प्रिय दोस्तो , चीन का भ्रमण कार्यक्रम फिर आप के सेवा में प्रस्तुत है । चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के बारे में आप कुछ न कुछ जानते ही नहीं , इसी क्षेत्र के सब से प्राचीन राजमहल के नाम से प्रसिद्ध युंपुलाखांग भवन से जुड़ी कुछ जानकारी से भी परिचित हैं । आज के चीन का भ्रमण कार्यक्रम में हम आप को तिब्बत में स्थापित प्रथम राज महल युंगपुलाखांग भवन का दौरा भी करने जा रहे हैं ।
इस राज महल में कार्यरत भिक्षु लोसांगयुंतान का कहना है कि पांचवें दलाई के काल में युंगपुलाखांग महल ह्वांग पीले धर्म के मठ के रूप में बदल गया था, बाद में बौद्ध सूत्रों का और अच्छी तरह अध्ययन करने के लिये गढ़ के ऊपर चार कोनों वालीं नुकीली छतें निर्मित हुईं , अब इन छतों के कुछ कमरे बहुत से उच्च स्तरीय भिक्षुओं द्वारा सूत्रों का अध्ययन करने की विशेष जगहें बन गयी हैं । भिक्षु लोसांगयुंगतान ने आगे कहा कि आजकल यहां 11 प्रसिद्ध उच्च स्तरीय भिक्षु बौद्ध सूत्रों पर शोध करने में संलग्न हैं , इस के अतिरिक्त विशेष तौर पर दलाई लामा के लिये एक शयन कक्ष भी सुरक्षित रखा गया है । प्रतिदिन हजारों स्थानीय अनुयायी और देशी विदेश पर्यटक यहां आते हैं ।
युंगपुलाखांग महल के प्रति शान्नान क्षेत्र के स्थानीय लोगों के बीच असाधारण भावना व्याप्त है । तिब्बत के शान्नान क्षेत्र के पर्यटन ब्यूरो के प्रधान छ्यो लिन ने कहा कि तिब्बत जाति के दिल में युंगपुलाखांग महल तिब्बती सभ्यता का प्रतीक है , समूचे तिब्बत पर इस महल का बड़ा प्रभाव है । युंगपुलाखान महल तिब्बत में सब से प्राचीन राजमहल के रुप में जाना जाता है , और उस का अलग स्थान भी बेहद उल्लेखनीय है । क्योंकि वह विशाल घास मैदानों से चरागाहों और चलते फिरते पशु पालन समाज से स्थिर कृषि समाज के रूप में बदलने का परिचायक है , बौद्ध धर्म की दृष्टि से युंगपुलाखांग महल शकुन का स्थल भी है ।
62 वर्षीय तिब्बती किसान वांगत्वीचेपू बहुत स्वस्थ नजर आते हैं , वे हर रोज अपनी पत्नी के साथ चाशित्सेर पवर्त पर चढ़कर सूत्र कंठस्थ करते हुए युंगपुलाखांग महल के चारों ओर
चक्कर लगाते हैं । उन्होंने बहुत गर्व के साथ कहा कि 1983 में उन्होंने युंगपुलाखांग महल के जीर्णोंद्धार में भाग लिया था । वे हर रोज यहां आकर अपनी उम्र के हिसाब से युंगपुलाखांग के चक्कर लगाते हैं ।
मैं युंगपुलाखांग महल के बगल में रहता हूँ , हर रोज मैं यहां आकर सूत्र पढ़ते हुए युंगपुलाखांग के चक्कर लगाता हूं । हम स्थानीय लोग शान्नान क्षेत्र में इतना शानदार राजमहल होने पर बहुत गर्व महसूस करते हैं ।
चाशित्सेर पर्वत की तलहटी में कुछ स्थानीय तिब्बती लोग युगपुलाखांग राजमहल तक जाने के लिये घोड़ों व सुलगायों का इस्तेमाल करते हैं । हरेक घोड़े व सुलगाय के शरीर पर बहुत सुंदर काठी बिछायी जाती है । आम तौर पर कुछ पर्यटकों को प्रथम बार यहां आने के बाद सांस लेने में दिक्कत होती है , इसे ध्यान में रखकर स्थानीय लोग पर्यटकों को पर्वत चढ़ने में सुविधा प्रदान करने के लिये घोड़े या सुलगाय की सेवा प्रदान करते हैं । तिब्बती किसान वांगचू उन में से एक है । उसने कहा कि उसे यह काम करते हुए पांच साल हो गये हैं ।
युगपुलाखांग राजमहल जहां पर स्थित है , वहां की ऊंचाई बहुत है , किसी भी वाहन के लिये पर्वत पर जाना असम्भव है , इसलिये हम इस कठिनाई को दूर करने के लिये पर्यटकों को घोड़े व सुलगाय की सेवा प्रदान करते हैं । सुलगाय पठार की धरोहर है , और विदेशी पर्यटकों को बहुत पसंद है । यदि पर्यटक ज्यादा आते हैं , तो औसतन हर रोज हम 50 य्वान कमा सकते हैं , महीने में 1800 य्वान तक कमाते हैं । इस सेवा कार्य में लग जाने के बाद मेरा परिवार पहले से अधिक खुशहाल हो गया है ।
वांगच्यू ने इस की चर्चा में कहा कि उन के गांव के कुल 94 परिवारों में से 13 परिवार अब इसी सेवा कार्य में लग गये हैं । पर्यटन के अवकाश समय में सुलगाय खेतों के काम में प्रयुक्त होती हैं , अब स्थानीय तिब्बती लोगों को खेतीबाड़ी और पर्यटन से साल में औसतन दस हजार य्वान से अधिक आय हो जाती है ।
चाशित्सेर पर्वत पर स्थापित प्राचीन राजमहल में खड़े होकर छज्जों के नीचे लटकी हुई घंटियों की मधुर आवाज सुनने में बड़ा अच्छी लगती है । दूर से देखें , तो लहलहाते खेत हवा के झोंको में हिलते हुए दिखाई देते हैं , नीले आकाश के नीचे पेड़ों के बीच कतारों में खड़े ग्रामीण मकानों की झलकियाँ देखकर मन मंत्रमुग्ध हो जाता है ।
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