प्राचीन जमाने में लु राज्य में दूर समुद्र से एक चिड़िया उड़ आई , लु राज्य के लोग इस किस्म की पक्षी को कभी देखने को नहीं पाते थे ।
उसे देखने के लिए नगर में घनी भीड़ लग भी जाती थी । अंततः खबर राज महल पहुंची , राजा लु वांग समझता था कि यह जरूर स्वर्ग से अवतारित आया पक्षी देवता है ।
सो उस ने चिड़िया को राज मंदिर में पूजा के लिए रख कर पालने का आदेश दिया । राजा लु वांग के आदेशानुसार चिड़िया को खुश करने के लिए दरबारी वाद्य दल रोज गंभीर्य वाला दरबारी संगीत बजाता रहा , राजा के रसोई ने हर वक्त शाही भोजन बनाया ।
इस प्रकार के शान शौकत से भरे प्रबंध से समुद्री पक्षी घबरा गयी और बड़ी भयभीत होने से उस ने खाना पीना तक छोड़ दिया , फिर तीन दिन के बाद इस चिड़िया ने डर और भूख के मारे दम तोड़ दिया ।
दोस्तो , लु राज्य का राजा यदि जिस तरह पक्षी के साथ व्यवहार करता था , उसी तरह अपनी प्रजा के साथ करता था , उस की प्रजा जरूर उस का डट कर समर्थन करती थी , मगर चिड़िया ऐसी पाली नहीं जा सकती है , क्यों कि वह जीव जंतु है , मानव नहीं है ।
ड्रैगन को मार डालने का कौशल
प्राचीन काल में चु फिन नाम का एक युवा था , वह हर प्रकार का कौशल सीखने का शौकिन था । एक दिन उस ने सुना था कि चिली ड्रैगन मारना जानता था , तो उस ने अपना तमाम जायदाद बेच कर पैसा जमा किया और दूर दूर जा कर चिली से ड्रैगन मारने का हुनर सीखने लगा ।
तीन वर्ष बाद चुफिन ड्रेगन मारने का पाठ पूरा कर गांव लौटा । गांव वासि यों की कुतुहट को शांत करने के लिए उस ने ड्रैगन को मार डालने के हुनर का सुन्दर प्रदर्शन किया । जब वह बड़े उत्साह से ड्रैगन पर सवार होने तथा तलवार मारने के प्रदर्शन में मग्न रहा था , तो एक वृद्ध गांव वासी ने पूछा , बेटा , तुम कहिए , वह ड्रेगन कहां से मिल रहा है . जिसे मारा जा सकता है । ओह , यह तो मैं ने कभी नहीं सोचा था ।
जैसे चुफिन के सिर पर किस ने ढेर सारा ठंडा पानी फेर दिया हो , वह एक दम जाग उठा । ड्रैगन एक काल्पिक जानवार है , वह असली नहीं है । चुफिन का ड्रैगन को मारने का हुनर जितना कुशल क्यों न हो , वह बेकार सिद्ध होगा ।
दोस्तो , इस नीति कथा से हमें सचेत कर दिया गया है कि हम उपयोगी तकनीक सीखें , बेकार की तकनीक न सीखें।
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