीष्मकालीन भवन के रूप में बना रहा ।
इस प्रथम राजमहल युंगपुलाखांग की प्रथम मंजिल पर एक बहुत सुंदर सूत्र-कक्ष में अवलोकितेश्वर और शाक्यमुनि की मूर्तियों की पूजा की जाती है । इस के अतिरिक्त कक्ष की चार दीवारों पर बेहद मूल्यवान भित्ति चित्र चित्रित हैं । इन भित्ति-चित्रों में तिब्बत के प्राचीन इतिहास का वर्णन किया गया है , जिन में तिब्बत के प्रथम राजा न्येचिचानपू से जुड़ी कहानी सब से चर्चित है ।
भिक्षु लोसांगयुंतान का कहना है कि पांचवें दलाई के काल में युंगपुलाखांग महल ह्वांग यानी पीले धर्म के मठ के रूप में बदल गया था, बाद में बौद्ध सूत्रों का और अच्छी तरह अध्ययन करने के लिये गढ़ के ऊपर चार कोनों वालीं नुकीली छतें निर्मित हुईं , अब इन छतों के कुछ कमरे बहुत से उच्च स्तरीय भिक्षुओं द्वारा सूत्रों का अध्ययन करने की विशेष जगहें बन गयी हैं । भिक्षु लोसांगयुंगतान ने आगे कहा कि आजकल यहां 11 प्रसिद्ध उच्च स्तरीय भिक्षु बौद्ध सूत्रों पर शोध करने में संलग्न हैं , इस के अतिरिक्त विशेष तौर पर दलाई लामा के लिये एक शयन कक्ष भी सुरक्षित रखा गया है । प्रतिदिन हजारों स्थानीय अनुयायी और देशी विदेश पर्यटक यहां आते हैं ।
युंगपुलाखांग महल के प्रति शान्नान क्षेत्र के स्थानीय लोगों के बीच असाधारण भावना व्याप्त है । तिब्बत के शान्नान क्षेत्र के पर्यटन ब्यूरो के प्रधान छ्यो लिन ने कहा कि तिब्बत जाति के दिल में युंगपुलाखांग महल तिब्बती सभ्यता का प्रतीक है , समूचे तिब्बत पर इस महल का बड़ा प्रभाव है । युंगपुलाखान महल तिब्बत में सब से प्राचीन राजमहल के रुप में जाना जाता है , और उस का अलग स्थान भी बेहद उल्लेखनीय है । क्योंकि वह विशाल घास मैदानों से चरागाहों और चलते फिरते पशु पालन समाज से स्थिर कृषि समाज के रूप में बदलने का परिचायक है , बौद्ध धर्म की दृष्टि से युंगपुलाखांग महल शकुन का स्थल भी है ।
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