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(GMT+08:00) 2006-02-23 09:24:32    
छांग चू मठ का दौरा

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हमारे साथ बातचीत करते-करते वह किसी गाईड की तरह बताने लगा, छांग चू मठ दक्षिणी तिब्बत के शान नान इलाके में स्थित है और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा शहर से दूर नहीं है। यह मठ प्रतिदिन सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक खुला रहता है। छांगचू मठ का भ्रमण पूरा करने में लगभग 90 मिनट लगते हैं। पर्यटक इस क्षेत्र के चेह तांग कस्बे से बस से सीधे छांग चू मठ पहुंच सकते हैं और रिक्शे के जरिये भी छांगचू मठ आ सकते हैं। छांगचू मठ तिब्बत के सब से प्राचीन युंगपूलाखांग महल से भी दूर नहीं है , यदि आप के पास पर्याप्त समय हो, तो यहां से युंगपूलाखांग महल के भ्रमण पर भी जाया जा सकता है।

प्रिय दोस्तो , पहले हम इसी चीन का भ्रमण कार्यक्रम में बता चुके हैं कि चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की नाई तुंग कांउटी के दक्षिण भाग में स्थित छांग चू मठ का निर्माण सातवीं शताब्दी यानी तिब्बती राजा सुंग चान कान पू के शासनकाल में हुआ और वह चीन के तिब्बत के सब से पुराने मठों में से एक माना जाता है। यहां महाघंट और थांग का नामक विशेष स्थानीय कलात्मक कृतियां धरोहर के रूप में संरक्षित हैं।

आज के इसी कार्यक्रम में हम आप को तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में स्थित छांग चू मठ के अंदर ले चलते हैं।

छांग चू मठ के बारे में आज तक प्रचलित सुंदर किम्वदंती लोगों के जुबान पर ही नहीं , वहां सुरक्षित सबसे बेशकीमती वस्तु उसकी पुराने मोती अवशेषों से तैयार थांग का कलात्मक कृति और अधिक आकर्षक भी है। प्रशंसनीय बात बै कि लम्बे ऐतिहासिक दौर में एक के बाद एक राजवंशों के उभरने या युद्धों से ग्रस्त होने पर भी यह थांग का कृति आज तक हू ब हू सुरक्षित है जो सचमुच देखने लायक है। छांगचू मठ के दूसरे भवन में सुरक्षित जीवंत भित्तिचित्र भी कम चर्चित नहीं है ।

इतना ही नहीं , वर्तमान में इस छांग चू मठ में लगभग 50 भिक्षु रहते हैं और बुद्ध शाक्यमुनि की पूजा करते हैं और बौद्ध सूत्र का जीजान से अध्ययन करते रहते हैं । वहां हमारी मुलाकात एक युवा भिक्षु त्से रन से हुई। उस ने बताय कि उस की उम्र बीस साल है और उसे इस मठ में आये हुए आठ साल हो गये हैं।

मैं छांग चू मठ में आठ साल से रह रहा हूं, मेरी उम्र बीस साल है। मैं इस मठ में हर रोज बौद्ध सूत्र पढ़ने के साथ झाड़ू लगाने, मेज पोंछने जैसे दूसरे सामान्य दैनिक काम भी संभालता हूं। आगे मैं बौद्ध सूत्रों का अध्ययन करने के साथ मानक चीनी भाषा या हान भाषा और अंग्रेजी भाषा सीखना भी चाहता हूं , ताकि अधिकाधिक देशी-विदेशी पर्यटकों को बौद्ध धर्म और उसके मठों की ज्यादा से ज्यादा जानकारी देने में सक्षम हो जाऊं।

हमारे साथ बातचीत करते-करते वह किसी गाईड की तरह बताने लगा, छांग चू मठ दक्षिणी तिब्बत के शान नान इलाके में स्थित है और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा शहर से दूर नहीं है। यह मठ प्रतिदिन सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक खुला रहता है। छांगचू मठ का भ्रमण पूरा करने में लगभग 90 मिनट लगते हैं। पर्यटक इस क्षेत्र के चेह तांग कस्बे से बस से सीधे छांग चू मठ पहुंच सकते हैं और रिक्शे के जरिये भी छांगचू मठ आ सकते हैं। छांगचू मठ तिब्बत के सब से प्राचीन युंगपूलाखांग महल से भी दूर नहीं है , यदि आप के पास पर्याप्त समय हो, तो यहां से युंगपूलाखांग महल के भ्रमण पर भी जाया जा सकता है।

युंगपूलाखांग महल ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में तिब्बत के प्रथम राजा न्येचिचानपू के शासनकाल में निर्मित हुआ। पहले वन छंग राजकुमारी यहां रहती थीं, पर बाद में ल्हासा में निर्मित पोताला महल में रहने लगीं। इसके बाद वे सिर्फ गर्मी से बचने के लिए ही युगपूलाखांग महल में कुछ दिन बिताने आती रहीं। कहा जाता है कि चीन के थांग राजवंश की राजकुमारी वन छंग की शादी तिब्बत के 33 वें राजा सुंगचांगकांगपू के साथ हुई थी। राजकुमारी वन छंग तिब्बत में प्रवेश करने के बाद प्रथम गर्मी में इसी युगपूलाखांग महल में रहीं। सातवीं शताब्दी में तिब्बती राजा सुंगचांगकांगपू ने छिंगहाई तिब्बत पठार का एकीकरण करने के बाद ल्हासा शहर को राजधानी का रूप दिया और शाननान क्षेत्र में युंगपुलाखांग महल राजा सुंगचांगकांगपू और राजकुमारी वन छंग के ग्रीष्मावास के नाम से जाना जाने लगा। गर्मियों में वे दोनों गर्मी से बचने के लिए यहां चंद दिन गुजारा करते थे।

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