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(GMT+08:00) 2006-03-21 10:15:59    
यालोंग नदी की तलहटी में लहसुन की खेती

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चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के लोका प्रिफैक्चर को तिब्बती संस्कृति का उद्गम स्थल माना जाता है । यहां तिब्बत के इतिहास में प्रथम राज महल—यों बू ला खांग स्थित है, जो जाशी त्सीरी पहाड़ की चोटी पर शान से खड़ा नजर आता है । लोका प्रिफैक्चर में यालोंग नदी बहती है और जाशी त्सीरी पहाड़ की तलहटी में फैली यालोंग नदी की घाटी के क्षेत्र में तिब्बती जाति का प्रथम कृषि खेत और प्रथम गांव विकसित हुआ था । वर्तमान में यालोंग नदी के घाटी क्षेत्र में तिब्बत के प्रथम खेत में जौ के स्थान पर लहसुन का उत्पादन किया जाता है, जिस से ज्यादा आर्थिक आमदनी मिलती है । आज के इस कार्यक्रम में आप मेरे साथ योंग बू ला खांग महल के नीचे पहाड़ी तलहटी में फैले लहसुन के उत्पादन केन्द्र का दौरा करेंगे, और महसूस करेंगे तिब्बत स्वायत्तत प्रदेश के लोका प्रिफैक्चर के लोगों के आज का जीवन ।

लम्बे अरसे से तिब्बत के लोका प्रिफैक्चर का कृषि उतिपादन आम तौर पर जौ आदि परम्परागत फसलों पर आधारित है । यहां के किसान कड़ा परिश्रम करने के बावजूद बहुत कम पैसे कमाते आए थे । किसानों की आमदनी व जीवन स्तर को उन्नत करने के लिए लोका प्रिफैक्चर की सरकार ने इधर के वर्षों में परम्परागत कृषि के विकास को महत्व देने के साथ नकदी फसलों का विकास करने का प्रयास भी किया । उस ने उच्च गुणवत्ता वाले लहसुन का आयात कर क्षेत्र में विशेष कृषि उत्पादन के विकास की खोज की । लोका प्रिफैक्चर समुद्र सतह से 3500 मीटर की उंचाई पर है , यहां पर्याप्त सुर्य की धूप मिलती है और उपजाऊ भूमि उपलब्ध होती हैं, जो लहसुन के उत्पादन के लिए अनुकूल है ।

हमारी मुलाकात लोका प्रिफैक्चर की सरकार की कमिश्नर सुश्री दची जोका से हुई । उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि लोका प्रिफैक्चर में लहसुन की एक फसल होती है और उस के पौधे की दो फसलें हो सकती है , इस तरह एक हैक्टर में लहसुन की पैदावार से कुल 58 हज़ार य्वान से ज्यादा आमदनी प्राप्त होती है, जो हर हैक्टर के जौ की पैदावार की तुलना में आठ गुना अधिक है । सुश्री दची जोका ने कहा

"हम ने उच्च गुणवत्ता वाले सहलुन का प्रयोग किया । अतीत में तिब्बती लोगों को लहसुन खाने की आदत नहीं थी, लेकिन आज हम लहसुन की खेती करने के बाद उसे बेचते हैं , इस से बड़ा लाभांष मिलता है । हमारे यहां लहसुन की खेती का क्षेत्रफल वर्ष दो हज़ार चार के तैंतीस हैक्टर से बढ़ कर वर्ष दो हज़ार पांच के छियासठ हैक्टर तक जा पहुंचा था।"

सुश्री दची जोका ने जानकारी देते हुए कहा कि लोका प्रिफैक्चर में लहसुन उगाने के लिए प्राकृतिक खाद का प्रयोग किया जाता है, इस लिए यहां के लहसुन और उस के उन्य उत्पाद हरित फसल सिद्ध हुए है । लहसुन आकार में बड़ा है और स्वाद तेज़ है, जिसे देश भर के उपभोक्ताओं का स्वागत हासिल हुआ है और वह अच्छी तरह बिक सकती है । लोका प्रिफैक्चर की सरकार की कमिश्नर दची जोका ने कहा कि भविष्य में लोका प्रिफैक्चर में लहसुन के उत्पादन को कोई सौ हैक्टर तक विस्तृत किया जाएगा ।

यालोंग नदी की घाटी में एक ख-सोंग गांव स्थित है ,जो यों बूला खांग महल से ज्यादा दूर नहीं है । इस गांव के मुखियाश्री वू चिन त्सी रन ने हमारे संवाददाता से कहा कि वर्ष दो हज़ार चार में लोका प्रिफैक्चर की सरकार ने ख सोंग गांव में लहसुन उगाने का फैसला किया । लेकिन गांव के लोग लम्बे अरसे में जौ उगाने के आदि हैं , वे सरकार की लहसुन उगाने की नीति को समझ नहीं सकते । इस लिए ख सोंग गांव वासी जौ के स्थान पर लहसुन उगाना नहीं चाहते । ऐसी स्थिति में स्थानीय सरकार ने उदार व सहायता नीति लागू की और लहसुन उगाने वाले गांववासियों को पूंजी का समर्थन प्रदान किया । वर्ष दो हज़ार चार के सितम्बर माह से ख सोंग गांव के लोग विशेष कृषि के विकास की राह पर चलने लगे , गांव की 13 हैक्टर से ज्यादा भूमि में लहसुन की खेती की गई । श्री उचिन त्सी रन का कहना है

"हमारे हर हैक्टर के लहसुन के उत्पादन से 45 हज़ार युवान की कमाई होती है, इस के अलावा, लहसुन के हरे ताजा पौधों से भी तीन हज़ार सात सौ पचास की कमाई मिलती है , इस लिए हमारे किसानों की लहसुन उगाई के लिए लगायी गयी पूरी की पूरी पूंजी दो फसलों से ही वापस मिल गई ।"

श्री वू चिन त्सी रन ने कहा कि पहले गांव में जौ की खेती से मिलने वाली पूरी कमाई हर साल सिर्फ एक लाख य्वान के आसपास थी, लेकिन वर्ष दो हज़ार चार से लहसुन उगाने से सारे गांव की कमाई सात लाख य्वान से ज्यादा रही । इस नदीजे से प्रेरित हो कर गांव में लहसुन न उगाने वाले वासियों ने भी सरगर्मी दिखाई और सरकार से लहसुन उगाने की मांग की । श्री उचिन त्सी रन ने कहा कि वर्ष दो हज़ार छै में ख सोंग गांव में बाकी 33 हैक्टर के खेत में भी लहसुन उगाया जाएगा ।

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