चीनी पंचांग के अनुसार वसंत त्यौहार चीन में नए साल की शुरुआत की घोषणा करता है। शायद आप जानते हों कि चीन में 12 पशुओं को वर्ष-प्रतीक माना जाता है। इस तरह 12 वर्षों के चक्र को 12 पशुओं द्वारा विभाजित किया गया है। यह वर्ष श्वान वर्ष है। तो आज के इस लेख में हम आपसे चीन के वर्ष-प्रतीक पशुओं विशेषकर श्वान यानी कुत्ते के चीनी इतिहास में विशेष स्थान रखने की बात करेंगे।
चीन के 12 वर्ष-प्रतीक हैं- चूहा, बैल, बाघ, खरगोश, ड्रैगन, सांप, घोड़ा, बकरा, बंदर, मुर्गा, श्वान और सुअर। ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार पशुओं को प्रतीक मान कर वर्षों को विभाजित करने का तरीका प्राचीन चीन की मुख्य जाति हान और कुछ अल्पसंख्यक जातियों के वर्षों की गणना के तरीकों का संगम है। यह कथा भी प्रचलित है कि यह तरीका भारत से चीन आया। तो आइए इस बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करते हैं।
श्वानवर्ष आते-आते कुत्तों से जुड़ी कहानियां लोगों की जबान पर आने लगी हैं।
जैसा कि आप जानते हैं, कुत्ता मनुष्य का दोस्त है। उस की ईमानदारी, वफादारी और साहस की दुनिया भर में सराहना होती रही है। उत्तरी चीन की मानचु जाति के लोगों में कुत्ते के प्रति विशेष रुचि है। ऐसा इसलिए, क्योंकि उन के पूर्वज महाराजा नूरहछ का संबध कुत्ते से माना जाता है।
नूरहाछ 16वीं शताबदी के अंत और 17वीं शताब्दी के शुरू के बीच हुई चीन की एक ऐतिहासिक हस्ती थे। वे चीन के अंतिम सामंती राजवंश छिंग राजवंश के संस्थापक रहे। छिंग राजवंश से पहले मिंग राजवंश का शासन था। किंवदंती है कि एक बार मिंग राजवंश की सेना के साथ लड़ाई में नूरहाछ हार गए तो जान बचाने के लिए उन्हें घोड़े पर सवार होकर भागना पड़ा। उस समय उन का पीले बालों वाला पालतू कुत्ता भी उन के साथ था। भागते-भागते नूरहाछ एक पहाड़ की चोटी पर पहुंचे। यह चोटी सीधी खड़ी चट्टानों से बनी थी। उनके लिए और आगे भागने का रास्ता नहीं रहा तो वे अपना पीछा करने वाले मिंग राजवंशी सैनिकों से बचने के लिए मजबूर होकर इस चोटी से नीचे कूद पड़े। सौभाग्यवश घोड़े पर सवार रहने के कारण उन की मौत नहीं हुई, लेकिन वे बेहोश हो गये। पर क्षण भर में उन पर बड़ी संख्या में कौवे टूट पड़े। यह देखकर मिंग राजवंशी सैनिकों को भ्रम हुआ कि नूरहाछ मौत के मुंह में चले गए हैं, लेकिन इसे निश्चित करने के लिए उन्होंने ढेरों लकड़ियां जलाकर चोटी के नीचे पड़े नूरहाछ की ओर फेंकीं, ताकि वे जलकर राख हो जाएं। इसके बाद तेज आग और घने धुएं की ऊंची लपटें देखकर सैनिक वहां से हट गए पर इस के तुरंत बाद नूरहाछ के पालतू कुत्ते ने फौरन निकट की एक नदी में कूदकर खुद को पूरी तरह भिगो डाला और बहुत जल्द नूरहाछ के शरीर पर लगी आग भी बुझा दी। आखिरकार नूरहाछ बच निकले, पर उनका कुत्ता थकान और बुरी तरह झुलसने की वजह से मर गया। बाद में नूरहाछ ने चिंग नाम का एक राज्य