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(GMT+08:00) 2006-03-15 12:47:06    
बौद्धिक संपदा अधिकार का संरक्षण सृजनात्मक देश का आधार

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बीस साल पहले तक चीन में कम लोग ही कापीराइट की नकल पर ध्यान देते थे । लेकिन आज चीन में कापीराइट का मुद्दा चर्चा का एक मुख्य विषय है । दूसरे देशों की ही तरह चीन भी बौद्धिक संपदा अधिकार के जोरदार संरक्षण करने के जरिये नकल की कार्यवाहियों को दंडित करने का प्रयास कर रहा है । इसी मुद्दे पर हमारे संवाददाता ने चीन में आयोजित चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन के 14वें राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग ले रहे , प्रोफेसर ह्वांग यवान ह से बातचीत की ।

प्रोफेसर ह्वांग यवान ह चीन के पेइचिंग अध्यापन विश्वविद्यालय के रासायनिक शास्त्र विभाग में प्रोफेसर हैं , जो पी.एच.डी. स्तरीय छात्रों का निर्देशन भी करते हैं । उन्होंने मौजूदा सलाहकार सम्मेलन में बौद्धिक संपदा अधिकार के संरक्षण और कापीराइट की नकल कार्यवाही पर दंड देने के सवाल पर अपना प्रस्ताव प्रारुप पेश किया ।

पेइचिंग में एक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर होने के नाते प्रोफेसर ह्वांग को बौद्धिक संपदा अधिकार के संरक्षण के महत्व की काफी जानकारियां प्राप्त हैं । उन्हें मालूम है कि बौद्धिक संपदा अधिकार का संरक्षण करना विज्ञान व तकनीक की सृजनात्मक क्षमता को उन्नत करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है । क्योंकि बौद्धिक संपदा अधिकार को क्षति पहुंचने से तकनिशियनों को भारी नुकसान पहुंचता है । इसी सवाल की चर्चा करते हुए प्रोफेसर ह्वांग ने कहा , सरकार ने भावी 15 सालों के लिए विज्ञान व तकनीक के विकास की रूपरेखा प्रकाशित की है , जिसमें सृजनात्मक कार्य का महत्वपूर्ण स्थान है । सृजनात्मक कार्य की अनेक पूर्व शर्तों में बौद्धिक संपदा अधिकार का भी भारी अर्थ है । अगर किसी तकनीशियन ने पूरे यत्न से किसी नयी तकनीक का आविष्कार किया हो , और कोई और यदि इस आविष्कार की नकल कर ले तो इस तकनीशियन को भारी नुकसान पहुंचेगा , क्योंकि तकनीशियनों द्वारा तकनीकी आविष्कार करते समय लगाई गयी पूंजी या अन्य खर्चों का हर्जाना नहीं किया जा सकेगा । इससे न सिर्फ इन तकनीशियनों और उन के उद्मों से जरूरी मुनाफा छीना जाता है , बल्कि उद्मों की सृजनात्मक भावना पर भी प्रहार किया जाता है । लेकिन चीनी समाज के निरंतर विकास के चलते चीनी उद्मों को अपनी सृजनात्मक क्षमता को उन्नत करने की बड़ी आवश्यकता है । यह उन के भविष्य में विश्व बाजारों में प्रविष्ट होने के लिए महत्वपूर्ण है । इसलिए चीनी उद्म बौद्धिक संपदा अधिकार के संरक्षण पर अधिकाधिक ध्यान दे रहे हैं । इस स्थिति में नकल की कार्यवाहियों के खिलाफ कड़े कदम उठाये जाने चाहिये । नहीं तो चीन का सृजनात्मक समाज का निर्माण करने का लक्ष्य पूरा न हो सकेगा।

ऐसी स्थिति के सुधार को लिए प्रोफेसर ह्वांग ने अपने प्रस्ताव में दो सूत्रीय सुझाव पेश किये । प्रथम सुझाव की चर्चा करते समय श्री ह्वांग ने कहा , वर्तमान में चीन में नकल की कार्यवाहियों के खिलाफ कदम उठाने वाला विभाग भ्रष्टाचार और गैर कानूनी प्रकाशन विरोधी विभाग ही है , जो नकली कार्यवाहियों के खिलाफ आम तौर पर जुर्माने का दंड ही देता है , जो इस अपराध से पैदा होने वाले खतरे की तुलना में बहुत कमज़ोर है । मेरा विचार है कि नकल की कार्यवाहियों के खिलाफ विशेष संस्थाएं और विशेष कार्यक्रम सुरक्षित होने चाहिये । तभी नकल की कार्यवाहियों के खिलाफ कारगर कदम उठाए जा सकते हैं ।

