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(GMT+08:00) 2006-03-14 20:11:38    
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की नाइतुंग कांउटी का कालीन कारखाना

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नाई तुंग तिब्बती कालीन फ़ैक्ट्री के एक 200 वर्गमीटर वाले कारखाने में मैं ने देखा कि दसियों लड़कियां कालीन बनाने में व्यस्त हैं। उन के हाथ फुर्ती से कालीन बना रहे थे और उसकी हर एक लाइन बनने पर वे एक छोटे से हथोड़े से उसे ठोकती थीं, ताकि हर लाइन की ऊन घनी हो जाए। कारखाने में लड़कियां कालीन बनाते हुए खुशी के साथ तिब्बती गीत भी गा रही थीं। उन के मधुर गीत हथोड़े की ठकठक के साथ कारखाने में गुंजते हौं तो सुनने वालों को बहुत अच्छा लगता है।

त्सीची जोका नाई तुंग तिब्बती कालीन फ़ैक्ट्री की एक कर्मचारी है। उनके घर में उनकी बड़ी उम्र की मां के अलावा दो छोटे बच्चे हैं। पहले त्सीची जोका किसान थीं। खेती से प्राप्त उनकी कमाई तय थी और घर गरीब था । नाई तुंग तिब्बती कालीन फ़ैक्ट्री में काम करने पर उन को हर महीने 500 सौ य्वान से ज्यादा वेतन मिलने लगा। इस से उन के परिवार का जीवन पहले से कहीं उन्नत हो गया। तिसीची जोका इस फ़ैक्ट्री में 10 साल से ज्यादा काम कर चुकी हैं और अब एक परिपक्व कालीन मज़दूर बन गयी हैं। त्सीची जोका ने कहा

"मैं इस काम से बहुत संतुष्ट हूं । एक तरफ़ यहां काम करने से मेरे परिवार के जीवनयापन के सवाल का समाधान होता है, दूसरी तरफ़ यहां मैं ने कालीन बनाने की तकनीक सीखी है। मेरे विचार में इसने भविष्य के मेरे जीवन की गारंटी भी दी है।"

त्सीची जोका के साथ बातचीत करते समय मैंने उनके चेहरे पर कई बार शर्मीली मुस्कुराहट भी देखी। उन की आशा है कि वे अपनी कालीन बनाने की तकनीक को और उन्नत कर सकेंगी ताकि वे और ज्यादा सुन्दर तिब्बती कालीनों को अधिक से अधिक देशों को निर्यात में मदद देकर नाई तुंग तिब्बती कालीन फ़ैक्ट्री में और ज्यादा योगदान कर सकें।

वर्तमान में चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के तिब्बती कालीन उद्योग का निरंतर विस्तार हो रहा है। तिब्बती जाति की विशेष जातीय कला वाले उद्योग के रूप में तिब्बती कालीनों को ज्यादा से ज्यादा विदेशी ग्राहक पसंद कर रहे हैं।

सूत्रों के अनुसार, तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के लोका प्रिफ़ैक्चर ने तिब्बती कालीन बनाने समेत जातीय उद्योग को सरकार के महत्वपूर्ण विकास कार्यक्रम में शामिल किया है। लोका प्रिफ़ैक्चर की उच्चायुक्त सुश्री देची ने बताया कि तिब्बती कालीन के विकास से संसाधनों में परिवर्तन, किसानों की आय में वृद्धि, बेरोज़गारी के समाधान तथा जातीय संस्कृति के विस्तार आदि क्षेत्रों में सकारात्मक भूमिका अदा की जा सकती है । सुश्री देची ने कहा

"तिब्बती कालीन उद्योग हमारा जातीय हस्त शिल्प है। हमें आधुनिक तकनीक,संस्थापनों और तरीकों से तिब्बती जाति की परम्परागत चीज़ों का बाह्य दुनिया तक प्रचार करना चाहिए। हम तिब्बत की ऊन और स्थानीय लोगों के हस्तशिल्प से बने कालीनों का यूरोप तक को निर्यात करते हैं। इस से हमारी तिब्बती जातीय की श्रेष्ठ संस्कृति का व्यापक प्रचार-प्रसार हो सकेगा।"

सुश्री देची ने कहा कि तिब्बती कालीन उद्योग का विकास स्थानीय किसानों व चरवाहों की आय में वृद्धि लाने में मददगार सिद्ध होगा। उन्होंने जानकारी दी कि विदेशी व्यापार कंपनियां एक-एक कर तिब्बती कालीन खरीद रही हैं। आंकड़ों के अनुसार, लोका प्रिफ़ैक्चर में तिब्बती कालीन उद्योग में काम करने वाले तिब्बती किसानों व चरवाहों की सालाना औसत आय 4500 य्वान से ज्यादा है। इस के साथ ही तिब्बती कालीन बनाने का काम काफी लचीला है। किसान और चरवाहे घर में अवकाश के समय इसे कर सकते हैं। इससे उन के अन्य कामों पर प्रभाव नहीं पड़ता और उन्हें बड़ी आय प्राप्त होती है।