कायम किया। अनेक वर्षों के विकास के बाद इस राज्य ने छिंग राजवंश का रूप लिया और पूरे चीन पर शासन करना शुरू किया। तब से कुत्ते को मानचु जाति अपना वफादार दोस्त मानती है। लम्बे अरसे से मानचु जाति में कुत्ते के शिकार, उस के मांस से बने आहार के सेवन और उस की खाल से बनी वस्तुओं के प्रयोग पर पाबंदी एक परंपरा की तरह चली आई है। मानचु जाति के लोग कुत्ते पालने पर बड़ा ध्यान देते हैं। वृद्ध कुत्ते के साथ तक वे अच्छा बर्ताव करते हैं, यहां तक कि उसे मरने के बाद सम्मान से दफनाते हैं। चीन की भूमी, लाकु और तिब्बती जैसी अल्पसंख्यक जातियों में भी कुत्तों के साथ ऐसी इंसानियत बरती जाती है।
कुत्ता मनुष्य के प्रति बहुत ईमानदार व वफादार होता है। चीनी लोककथा है कि ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में हान राजवंश के संस्थापक महाराजा ल्यूपांग ने असाधारण योगदान करने वाले अपने जनरलों को पुरस्कार स्वरूप "विशेष कारनामे करने वाले श्वान" की संज्ञा दी थी। 13वीं शताब्दी में य्वान राजवंश की स्थापना करने वाले चिंगकेस्ख़ा अपने 4 शक्तिशाली, जुझारू और साहसी जनरलों को श्वान के नाम से पुकारते थे। कुत्ते और घोड़े के काम की बात चीन में कहावत के रूप में प्रचलित है जो अपने मालिक के प्रति कुत्ते की ईमानदारी व वफादारी जाहिर करती है।
लोगों पर कुत्ते की आम छवि बहुत प्यारी और विनम्र है। कुत्ते की भौं-भौं का चीनी भाषा में उच्चारण वांग-वांग है। चीनी भाषा में वांग की ध्वनि का एक मतलब है समृद्धि, इसलिए चीन में कुत्ते को समृद्धि लाने वाला शुभ जानवर भी माना जाता है। अगर किसी के घर में कोई कुत्ता अचानक आ जाए, तो उस घर के लोग बिना हिचके उसे घर में रख लेते हैं। चीन में एक ऐतिहासिक अभिलेख का मानना है कि कुत्ता विपत्ति टालने में सक्षम है। इसलिए वह प्राचीन काल में बलिदान के लिए उपयोगी विशेष जानवरों में शामिल रहा। आज से लगभग 3000 साल पहले चो राजवंश में कुत्तों के पालन व प्रशिक्षण की देखरेख करने वाला पद तक स्थापित था। चीन की एक परीकथा में अर्हत अरलांग राक्षस पकड़ने के समय भौं-भौं नाम के एक कुत्ते को साथ रखता है, जो नाजुक घड़ी में उन की सहायता करता है।
नए साल के आगमन पर विश्व के बहुत से देशों और क्षेत्रों में चीनी श्वान वर्ष के उपलक्ष्य में डाक-टिकट जारी किये गये हैं। इस अवसर पर चीन द्वारा जारी किये गये डाक-टिकट का डिजाइन चीन की कागज कटाई की परंपरागत कला पर आधारित है, जिस पर अंकित काले बालों वाला लाल रंग के कपड़े में सजा कुत्ता बहुत प्यारा मालूम देता है। इस के अलावा कुत्ते की आकृतियों वाली हस्तशिल्प की वस्तुएं और खिलौने भी धड़ल्ले से बाजार में उतरे हैं, जो लोगों के आकर्षण का केन्द्र बन गये हैं। बहुस से लोग उन्हें शुभ मानकर खुले हाथ से उनकी खरीद करने से खुद को नहीं रोक पा रहे हैं।
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