लेकिन अगर नकल की कार्यवाहियों की जड़ को उखाड़ा नहीं गया , तो ऐसी कार्यवाहियों के खिलाफ आर्थिक दंड देना भी बेकार होगा । अभी चीनी नागरिकों में बौद्धिक संपदा अधिकार का विचार कमजोर है , नकल के खिलाफ की जाने वाली कार्यवाहियों का विरोध करने में यह सब से बड़ी बाधा है । हम यह देखते हैं कि बहुत से लोग कापीराइट की नकल वाली वस्तुएं खरीदते हैं । उन्हें ऐसा करने में कोई शर्म नहीं महसूस होती और न ही यह महसूस होता है कि उन की कार्यवाही से कापीराइट के मालिक के अधिकार पर आक्रमण किया जा रहा है । उन के विचार में सिर्फ सस्ता माल खरीदने का ही विचार रहता है और उन्हें लगता है कि ऐसा करने से जनता को सस्ता माल मिल रहा है। लेकिन वास्तव में नकल की कार्यवाहियों से देश और जनता दोनों को क्षति पहुंचायी जाती है , क्योंकि इनसे देश की सकल सृजनात्मक क्षमता को क्षति पहुंचती है । और इस का परिणाम यह होता है कि इस से देश के जन हितों को भी क्षति पहुंचती है । इसलिये प्रोफेसर ह्वांग ने अपना दूसरा सुझाव भी पेश किया ।

उन्होंने कहा,आम लोगों को प्रशिक्षण देना मेरे विचार में बहुत कठिन काम है । अभी चीन में बौद्धिक संपदा अधिकार के संरक्षण के संदर्भ में जानकारी कम है । और इस संदर्भ में प्रकाशित पुस्तकें भी बहुत कम हैं । मेरा ख्याल है कि बौद्धिक संपदा अधिकार विभाग , प्रकाशन-घर और शिक्षा-विभाग को बौद्धिक संपदा अधिकार के संरक्षण के संदर्भ में कुछ आरंभिक पुस्तकों का संशोधन करना चाहिये । इन पुस्तकों में ऐसे मुद्दे भी शामिल होने चाहिंये जैसे कापीराइट क्या है , कापीराइट का संरक्षण क्यों करना चाहिये , कैसी-कैसी कार्यवाही नकल की कार्यवाहियों में शामिल हैं , इत्यादि । इस के अलावा टीवी , रेडियो और इंटरनेट आदि माध्यम पर बौद्धिक संपदा अधिकार के संरक्षण के संदर्भ में विज्ञापन प्रकाशित किये जाने चाहिये । इस तरह हरेक आदमी को कापीराइट अधिकार की जानकारी प्राप्त हो सकेगी ।

अब बौद्धिक संपदा अधिकार के हितों की रक्षा के लिए चीनी राजकीय बौद्धिक संपदा अधिकार ब्यूरो विशेष बौद्धिक संपदा अधिकार न्यायालय की स्थापना करने का सुझाव पेश करेगा । इसी न्यायालय में विशेष तौर पर बौद्धिक संपदा अधिकार के संदर्भ में घटनाओं को निपटाया जाएगा । चीन सरकार चीनी नागरिकों को विदेशों में पेटेंट की मांग करने के लिए प्रोत्साहित करती है और उन्हें इस संदर्भ में सेवा भी प्रदान करती है । अब चीन की मुख्य भूमि के कारोबारों ने हर वर्ष विदेशों में दो हजार पेटेंट मांगे हैं । इस के अलावा चीन सरकार नज़दीक भविष्य में बौद्धिक संपदा अधिकार रणनीतिक पूर्वचेतावनी व्यवस्था कायम करेगी , और संबंधित विभाग वाणिज्य मंत्रालय से सूचनाओं के शेयर लेंगे , ताकि बौद्धिक संपदा अधिकार के क्षेत्र में जब मुठभेड़ पैदा हो , तुरंत ही संबंधित कारोबारों को सहायता प्रदान की जा सके , और चीनी कारोबारों के हितों की रक्षा की जा सके ।