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(GMT+08:00) 2006-03-03 15:03:36    
विदेशी लड़की के साथ शादी के बंधन में बंधे चीनी ह्वाई युवक

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श्री वांग चिनयुन चीन के सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश में रहने वाला एक साधारण ह्वाई जाति का युवा किसान है , लेकिन उन का शादी ब्याह असाधारण माना जाता है । किरगिजस्तान में नौकरी करने के दौरान उन का जीवन एक सुन्दर रूसी युवती के साथ जुड़ गया । कुछ महीने पहले वे उस रूसी युवती को स्वदेश चीन ले आये और दोनों का चीन में विवाह हुआ ।

26 वर्षीय वांग चिनयुन कद में ऊंचा नहीं है और रंग सांवला है, वह सिन्चांग की ह्वाई जाति के एक मेहनती किसान हैं । वर्ष 2004 के वसंत में वे स्थानीय चीनी सरकार द्वारा गठित किए गए श्रमिक दल के सदस्य के रूप में विदेश में मजदूरी करने गए । वे किरगिजस्तान की राजधानी के निकट एक कृषि फार्म में आए और वहां उन्हों ने टमाटर की खेती के लिए चार हैक्टर की भूमि ठेके पर ले ली ।

किरगिजस्तान में रहने के शुरूआती समय में श्री वांग चिनयुन को बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा , विशेष कर संपर्क के लिए भाषा की कठिनाई बहुत बड़ी थी , वे और स्थानीय किरगिजस्तानी लोग एक दूसरे की भाषा नहीं जानते हैं , इस से विचारों का आदान प्रदान नहीं हो पाने के कारण खेतीबाड़ी पर भी असर पड़ा । इसलिए श्री वांग चिनयुन के दिमाग में यह विचार आया कि वे किसी स्थानीय निवासी से भाषा सीखने के लिए मदद लें । इसी तरह सुश्री फेगोटोवा ओरिया उन के जीवन में आ गई ।

सुश्री फेगोटोवा ओरिया किरगिजस्तान की रूसी जाति की युवती है , ऊंचे और सुडौल शरीर वाली वह बहुत गोरी और सुन्दर है । उन का घर वांग चिन युन के कृषि फार्म के पास एक गांव में है , दोनों का जान पहचान खेतों में श्रम करने के दौरान हुआ । सुश्री ओरिया के साथ अपनी पहली मुलाकात की हालत की याद करते हुए श्री वांग चिनयुन ने कहाः

उस दिन आकाश में हल्की वर्षा हो रही थी , खेतों के पास वर्षा से बचने के लिए कोई स्थान नहीं था , केवल कुछ दूर खेतों के उस पार एक मंगोल तंबू था , हम लोग वहां चले गए । मैं टुटी फुटी रूसी भाषा बोल सकता हूं , पर ज्यादा बोल नहीं सकता । वर्षा से बचने के लिए बहुत से लोग तंबू में आए , सुश्री ओरिया भी साथ थी । उन की दो सहेलियां भी थीं , दोनों मेरे साथ रूसी भाषा में बोलने लगी , लेकिन मुझे ज्यादा समझ में नहीं आया । ऐसी ही हालत में हमारी पहली मुलाकात हुई थी ।

श्री वांग चिनयुन का निवास स्थान सुश्री ओरिया के घर के नजदीक था , जब वे कभी बाहर घूमने आए , तो अकसर उन की मुलाकात सुश्री ओरिया से हुई , ऐसे मौके पर सुश्री हमेशा बड़े उत्साह व स्नेह के साथ उन के साथ बातें करने पेश आयी और पहल के साथ उन्हें रूसी भाषा सीखाती रही ।

श्री वांग चिनय्वान जब कभी पास के पार्क में रूसी बोलने का अभ्यास करने गए , तो वहां भी दोनों की मुलाकातें होती रही । दोनों में जरूर कुछ देर बातचीत चलती रही । एक बार सुश्री ओरिया ने हाथ में कुछ भारी चीजें उठाने पर भी श्री वांग को एक घंटे तक रूसी सिखायी , जिस से वांग चिन य्वान बहुत प्रभावित हो गया । पर सुश्री ओरिया का कहना था कि वे स्वेच्छे से उन्हें सिखाती है । इस की चर्चा में उन्हों ने कहाः

जब कभी हम पार्क में मिले , तो मैं ने पाया कि वे वहां रूसी भाषा सीख रहे हैं , तो मैं आगे बढ़ कर उन्हें सिखाती हूं । हम इतना लगन से सीखते थे कि कड़ाके की गर्मी को भी भूल गए । श्री वांग चिनय्वान अध्ययनशील हैं , मैं स्वेच्छे से उन्हें सिखाना चाहती हूं , वे चीनी हैं , वहां उन के लिए काफी कठिनाइयां पड़ी , इसलिए मैं चाहती हूं कि वे जल्द ही रूसी भाषा सीख पाये , ताकि संपर्क के लिए उन की कठिनाइयां कम हो सके ।

सुश्री ओरिया की मदद से श्री वांग चिनयवान का रूसी भाषा स्तर खासा उन्नत हो गया । दोनों में विचारों का आदान प्रदान भी सुगम हुआ । वे आपस में बातचीत से एक दूसरे देश की हालत से बहुत परिचित हो गए और इस तरह सुश्री ओरिया श्री वांग चिनय्वान का अच्छा दोस्त बन गयी । चीनी युवक वांग बहुत मेहमनती और होशियार हैं , उन की ये श्रेष्ठता भी सुश्री ओरिया के दिल में घर कर गयी ।

