संस्कृति की प्रगति, समाज के विकास के साथ-साथ, महिलाओं व पुरुषों के बीच समानता विभिन्न देशों की सरकारों के लिए सामंजस्यपूर्ण समाज का निर्माण करने का एक महत्वपूर्ण भाग है। हाल में हमारी संवाददाता ने पेइचिंग में 14वीं राष्ट्रीय जन-प्रतिनिधि सभा के पूर्णाधिवेशन में भाग लेने वाली सदस्या मो वन श्यो और ली चा ईन के साथ साक्षात्कार किया।
लिंग-समानता को साकार करने का मतलब है-महिलाएं पुरुषों की ही तरह समान अधिकार, मौकों व कर्त्तव्यों का उपभोग कर सकें, और महिलाओं व पुरुषों के बीच कोई असमानता न हो और महिलाएं पुरुषों के साथ समानतापूर्ण रुप से व्यवहार करें , मेल मिलाप से रहें , पुरुषों के समान अधिकारों का सुनिश्चित प्रयोग करें और समान विकास के मौकों का उपभोग भी करें । हमारे देश में लिंग-समानता के लक्ष्य को साकार करना वास्तव में खुशहाल-समाज के चतुर्मुखी निर्माण और समाजवादी व सामंजस्यपूर्ण समाज का निर्माण करने के लक्ष्य से मेल खाता है। चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की सदस्या, अखिल चीनी महिला संघ की उपाध्यक्ष एवं चीनी महिला विकास कोष की उपाध्यक्ष सुश्री मो वन श्यो ने कहा, लिंग-समानता और समाजवादी सामंजस्यपूर्ण समाज के निर्माण के बीच घनिष्ठ व जरुरी रिश्ता होता है, क्योंकि समाजवादी सामंजस्यपूर्ण समाज में व्यक्ति व व्यक्ति के बीच मेल-मिलाप बहुत महत्वपूर्ण है। सामंजस्यपूर्ण समाज के निर्माण में महिलाओं व पुरुषों के बीच समानता होना एक ज़रुरी शर्त है। लिंग-समानता हमारे देश की सभ्यता व प्रगति का एक प्रतीक भी है। अब पुरुषों व महिलाओं के बीच समानता बुनियादी राजनीति के रुप में महिलाओं के अधिकारों व हितों की सुरक्षा कानून में लिखी गयी है। इसलिए, लिंग-समानता भी हमारे द्वारा बुनियादी-राजनीति का कार्यान्वयन करने की एक महत्वपूर्ण शर्त है।
लिंग-समानता पर हम कायम हैं या नहीं, लिंग-समानता को साकार करते हैं या नहीं यह न केवल हमारे कानून के कार्यान्वयन की एक जांच है, बल्कि हमारे देश की सामाजिक सभ्यता व प्रगति की भी एक जांच है। इसलिए, लिंग-समानता समाजवादी सामंजस्यपूर्ण समाज का निर्माण करने का एक महत्वपूर्ण भाग है।
तो भी चीन में लिंग-समानता की वास्तविक स्थिति कैसी है। नी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की सदस्या, हांगकांग महिला कोष की उपाध्यक्ष सुश्री ली च्या ईन ने परिचय दिया, अब चीन में लिंग-समानता की स्थिति में भारी सुधार आया है। देश में लिंग-समानता का आह्वान करने के बाद अनेक महिलाएं नेता के पद पर आयीं हैं। इतना ही नहीं, देश ने महिला कर्मचारियों को अनेक महत्वपूर्ण जगहों पर जिम्मेवारी भी दी है। विभिन्न स्तरों की सरकारों के वैज्ञानिक व लोकतांत्रिक निर्णय अब लिंग-समानता को ध्यान में रख कर होते हैं। नेताओं में भी लिंग-समानता की विचारधारा दिन ब दिन मजबूत होती जा रही है। समाज की प्रगति के साथ-साथ, राजनीति, अर्थतंत्र, शिक्षा, संस्कृति और पारिवारिक-जीवन आदि विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की स्थिति में अपेक्षाकृत सुधार आया है। कहा जा सकता है कि अब लिंग-समानता की स्थिति हमारे देश के इतिहास में सब से ऊंचे स्तर तक पहुंच गई है।
