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(GMT+08:00) 2006-03-22 18:09:04    
विकलांग बच्चों के सुखद जीवन के लिए

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बड़ी जन संख्या वाले चीन में विकलांग बच्चों की संख्या भी कम नहीं है । चीन में स्कूली उम्र वाले स्वस्थ बच्चों को आम तौर पर अपने घर के नजदीकी स्कूलों में पढ़ने जाते हैं , लेकिन शरीर में अपाहिज होने के कारण विकलांग बच्चों को स्कूल जाने में बड़ी दिक्कत होती है । स्वस्थ बच्चों की भांति विकलांग बच्चों को अनिवार्य शिक्षा देने के लिए समाज की मदद की विशेष आवश्यकता है ।

चीनी विकलांग बच्चों का शिक्षा सवाल इन सालों में चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन के सदस्यों का एक ध्यानाकर्षक मामला बन गया । इस क्षेत्र में जन सलाहकार सम्मेलन की राष्ट्रीय कमेटी के सदस्य सुश्री चांग हाईती का प्रयास उल्लेखनीय है । उन्हों ने विकलांग बच्चों की विशेष शिक्षा को सामान्य स्कूलों में विकसित करने की परिकल्पना की और अपने इस सुझाव को सलाहकार सम्मेलन के वार्षिक अधिवेशन में प्रस्ताव स्वरूप पेश भी किया । उन का कहना है:विकलांग बच्चों को सामान्य स्कूलों में पढ़ने भेजने की परिकल्पना एक महत्वपूर्ण सुझाव है । विकलांग बच्चों को विशेष रूप से शिक्षा दी जानी चाहिए। लेकिन मेरे विचार में उन के लिए इस विशेष शिक्षा को स्वस्थ बच्चों के साथ सामान्य स्कूलों में चलाये जाने से ज्यादा लाभ होगा । स्वस्थ व विकलांग बच्चे एक क्लास में पढ़ेंगे , तो वे एक दूसरे की मदद कर सकते हैं । मैं इस प्रकार के शिक्षा तरीके का समर्थक हूं।

सुश्री चांग हाईती के इस विचार का सलाहकार सम्मेलन के सदस्य , शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत प्रोफेसर ह्वांग युनह ने समर्थन किया । वे कहते हैः मैं समझता हूं कि विकलांग बच्चों को उन की शारीरिक स्थिति के मुताबिक कुछ श्रेणियों में बांटा जाना चाहिए, जो बच्चे सामान्य स्कूलों में पढ़ने के काबिला हों , उन्हें यथासंभव स्वस्थ बच्चों के साथ पढ़ने का मौका देना चाहिए । इस प्रकार के शिक्षा प्रबंधन से विकलांग बच्चों के चरित्र विकास को खासा फायदा हासिल हो सकता है । स्वस्थ बच्चों के स्कूलों में पढ़ने का मौका मिलने से विकलांग बच्चों को यह अनुभव हो सकता है कि वे भी स्वस्थ बच्चों की ही तरह कुछ कर सकते हैं और उन का विश्वास बढ़ जा सकता है । यह उन के भावी चरित्र विकास के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है ।

परन्तु विकलांग बच्चों को स्वस्थ बच्चों के साथ एक समान वातावरण में पढ़ने देने का परिणाम क्या बेहतर होगा , ऐसी ही शंका भी सामने आयी है । इसी सवाल को ले कर हम पेइचिंग के पूर्वी डिस्ट्रिक्ट के एक सामान्य स्कूल आए।

तुंग क्वोफांग नाम का यह स्कूल पेइचिंग का सामान्य स्कूल है , लेकिन इस स्कूल में एक असामान्य छात्र भी पढ़ता है । वुन शिन नाम का यह छात्र मस्तिष्क पक्षघात से पीड़ित है । रोज सुबह वह जब स्कूल में आ पहुंचता है , तो वह जरूर स्पष्ट शब्दों में अध्यापकों और अन्य छात्रों का अभिवादन करते सुनाई देता है:नमस्ते अध्यापक , नमस्ते सहपाठी । वह अपनी पीठ पर एक बड़ा सा बस्ता लादे अस्थिर कदमों के साथ स्कूल परिसर में प्रवेश करता है , उसे सहारा देने बहुत से छात्र आगे बढ़ आए , तो वह जरूर यह कहता हैः धन्यावाद , मैं खुद चलता हूं । मस्तिष्ट लकवा पड़ने पर वुन शिन की बोली स्पष्ट नहीं है और हाथ पांव कांपता है । लेकिन शारीरिक कठिनाइयों के सामने वह कभी नहीं झुका , वह साहस के साथ बीमारी का मुकाबला करता है और दुख पीड़ा झेलते हुए इराज कराता रहा । उस के शरीर पर अनेक सुई उपचार के लिए लगाए गए हैं , पर उस ने कभी नहीं रोया। उसने कहा कि मैं दुख पीड़े से नहीं डरता हूं , मैं स्कूल जाना चाहता हूं।

मस्तिष्ट पक्षघात से पीड़ित बच्चे को तुंग क्वोती स्कूल दाखिले से इन्कार कर सकता है । किन्तु स्कूल के हैड मास्टर सुश्री ह सुछिन का अपना सोच विचार है । वे कहती हैः मैं चाहती हूं कि हमारे सभी बच्चे एक जैसे वातावरण में पल बढ़ सकते हैं और सभी बच्चों को स्नेही धूप से नहाने का अवसर देना चाहिए । विकलांग बच्चे वुनशिन को भी चरित्र विकास के लिए बेहतर और सामान्य वातावरण मिलना चाहिए । जब उस के मां बाप बड़ी उम्मीद लिए हमारे स्कूल आए थे और उन के एक पड़ोसी ने निस्वार्थ आर्थिक सहायता देने का वायदा दिया था , तो हमारे स्कूल के नेता और शिक्षक सभी बहुत प्रभावित हो गए , हम ने बिना हिचकिचाहट उसे अपने स्कूल में दाखिला दिया ।