अवकाश के समय और त्यौहार के दौरान सुश्री ओरिया श्री वांग चिनय्वान के निवास स्थान जाया करती थी , उन्हें खाना बनाने तथा कपड़े धौने में मदद करती थी । वे चाहती थी कि यहां वांग चिनय्वान को अपने घर का जैसा अनुभव मिल जाए ।

वर्ष 2005 के वसंत काल में किरगिजस्तान में श्री वांग चिनय्वान का काम समाप्त हुआ , लेकिन उन्हों ने स्वदेश लौटने का चुनाव नहीं किया , वे कजाखस्तान में टमाटर की खेती करने जाना चाहते थे , किन्तु सुश्री ओरिया को चिंता थी कि कजाखस्तान में खेती का काम बहुत भारी है , इसलिए उन्हें जाने की अनुमति नहीं दी , वांग चिनय्वान अपने इरादे पर कायम था , तो ओरिया को बहुत दुख हुई । उन्हें बिदा देने के समय उन्हों ने एक शब्द भी नहीं बोला । इसे देख कर वांग चिनयवान भी बहुत परेशान हुए । वे कहते हैः

उसी दिन मैं बहुत दुख हुआ , मैं ने पेयजल खरीदा , तो भी उस ने नहीं पिया । भोजन के समय उस ने बहुत कम खाया और आंखों में आंसू भर आयी । हम दोनों इतने नजीदक बन गए , एक दूसरे से अलग नहीं चाहते ।

श्री वांग चिन य्वानके कजाखस्तान में रहने के दौरान वे दोनों दूर रहते हुए भी एक दूसरे का ख्याल रखते थे , उस समय तेलीफोन उन के बीच दिल की बातें बताने का अच्छा साधन बन गया । जब कभी फुरसत मिली , तो सुश्री ओरिया जरूर वांग चिनय्वान को फोन करती थी ।

वे कह रही हैं कि जब वे कजाखस्तान में थे , मुझे हमेशा खोया खोया सा लगता था । उन के वहां का निवास स्थान सुविधापूर्ण नहीं था , मैं उन्हें तेलीफोन करती थी , पर अकसर संपर्क नहीं हो पाया । उस वक्त मैं बहुत परेशान हो रही थी । जब तेलीफोन का संपर्क हुआ , तो मैं खुशी के मारे फुल नहीं समायी ।

सुश्री ओरिया की याद में वांग चिनय्वान कजाखस्तान में केवल एक महीने ठहर सके , वे जल्दी ही किरगिजस्तान वापस लौटे और उन दोनों में प्रेम का बंधन और मजबूत हो गया । वे जानते थे कि वे एक दूसरे से जुदा नहीं हो सकते । तब श्री वांग चिनय्वान ने सुश्री ओरिया के साथ शादी कर स्वदेश ले जाने का फैसला किया । शुरू में ओरिया के मां बाप इस पर जारी नहीं थे , लेकिन वांग चिनय्वान के सुचरित्र और मेहनत की खूबियों ने उन्हें बहुत प्रभावित किया और अंत में वे दोनों की शादी ब्याह पर सहमत हो गए ।

श्री वांग चिनय्वान ने तुरंत यह खुशखबरी अपने मां बाप को भेजी , वे भी अत्यन्त खुश हुए और दोनों की बाट जोहने लगे । वर्ष 2005 के नवम्बर के अंत में वांग चिनय्वान सुश्री ओरिया को साथ ले कर चीन वापस लौटे , अपनी जन्म भूमि में दोनों की चीनी परम्परागत विवाह प्रथा के अनुसार शादी हुई , वांग के पूरे कस्बे के लोग उन के घर आ गए और उन्हों ने इन अन्तरदेशीय विवाहित नव दंपत्ति को ढेर सारी बधाई दी । अब वांग चिनय्वान का परिवार बहुत सुख और मेलमिलाप से भरा हुआ है , सास सु लानयंग अपनी इस विदेशी बहु को बहुत प्यार करती हैं , उन का कहना हैः

हमारी बहु बहुत सुशील और अच्छी है , मैं उस के साथ बहुत सी बातें करना चाहती हूं , पर भाषा नहीं जानती हूं , हम दोनों अकसर हाथों के इशारे से बात करती हैं , मैं उसे अपनी सगी बेटी समझती हूं । वे अपने मां बाप से बहुत दूर हैं , यहां उस के साथ बातें कर सकने वाले लोग कम हैं , मुझे डर है कि वे अकेलापन महसूस करती है , इसलिए मैं हर तरह के तरीके से उस का ख्याल करती हूं ।

अपने नए परिवार में घुल मिल जाने के लिए सुश्री ओरिया अब मेहनत से चीनी भाषा सीख रही है । जब भाषा की समस्या हल हुई , तो उन का जीवन और सुखमय और आरामदेह होगा । अपने कैरियर के विकास के लिए नव विवाहित दंपति ने यह फैसला भी लिया है कि वे फिर किरगिजस्तान जाएंगे , वहां कृषि उत्पादन का जोरदार विकास करेंगे । वे समझते हैं कि उन का यह अन्तरदेशीय विवाह अवश्य और बेहतर हो जाएगा ।