बांसुरी की आवाज़ बहुत सुरीली होती है। अनेक लोगों को यह वाद्य पसंद है । इस कार्यक्रम में मैं आप को सुनवाऊंगी चीन के एक और मशहूर संगीतकार चांग वेइ ल्यांग द्वारा बजायी गयी कुछ धुनें । आशा है आप इन्हें भी पसंद करेंगे। पहले सुनिए यह धुन।
संगीत
बांसुरी चीन के परम्परागत वाद्यों में से एक है। उस का इतिहास कई हज़ार वर्ष पुराना है। चीनी कलाकारों ने पीढ़ी दर पीढ़ी इसका विकास किया। चीन के वर्तमान जातीय संगीत क्षेत्र में चांग वेइ ल्यांग सर्वश्रेष्ठ बांसुरी वादक माने जाते हैं।
चांग वेइ ल्यांग का जन्म वर्ष 1957 में दक्षिणी चीन के च्यांग सू प्रांत के मशहूर शहर सू चो में हुआ । बचपन से ही वे संगीत के शौकीन थे और सात वर्ष की उम्र से बांसुरी सीखने लगे। सुप्रसिद्ध संगीतकार और बांसुरी विशेषज्ञ स्वर्गीय चाओ सोंग थिंग चांग वेइ ल्यांग के अध्यापक थे। चाओ सोंग थिंग के बारे में जानकारी हम अपने एक कार्यक्रम में पहले ही दे चुके हैं। चांग वेइ ल्यांग ने बांसुरी बजाने की ज्यादा जानकारी चाओ सोंग थिंग से ही पाई। एक श्रेष्ठ छात्र के रूप में वे चीनी संगीत कॉलेज में दाखिल हुए और वर्ष 1982 में इस कॉलेज से स्नातक होने के बाद यहीं अध्यापक बन गये। इसी वर्ष ही उन्हों ने चीनी जातीय वाद्य वादन प्रतियोगिता में श्रेष्ठ प्रदर्शन का पुरस्कार हासिल किया।
वर्ष 1987 में चांग वेइ ल्योंग ने राजधानी पेइचिंग स्थित संगीत हॉल में अपनी संगीत सभा आयोजित की। इस में उन्हों ने चीनी जातीय परम्परागत धुन बजाने के अलावा सिंफनी दलों के साथ बांसुरी पर आदुनिक धुनें भी बजायीं और दर्शकों की वाहवाही लूटी। संगीत विशेषज्ञों ने भी उनकी प्रशंसा की। इस संगीत सभा की सफलता ने चांग वेइ ल्यांग की बांसुरी वादन की श्रेष्ठ तकनीक ही नहीं, संगीत का उनका
रचनात्मक विचार भी जाहिर किया। आइए अब सुनें चांग वेइ ल्यांग की एक और बांसुरी धुन। यह एक आधुनिक रचना है , जो मध्य चीन के ह नान प्रांत के लोकसंगीत से प्रेरित है।
चांग वेइ ल्यांग बहुत मेहनती हैं। बांसुरी के साथ उन्होंने कई और चीनी परम्परागत वाद्य बजाने सीखे। इन्हें बजाते समय उन्होंने परम्परा के प्रयोग के आधार पर नयी खोज भी की। अब सुनें उन की एक और धुन। नाम है "सुनहरी रात"।
संगीत----"सुनहरी रात"
"सुनहरी रात" पहले यह परम्परागत चीनी वाद्य अर्हू की धुन थी। वर्ष 1928 में मशहूर चीनी संगीतकार ल्यू थ्येन ह्वा ने अपने छात्रों व दोस्तों के साथ वसंत त्योहार की रात बिताते हुए यह धुन रची । चांग वेइ ल्यांग ने इसे बांसुरी पर और मधुर बना दिया।
बांसुरी बजाने और संगीत पढ़ाने के अलावा, चांग वेइ ल्यांग स्वयं धुन रचने, पुस्तक लिखने, लोकसंगीत दलों की स्थापना करने तथा सांस्कृतिक आदान-प्रदान में लगे हैं। वे अमरीका, फ़्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी और जापान आदि देशों की यात्रा कर चुके हैं। इन देशों में उन्होंने संगीत प्रदर्शन के अलावा पढ़ाई भी की। विदेशी श्रोताओं का भी उन्हें हार्दिक स्वागत मिला।
चांग वेइ ल्यांग अपने अनुभवों का पढ़ाने में भी उपयोग करते हैं। उन्होंने "बांसुरी बजाने के तरीके" और "चीनी बांसुरी संस्कृति का विकास" आदि लेख लिखे हैं , जिनाक संगीत विशेषज्ञों ने उच्च मूल्यांकन किया। आइए अब सुनते हैं चांग वेइ ल्यांग की एक और धुन "सुन्दर चांदनी"। इस में प्रकृति की सुंदरता के वर्णन से लोगों के दिल की भावना व्यक्त हुई है।
इधर के वर्षों में चांग वेइ ल्यांग के दसेक एलबम जारी हुए हैं। इन में "चाय वर्षा" नामक एलबम सब से लोकप्रिय रहा । इस की सभी धुनों का मुख्य विषय चाय है। चांग वेइ ल्यांग ने अपनी धुनों में चाय, प्रकृति , संगीत और मानव की भावना को मिला कर दर्शकों के सामने रखा है। इससे दक्षिणी चीन का जीवन दृश्य लोगों के सामने आ जाता है। सुनिए इस एलबम की एक धुन। नाम है "शी हू झील की रात"।
संगीत---"शी हू झील की रात"
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