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(GMT+08:00) 2006-03-06 16:13:39    
चीन के गैरसरकारी संगठनों में सहायक जर्मन युवक

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मैं चीनी अंतरराष्ट्रीय गैरसरकारी संगठनों के सहयोग संवर्द्धन संघ का अंतरराष्ट्रीय सहायक हूं। मेरा नाम बोदागा है। आज हम आपको अपनी मीडिया परीक्षण कक्षा का परिचय देंगे जो हमारी एक नयी परियोजना देना है। आशा है कि इस गतिविधि से हम कुछ नये मित्रों को जान सकेंगे।

क्या आप सोच सकते हैं कि यह युवक जर्मन है। इस जर्मन युवक की उम्र 28 वर्ष है। बोदागा ऊंचे कद वाला है और चश्मा पहनता है। उस के चीनी सहकर्मी उसे श्याओ फू के नाम से बुलाते हैं।

चीनी अंतरराष्ट्रीय गैरसरकारी संगठन सहयोग संवर्द्धन परिषद में श्याओ फू का मुख्य काम चीन व विदेशों के गैरसरकारी संगठनों व संस्थाओं के बीच गरीबी उन्मूलन व विकास, पर्यावरण संरक्षण तथा सामाजिक विकास आदि क्षेत्रों में आदान-प्रदान व सहयोग को बढ़ावा देना है, ताकि चीन के गरीब क्षेत्र का सामाजिक व आर्थिक विकास आगे बढ़ाया जा सके। इस संघ में श्याओ फू का काम कुछ परियोजनाओं के लिए सुझाव पेश करना और कुछ अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ सहयोग पर विचार-विमर्श करना है।

श्याओ फू ने बताया कि मिडिल स्कूल में अपने एक दोस्त से प्रभावित होने के बाद वे चीन के संपर्क में आये। उन के अनुसार, मेरी वह दोस्त चीनी मूल की एक सुन्दर लड़की थी। उस के माता-पिता जर्मनी में काम करते थे, इसलिए, मुझे उस से मिलने का मौका मिला। हम एक मिडिल स्कूल में पढ़ते हैं और उस से मिलने के बाद मुझमें चीन को जानने की इच्छा पैदा हुई।

इस सुन्दर पूर्वी लड़की ने बोदागा को गहराई से आकर्षित किया और उस की वजह से ही बोदागा की पूर्वी सभ्यता विशेषकर चीनी संस्कृति में रुचि जगी। मिडिल स्कूल से स्नातक होने के बाद, अपने भाई के प्रोत्साहन पर बोदागा ने जर्मनी के खलोंग विश्विद्यालय के पूर्वी कला विभाग में पढ़ना शुरू किया। चार वर्ष पहले वे पेइचिंग आये और इस गैरसरकारी संगठन में अंतरराष्ट्रीय सहायक बने। मैं कह सकता हूं कि निजी अनुभव या हो काम से जुड़ी बात मेरे साथ हुई अनेक घटनाओं का चीन से संबंध है। सौभाग्य की बात है कि मैं विभिन्न कोणों से इस देश को जान सका और मुझे यह बहुत दिलचस्प लगा है।

बोदागा को चीन में काम करना बहुत पसंद है। वे बहुत मेहनत से काम करते हैं। वे पेइचिंग में काम करते हैं, लेकिन, अक्सर बाहर जाकर सम्मेलनों में भी भाग लेते हैं या अनुसंधान कार्यवाइयां करते हैं। काम की वजह से, उन्हें अक्सर सामान्य चीनी नागरिकों के साथ संपर्क रखना होता है और वे तुरंत ही उन के वातावरण में घुल-मिल जाते हैं। वे अपने पड़ोसियों के साथ मेलजोल से रहते हैं और उन से बातचीत भी करते हैं।

श्याओ फू के साथ काम करने वाले चीनी लोग उन्हें बहुत ईमानदार बताते हैं। वे एक सरल आदमी हैं और बुराई को कभी अच्छा नहीं कहते। इतना ही नहीं, श्याओ फू की अनेक विशेषताएं हैं, इसलिए, उनका चीनी सहकर्मियों ने स्वागत किया है। चीनी गैरसरकारी संगठन संवर्द्धन परिषद के महासचिव श्री ह्वांग हाओ मींग ने उन का इस तरह मूल्यांकन किया,

वे बहुत मेहनत से काम करते हैं और नियमानुसार काम करते हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि वे एक जर्मन हैं, फिर भी चीनी गैरसरकारी संगठन संवर्द्धन संघ का प्रतिनिधित्व करते हैं और खुद का प्रतिनिधित्व नहीं करते। वे मानते हैं, हो सकता है, मेरा निजी विचार भिन्न हो, फिर भी मुझे संगठन के हितों की रक्षा करनी है।

चीन में रहने व काम करने के दौरान बोदागा ने न केवल चीनी सहकर्मियों का विश्वास जीता है, अनेक चीनियों को मित्र भी बनाया है। एक अन्य गैरसरकारी संगठन में कार्यरत सुश्री सुंग छींग ह्वा उनके मित्रों में शामिल हैं। सुश्री सुंग बहुत उदार महिला हैं और बोदागा से बड़ी हैं, इसलिए, हर बार बोदागा कठिनाई सामने आने पर अपनी इस दीदी से सलाह लेते हैं। बोदागा की चर्चा में सुश्री सुंग ने कहा, वे अच्छी तरह चीनी बोल सकते हैं और मैं उन से आराम से बातचीत कर सकती हूं।

पेइचिंग और चीनी समाज के तेज़ विकास ने बोदागा को आश्चर्यचकित किया है। उन्होंने कहा कि यहां कई रंग-बिरंगे स्थल हैं। सुबह उठने का अपना आनंद है। हालांकि मेरा काम अपेक्षाकृत कठिन है, पर चुनौतियों से भरा है। फुरसत के समय, श्याओ फू को कैमरे से चीनी लोगों की फोटो खींचना, कुछ विशेष रेस्तरांओं में स्वादिष्ट चीनी भोजन खाना या अपने पसंदीदा गीत गाना पसंद है। हाल में उन्होंने एक चीनी मित्र से एक चीनी लोकगीत भी सीखा, जिस का नाम सुदूर की जगह है।

सुदूर जगह में एक अच्छी लड़की रहती है। लोग उस के घर से गुजरते समय उसे देखते हैं।

बोदागा विवाहित नहीं हैं। उन्हें परम्परागत चीनी लड़कियां बहुत पसंद हैं। उन की नजर में चीनी लड़कियां बहुत कोमल, मेहनती व बुद्धिमान हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें इसी तरह की लड़कियां पसंद हैं। शायद निकट भविष्य में वे एक चीनी लड़की से विवाह रचायें। चीनी भाषा सीखे उन्हें दस वर्ष से ज्यादा समय हो चुका है। बोदागा का कहना है कि उन्हें लगता है कि वे चीनी संस्कृति व सभ्यता से अलग होकर नहीं रह सकते। वे जर्मनी में रहें या चीन में, चीनी संस्कृति उन के जीवन का एक अभिन्न भाग बन गयी है।