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(GMT+08:00) 2006-03-20 09:51:18    
लीचिएंग नगर;थाइवान;चीन के सबसे पहले महान कम्युनिस्ट नेता

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आज के इस कार्यक्रम में हम दरभंगा, बिहार के प्रहलाद कुमार ठाकुर, राम बाबू महतो मुकेश कुमार, बिलासपुर, छत्तीसगढ के चुन्नीलाल कैवर्त, रायपुर, छत्तीसगढ़ के आनंद मोहन बायन और कोआथ,बिहार के विश्व रेडियो श्रोता संघ के सुनील केशरी, डी डी के पत्र शामिल कर रहे हैं।

पिछले कार्यक्रम में हम ने लीचिएंग नगर की जानकारी दी, तो आज के इसकार्यक्रम में आप इस का दूसरा भाग सुनिए।

लीचिएंग नगर राजनीतिक, सांस्कृतिक व शैक्षिक केन्द्र होने के साथ युन्नान प्रांत व तिब्बत स्वायत्त प्रदेश यहां तक कि चीन- भारत व्यापार का अहम वितरण केन्द्र भी रहा।

नगर का व्यापार समृद्ध है और उसकी दुकानों में तांबे के बरतन, और चमड़े की वस्तुएं व वस्त्र मिलते हैं।

नगर की वास्तुकला भी बेहतरीन है। यहां हान, तिब्बती, पाई और नाशी जैसे जातियों के मकान दिखने को मिलते हैं।

अनेक नहरें नगरी इलाके में बहती हैं और इन नहरों पर 350 से अधिक पुल खड़े हैं।

अब रायपुर, छत्तीसगढ़ के आनंद मोहन बायन का पत्र देखें। उन्होंने पूछा है कि जीएम राइस क्या है और चीन की मुख्यभूमि से थाइवान तक हवाईयात्रा का समय एवं भाड़ा क्या है।

चीन की केन्द्र सरकार इस वर्ष तिब्बत को 6 अरब 42 करोड़ य्वान का अनुदान कर रही है, यह किन क्षेत्रों से संबंधित है।

आनंद मोहन बायन भाई, जी एम का मतलब है जीन मोडिफाइड या जीन संवर्द्धन, जी एम राइस का मतलब है जीन संवर्धित धान है। इस धान के चावल में जीन संवर्धित होते हैं।

चीन की मुख्यभूमि व थाइवान द्वीप के बीच का सबसे नजदीकी फासला कोई 80 समुद्री मील है और औसत फासला 100 समुद्री मील या करीब 190 किलोमीटर है। इस समय थाइवान से मुख्यभूमि जाने के लिए सीधी वायुसेवा की सुविधा नहीं है, इसलिए थाइवान जाने के लिए पहले हांगकांग जाना पड़ता है।

इस वर्ष चीन की केन्द्र सरकार ने तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में 6 अरब 42 करोड़ य्वान का अनुदान करने का निर्णय लिया। यह धनराशि तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की 24 प्रमुख परियोजनाओं में लगाई जायेगी। इनके विषयों में चरागाहों का निर्माण, पेयजल की परियोजनाएं, ग्रामीण क्षेत्र में चिकित्सा व स्वास्थ्य, शिक्षा व यातायात का विकास आदि है।

चीन की केन्द्र सरकार ने बहुत पहले तिब्बत स्वायत्त प्रदेश को वित्तीय सहायता प्रदान करना शुरू कर दिया था और वहां के आधारभूत संस्थापनों के निर्माण व आधारभूत उद्योग के विकास का खास प्रबंधन किया। वर्ष 1984 से 1994 के बीच केन्द्र सरकार व देश के 9 प्रांतों व केन्द्र शासित शहरों ने तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की 43 परियोजनाओं के लिए 48 करोड़ य्वान का अनुदान किया। वर्ष 1994 से 2001 के बीच केन्द्र सरकार ने तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की 40 परियोजनाओं में 3 अरब 90 करोड़ य्वान का अनुदान किया। इस के अतिरिक्त विकसित पूर्वी चीन ने तिब्बत की 32 परियोजनाओं में 96 करोड़ य्वान का अनुदान किया।

वर्ष 2001 से 2005 के बीच की दसवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान केन्द्र सरकार ने तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की 117 परियोजनाओं में कुल 31 अरब 20 करोड़ य्वान का अनुदान किया।

अंत में कोआथ,बिहार के विश्व रेडियो श्रोता संघ के सुनील केशरी, डी डी का पत्र लें। उन्होंने पूछा है कि चीन के सबसे पहले महान कम्युनिस्ट नेता कौन थे।

श्रोता दोस्तो, चीन के सब से पहले महान कम्युनिस्ट नेता श्री ली ता-चाओ थे। 29 अक्तूबर 1889 को श्री ली का जन्म उत्तरी चीन के हपेई प्रांत के लाओथिंग जिले में हुआ। वर्ष 1913 में श्री ली पढ़ने के लिए जापान गए। तत्कालीन जापानी साम्राज्यवाद ने चीन को नष्ट करने की 21 सूत्री संधि पेश की तो श्री ली ने जापान के खिलाफ चीन के देशभक्त छात्रों के संघर्ष का नेतृत्व किया। वर्ष 1916 में श्री ली स्वदेश लौटे और चीन के नव संस्कृति आंदोलन में सक्रिय हुए।

रूस में अक्तूबर क्रांति की सफलता ने श्री ली को काफी प्रोत्साहित किया और इस तरह वे मार्क्सवादी बने।

मार्च 1920 में ली ता-चाओ की अध्यक्षता में पेइचिंग विश्वविद्यालय में मार्क्सवाद अध्ययन दल स्थापित हुआ। इस वर्ष अक्तूबर में उन्होंने पेइचिंग कम्युनिस्ट दल की स्थापना भी की।

वर्ष 1921 में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना हुई। इस के बाद श्री ली ने पार्टी की केन्द्रीय कमेटी की ओर से उत्तरी चीन में पार्टी कार्य का निर्देशन करना शुरू किया।