लेकिन, प्रगति का मतलब यह नहीं है कि चीन में लिंग-समानता की समस्या नहीं है ।समाज में मौजूद असमानता की स्थिति को लेकर सदस्य मो वन श्यो ने कहा, लिंग-समानता चीन में कुछ जगहों पर अभी भी मौजूद है। और कुछ कुछ जगहों के पारिवारिक और आर्थिक क्षेत्रों में असमानता की समस्या गंभीर भी है। असमानताएं मुख्यतः निम्न स्थितियों में दिखाई पड़ती हैं-, यानी कुछ परिवारों में पारिवारिक हिंसा मौजूद है, परिवारों की महिलाओं व बालकों के साथ दुव्यवहार किया जाता है, जिस से गंभीर रुप से उन के स्वस्थ विकास पर असर पड़ता है। मिसाल के लिए, रोज़गार ढूंढते समय, लिंग-समानता की समस्या अपेक्षाकृत ज्यादा स्पष्ट है। कर्मचारियों को नौकरी के लिए भर्ती करते समय कुछ इकाईयां व संस्थाएं अपने आवेदन-पत्र में स्पष्ट रुप से यह लिखती हैं कि उन्हें पुरुष चाहिएं, न कि महिलाएं। इस से महिला-आवेदनकर्त्ता कठिनाई से रोजगार खोज पाती हैं। इसलिए, चीन में लिंग-समानता अभी भी एक समस्या तो है ही ।
इस का क्या कारण है। कारण यह है कि चीनी समाज हमेशा से ही एक पुरुष -नेतृत्व वाला समाज रहा है। चीन में परम्परागत विचारधारा का असर अपेक्षाकृत गहरा है। एक प्रसिद्ध महिला कारोबारी होने के नाते, सुश्री ली च्या ईन ने इस बात को गहन रुप से महसूस किया है। उन्होंने परम्परागत विचारधारा को बदलने के समाधान प्रस्ताव भी प्रस्तुत किये। उन के अनुसार,
महिला कारोबारी, विशेषकर एक सफल महिला-कारोबारी होने के नाते, उन्हें पुरुषों की तुलना में बड़े दबाव व बाधाओं का सामना करना पड़ा है। महिलाओं को समाज व परिवार की समझ व समर्थन की बड़ी ज़रुरत होती है। समानतापूर्ण, सामंजस्यपूर्ण एवं समग्र संस्कृति का निर्माण करने के लिए हमें मीडिया के प्रबंधकों, निर्माताओं व प्रचार-प्रसार करने वाले लोगों तक लिंग-समानता के विचारों को फैलाने की ज़रुरत है, ताकि ऐसे कानून और नीतियां बन सकें जो लिंग-समानता की विचारधारा पर आधारित हों। हमें आधुनिक तथा सर्वमान्य तरीकों से समाज के नागरिकों में लिंग-समानता का प्रसार व आह्वान करना चाहिए।
सामंजस्यपूर्ण समाज के निर्माण की नयी परिस्थिति में लिंग-समानता को आगे बढ़ाने का महत्वपूर्ण अर्थ है कि लिंग-समानता को अधिक से अधिक सरकारी विभागों, अनुसंधान संस्थाओं, कारोबारी संगठनों तथा समाज के नागरिकों की मान्यता हासिल हो। हमें विश्वास है कि महिलाओं के हितों व कल्याण को सुनिश्चित करने के कानून तथा पुरुषों व महिलाओं के बीच समानता की बुनियादी राजनीति के कार्यान्वयन से और पूरे समाज में लिंग-समानता पर ध्यान देने व प्रेरित करने की अपील करने से मौजूदा समस्याओं को धीरे-धीरे हल किया जा सकेगा। हम यह आशा भी करते हैं कि और अधिक लोग समानता व सामंजस्यपूर्ण विचारधारा को मान्यता दे सकेंगे और लिंग-समानता को आगे बढ़ाने वाले नागरिक बन सकेंगे।
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