विकलांग बच्चों को स्वस्थ बच्चों के साथ एक ही स्कूल में पढ़ने देने की यह कोशिश एक हिताकारी काम है । जन सलाहकार सम्मेलन की सदस्य सुश्री चांग हाईती ने कहाः स्वस्थ व विकलांग बच्चे एक साथ पढ़ते और दिन गुजारते हैं , तो स्वस्थ बच्चों के दिल में कठिनाइयों से पीड़ित सहपाठी को मदाद देने की सहानुभूति की भावना पैदा होती है और उन में विकलांगों को मदद देने का अच्छा चरित्र और गुणवता उत्पन्न होती है । यदि किसी स्कूल में विकलांग छात्र पढ़ता है , तो अध्यापक भी स्वस्थ बच्चों को दूसरों की मदद करने की शिक्षा देते हैं ,ताकि बच्चे दूसरों और समाज का ख्याल रखने की भावना पाएं ।

जब विकलांग छात्र वुन शिन तुंगक्वोती स्कूल में आया , तो स्कूल के छात्र इसी प्रकार का ही मदद करते हैं । वुन शिन के कुछ सहपाठियों ने कहा कि, मैं अकसर उसे वस्तु उठाने में मदद देता हूं । मैं उसे पाठ समझने में मदद देता हूं । मैं उसे पानी का बोतल और भोजन का बोक्स खोलने में हाथ बांटता हूं ।

वुन शिन के साथ पढ़ने और रहने के दौरान उस के सहपाठियों ने सचमुच ही दूसरों की मदद करने की भावना विकसित की है । साथ उन्हों ने वुन शिन से बहुत कुछ भी सीखे । उन्होंने कहा कि मैं समझता हूं कि वुनशिन बहुत दृढ़ संकल्प वाला छात्र है । किसी भी दिक्कत से भी वह नहीं डरता है। वह हमेशा खुश हुआ नजर आता है । वह मेरी भी मदद करता है ।

तुंग क्वोफान स्कूल के छात्रों के अनुभवों से यह जाहिर है कि स्वस्थ व विकलांग बच्चों के एक साथ पढ़ने व रहने से उन के सही जीवन दृष्टिकोण व मूल्य अवधारणा की उत्पति के लिए काफी लाभ मिल सकता है और उन में मेहनत व लगन की भावना पैदा हुई है। जन सलाहकार सम्मेलन के सदस्य श्री ह्वान युन ह ने कहाः स्वस्थ लोगों को विकलांगों की कठिनाइयां मालूम होना चाहिए । हमारे युवा लोग दूसरों की कठिनाइयां और दुख नहीं जानते हैं , उन्हें विकलांगों के बारे में ज्यादा जानकारी होनी चाहिए । विकलांगों के साथ पढ़ने व रहने से स्वस्थ बच्चों को भी मुसिबतों पर काबू पाने की शक्ति प्राप्त हो सकती है । जो काम विकलांग भी कर सकता है , तो स्वस्थ व्यक्ति क्यों नहीं कर सकता । विकलांगों का ख्याल रखने और उन्हें मदद देने के साथ साथ खुद अपने को भी मदद मिलेगी । हमें विकलांगों को आत्म निर्भर रहने तथा समाज पर बोझ हल्का करने के लिए सहायता देना चाहिए । उन्हें यह दृढ़ भावना सिखाना चाहिए कि स्वस्थ लोग जो कर सकता है , वह भी प्रायः कर सकता है, यह भावना उन के भावी जीवन के लिए बड़ा फायदामंद है ।

जन सलाहकार सम्मेलन के सदस्य चीनी विज्ञान अकादमी के अकादमिशियन यो स्वोच्व ने कहाः विकलांग बच्चों में आत्मनिर्भरता और स्वतंत्रता की भावना उत्पन्न होना चाहिए । मैं विकलांग लड़कियों द्वारा प्रस्तुत नृत्य सहस्त्र हाथों वाली अवलोकनदेश्वरी से बहुत प्रभावित हुआ हूं । इन गूंगी बहरी लड़कियों ने असाधारण कठिनाइयों पर विजय पा कर ऐसा शानदार नाच पेश किया है , जो स्वस्थ लोगों की कल्पना से बाहर है , उन के अद्भुत शानदार कार्यक्रम ने पूरे चीन देश को प्रभावित कर दिया है , यहां तक विश्व को भी आश्चर्यचकित कर दिया । इस से जाहिर है कि विकलांग भी महान कार्य कर सकते हैं । उन के सामने कठिनाइयां कितनी बड़ी हो , जब वे अपने अथक प्रयास और समाज की सहायता से अपना असाधारण लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं ।

तुंग क्वोफान स्कूल के दौरे के बाद हमारी यह गहरी अभिलाषा हुई है कि विकलांगों की विशेष शिक्षा को स्वस्थ बच्चों के स्कूल में चलाने की कोशिश कामयाब होगी और ज्यादा विकलांग बच्चे वुनशिन की तरह बेहतर पढ़ने रहने का मौका हासिल कर सकेंगे । हमारा विश्वास है कि चीनी विकलांग बच्चे भविष्य में अच्छे वातावरण में पलें और बढ़ें एवं देश के लिए अपना योगदान भी कर सकें । हमारी कामना है कि वे सुखमय हों , वही हमारी खुशी भी है । तुंग क्वोती स्कूल के छात्रों ने भी यह शुभकामना की हैः वुन शिन , तुम जल्दी सेहतमंद हो और हमेशा खुश रहो ।