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(GMT+08:00) 2006-03-01 16:46:54    
चीन के देहातों में संपूर्ण चिकित्सा सेवा-व्यवस्था लागू की जाएगी

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चीनी जनसंख्या का 60 प्रतिशत भाग यानी लगभग 75 करोड़ लोग देहातों में रहते हैं । देश की वर्तमान विकासशील स्थिति में यह स्वाभाविक है कि चीन के देहातों में चिकित्सा सेवा का स्तर शहरों की तुलना में इतना अच्छा नहीं है । पर चीन सरकार किसानों के स्वास्थ्य तथा उन की चिकित्सा सेवा के सुधार को बहुत महत्व देती है । इसलिये कुछ समय पूर्व ही चीन सरकार ने घोषित किया कि भावी पांच सालों के अन्दर चीन के देहातों में संपूर्ण चिकित्सा सेवा-व्यवस्था लागू की जाएगी ।

शहरों की तुलना में चीन के देहातों में चिकित्सा सेवा-व्यवस्था का अभाव रहता आया है । आंकड़े बताते हैं कि देश में चिकित्सा सेवा व्यवस्था के अस्सी प्रतिशत संसाधन शहरों , खासकर शहरों के बड़े अस्पतालों में ही दिखाई पड़ते हैं । उधर देहातों में चिकित्सा सेवा-व्यवस्था ही नहीं , चिकित्सकों का अभाव भी मौजूद रहता है । किसानों को स्वास्थ्य बनाये रखने के लिए कोई चिकित्सीय गारंटी की सुविधा नहीं है । और इस के अतिरिक्त किसानों की चिकित्सा प्रतिभूति व्यवस्था भी नहीं है । किसानों को अस्पताल में उपचार लेने का खर्चा स्वयं ही उठाना पड़ता है । ऊपर से शहरी नागरिकों की तुलना में किसानों की आय भी अपेक्षाकृत कम है , चिकित्सा का भारी खर्च उठाना उन के लिये इतना आसान नहीं हैं । आज चीन के अपेक्षाकृत अमीर देहातों में किसानों की औसत वार्षिक आय चार हजार यवान है । और ऐसे क्षेत्र में प्रति किसान के लिए प्रति माह का उपभोक्ता खर्च केवल तीन सौ यवान रहता है । लेकिन चीन के अस्पतालों में किसी गंभीर रोग का इलाज करवाने के लिए हजारों यवान का खर्च चाहिये । इसी वजह से चीन के किसानों में अधिकांश लोग कोई रोग लगने या अस्पताल जाने से डरते हैं ।

मध्य-चीन के हूपेइ प्रांत के किसान श्री चांग ने कहा , उन के घर के लिए सौ दौ सौ यवान का खर्च भी बड़ी रकम है । इसलिए गांव वासियों को रोग लगने पर या तो घर में आराम करना पड़ता है , या छोटी दुकानों से कुछ दवा आदि खरीद कर वे अपना काम चला लेते हैं । आम तौर पर वे अस्पताल में डाक्टर को दिखाने नहीं जाते हैं ।

उत्तरी-चीन के हूपेइ प्रांत के एक किसान श्री चांग ने बताया कि उस के घर के लिए सौ यवान दो-सौ यवान का खर्चा करना भी भारी बोझ है । इसलिए रोग लगने के बावजूद आम तौर पर वे अस्पताल नहीं जाएंगे ।

किसानों को चिकित्सा-सेवा प्रदान करने के लिए चीन सरकार ने वर्ष 2003 से ही नये किस्म वाली ग्रामीण सहयोग चिकित्सा-व्यवस्था की व्यवस्था करनी शुरू कर दी थी । इस ग्रामीण सहयोग चिकित्सा-व्यवस्था में किसानों की सेवा के लिए एक चिकित्सा-कोष स्थापित किया जाएगा , जिसमें केंद्र,स्थानीय सरकार और खुद किसानों के द्वारा कुछ रकम डाली जाएगी । बीमारी की स्थिति में किसान इस कोष से कुछ चिकित्सा खर्च निकाल सकेंगे ।

कुछ जगहों में परीक्षण के रूप में ऐसी व्यवस्था की स्थापना की गयी है,और इससे किसानों को बड़ा लाभ मिला है । हूपेइ प्रांत के एक किसान श्री मा को जन्म से ही हृदय-रोग था । खर्च की आशंका में वह लम्बे अरसे तक अस्पताल नहीं गया । वर्ष 2003 में उस के गांव में जब सहयोगी चिकित्सा-व्यवस्था लागू की गयी , तभी उस की मदद से श्री मा के ह्रदय का आपरेशन हुआ , और आपरेशन पर होने वाले कुल खर्च का बीस प्रतिशत सहयोगी-चिकित्सा कोष ने उठाया ।

दक्षिण पश्चिमी चीन के सिछ्वान प्रांत में भी सहयोगी चिकित्सा व्यवस्था लागू की जाने लगी है । इस इलाके के एक वरिष्ठ अधिकारी श्री सेनलीन ने कहा कि सहयोगी चिकित्सा-व्यवस्था लागू करने के बाद अधिक किसान रोग का इलाज करवाने के लिए अस्पताल जाने लगे हैं । और किसानों पर चिकित्सा-खर्च का बोझ पहले से कम हो गया है । इसी के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी चिकित्सा-संस्थाओं की आय भी बढ़ी है । इसतरह ये ग्रामीण क्लीनिक चिकित्सा उपयोगी उपकरण खरीदने , अपने कर्मचारियों का प्रशिक्षण करवाने तथा अपने चिकित्सा स्तर को उन्नत करने में भी समर्थ होने लगे हैं । हूपेइ प्रांत के मूशी टाउनशिप के क्लीनिक के डाक्टर श्री हू ने कहा कि उन के क्लीनिक में पहले एक दिन में आठ- नौ रोगी आते थे । आजकल यह संख्या बीस-तीस को पार कर चुकी है । इस तरह किसान और अस्पताल दोनों को लाभ हुआ है ।

नये किस्म वाली सहयोगी चिकित्सा-व्यवस्था के अच्छे परिणामों के मद्देनजर चीन सरकार ने इस साल से इस व्यवस्था में भाग लेने वाले किसानों को अधिक भत्ता देने का फैसला लिया है। और इस व्यवस्था का फैलाव क्षेत्र भी क्रमशः बढ़ाया जाएगा । भावी पांच सालों में देश भर में ऐसी व्यवस्था का विस्तार किया जाएगा । चीनी चिकित्सा मंत्रालय के मंत्री श्री क्वौ छिआन के मुताबिक चीनी केंद्र सरकार के अलावा स्थानीय सरकारों को भी सहयोगी चिकित्सा व्यवस्था में भाग लेने वालों को भत्ता देना चाहिये । इसतरह ही ऐसी नयी व्यवस्था के विकास को मदद मिल सकती है ।

चीनी चिकित्सा मंत्रालय द्वारा कुछ समय पूर्व प्रकाशित पंचवर्षीय रूपरेखा में कहा गया है कि भावी पांच सालों में चीन सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में नये किस्म वाली सहयोगी चिकित्सा-व्यवस्था की स्थापना में कुल बीस अरब यवान की पूंजी डालेगी । इस काम के दौरान बुनियादी चिकित्सा संस्थाओं में कार्यरत चिकित्सकों की दक्षता और उपकरणों का सुधार किया जाएगा और साथ ही हर वर्ष शहरों में कार्यरत हजारों चिकित्सकों को देहातों में भेजा जाएगा , ताकि वहां की चिकित्सा सेवा के स्तर को उन्नत किया जा सके ।