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(GMT+08:00) 2006-03-09 08:22:39    
सांगये मठ की विशेष वास्तुशैली ने अपनी एक अलग पहचान बना ली है

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चीन का भ्रमण कार्यक्रम पढ़ने वाले सभी दोस्तों को नमस्कार । आज के चीन का भ्रमण कार्यक्रम में हम आप को चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश का दौरा भी कराने ले जा रहे हैं । हमें मालूम है कि शान्नान क्षेत्र का नाम आप ने पहले इसी कार्यक्रम में सुना और इस क्षेत्र में उपलब्ध प्रसिद्ध छांग चू मठ और प्राचीन राजमहल युंगपुलाखांग के बारे में कुछ न कुछ जानकारी भी प्राप्त कर ली है । पर आज के इस कार्यक्रम में आप को इसी सुप्रसिद्ध महत्वपूर्ण क्षेत्र के बारे में और तफसील जानकारी देना चाहते हैं ।

शान्नान प्रिफेक्चर में अपने ढंग के प्राकृतिक व मानवीय दृश्य उपलब्ध हैं , और यहां की विशेष तिब्बती-बौद्ध धार्मिक संस्कृति भी बेहद आकर्षित है , क्योंकि समुद्र की सतह से शान्नान प्रिफेक्चर की ऊंचाई ज्यादा नहीं है , इसलिये देशी-विदेश पर्यटक इस शान्नान क्षेत्र को अपनी तिब्बत यात्रा का प्रथम पड़ाव बनाना ज्यादा पसंद करते हैं ।

छांगचू मठ की सबसे बेशकीमती वस्तु उसकी पुराने मोती अवशेषों से तैयार थांग का कलात्मक कृति ही है। बहुत से स्थानीय लोग यहां सुरक्षित थांगका कृति को इस मठ की धरोहर मानते हैं । विश्रांतिक अवलोकितेश्वर नामक मोतियों से तैयार यह कृति य्वान राजवंश के शुरू में तिब्बत के तत्कालीन राजा नाइ तुंग की रानी ने बड़ी मेहनत से बनायी थी। दो मीटर लम्बी व 1.2 मीटर चौड़ी इस थांग का कृति पर करीब तीस हजार मोती जड़े हैं। लम्बे ऐतिहासिक दौर में एक के बाद एक राजवंशों के उभरने या युद्धों से ग्रस्त होने पर भी यह थांग का कृति आज तक हू ब हू सुरक्षित है जो सचमुच देखने लायक है।

हमारे गाइड फू पू त्सेरन ने मोतियों से जड़े थांग का चित्र के बारे में कहा कि इस थांगका कृति पर कुल 29 हजार 9 सौ 99 मोती जड़े हैं । इस के अतिरिक्त उस पर एमरेल्ड, रूबी, सफायर जैसे मूल्यवान पत्थर भी जड़े हैं । यह कलात्मक कृति 12 वीं शताब्दी की एक रानी ने अपने हाथों बनायी।

छांगचू मठ को छोड़कर हम युंपुलाखांग महल के लिये रवाना हुए । युंपुलाखांग महल तिब्बत के इतिहस पर सब से पुराना महल माना जाता है । और वह तिब्बती जाति का हिंडोला और तिब्बती संस्कृति का उद्गम स्थल माना जाता है ।

युंगपुलाखांग राजमहल शान्नान क्षेत्र की राजधानी चह तांग कस्बे से दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित चाशित्सेर पर्वत पर स्थित है । करीब ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में तिब्बत के प्रथम राजा न्येचिचानपू के शासन काल में यह निर्मित हुआ था । पहले थांग-राज्य की राजकुमारी वन-छंग इस राजमहल में रहती थी , बाद में ल्हासा का पोटाला महल बनवाया गया , तब राजकुमारी वन छंग पोटाला महल में स्थानांतरित हो गयीं किंतु युंगपुलाखांग राजमहल उन के ग्रीष्मकालीन भवन के रूप में बना रहा ।

माना जाता है कि थांग-राजवंश की राजकुमारी वन-छंग की शादी तिब्बत के 33 वें राजा सुंगचानकांगपू के साथ हुई थी। राजकुमारी वन-छंग तिब्बत में प्रवेश करने के बाद पहले गर्मियों में युंगपुलाखांग महल में रहती थी । ईसा की सातवीं शताब्दी में तिब्बती राजा सुंगचांगकानपू ने छिंग हाई तिब्बत पठार को एकीकृत करने के बाद राजधानी ल्हासा में स्थानांतत्रित कर दिया , साथ ही ल्हासा में राजकुमारी वन-छंग के लिये आलीशान पोटाला महल बनवा दिया । युंगपुलाखांग महल राजा सुंगचानकांपू और राजकुमारी वन-छंग का ग्रीष्म महल रह गया । यह राजमहल दो भागों में बटा हुआ है । अगले भाग में एक तीन-मंजिला भवन नजर आता है , दूसरे भाग में एक बहुमंजिला चौकोर गढ़ खड़ा हुआ है । अगले भाग के तीन मंजिले भवन के लोबी हाल में तिब्बत के न्येचिचानपु , चिसूंगचानपू और सुंगचानकानपू समेत अनेक सुप्रसिद्ध राजाओं की मूतियां रखी गयी हैं ।

सांगये मठ भी शान्नान प्रिफेक्चर में अपना विशेष स्थान रखता है । तिब्बती भाषा में सांगये का मतलब अकल्पनीय या अतुलनीय है ।

श्री छ्यो लिन ने इस मठ का परिचय देते हुए कहा कि सांगये मठ का निर्माण ईस्वी 8 वीं शताब्दी के मध्य काल में हुआ था ।इस से जाहिर है कि तत्कालीन समय में इस सांगये मठ के निर्माण में अंगिनत अकल्पनीय परिश्रम किये गये होंगे , साथ ही सांगये मठ की विशेष वास्तुशैली ने भी अपनी एक अलग पहचान बना ली है ।

पुराने ऐतिहासिक मानवीय पर्यटन क्षेत्रों के अतिरिक्त शान्नान क्षेत्र में रमणीय प्राकृतिक दृश्य भी अत्यन्त मनमोहक हैं । समूचे शान्नान क्षेत्र में नद-नदियों का जाल सा बिछा हुआ है और गर्म चश्मों , बर्फीली नदियों और प्रभातों की भी यहाँ भरमार है । अतः यहां पर्वतारोहण , वैज्ञानिक सर्वेक्षण और पर्यटन करने की अनुकूल स्थितियां मौजूद हैं ।