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चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के लिन ची प्रिफैक्चर की राजधानी बा यी कस्बे में एक महिला-बाल अस्पताल है। तिब्बत की यात्रा के दौरान मुझे इस अस्पताल का दौरा करने का मौका मिला और मैंने अस्पताल की उप प्रधान छङ य्वू छिंग से भी मुलाकात की। आज के इस लेख में मैं आप को सुनाऊंगी तिब्बत की सहायता करने के लिए भीतरी इलाके के फ़ू च्येन प्रांत से यहां पहुंची इस महिला कर्मचारी की कहानी और आप यह महसूस कर पायेंगे कि तिब्बत से इस कर्मचारी को कितना प्यार है।
लिन ची महिला-बाल अस्पताल की स्थापना वर्ष 1990 में हुई। यह स्थानीय महिलाओं व बच्चों के की स्वास्थ्य रक्षा व परिवार नियोजन का मार्गदर्शक केंद्र है। अस्पताल में महिला रोग विभाग, प्रसूति विभाग बाल रोग विभाग और आपरेशन केंद्र आदि हैं। 38 वर्षीय छङ य्वू छिंग इस अस्पताल की उप प्रधान हैं। वे बहुत जोशीले व खुले स्वभाव की महिला हैं। उन के साथ बातचीत करते समय मैंने बहुत हल्कापन महसूस किया।
इस साक्षात्कार में सुश्री छङ य्वू छिंग ने बताया कि तिब्बत आने के पूर्व वे भीतरी इलाके के फडू च्येन प्रांतीय महिला अस्पताल में 15 साल तक काम करती रहीं। अपनी प्रतिभा और मेहनत से उन्होंने अस्पताल के कर्मचारियों और रोगियों का सम्मान हासिल किया। वर्ष दो हज़ार चार के जुलाई माह में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की सहायता के लिए भीतरी इलाके से आने वाले कर्मचारियों की दूसरी खेप के एक सदस्य के रूप में वे तिब्बत आयीं। उन्होंने कहा कि वे तिब्बत में चिकित्सा व स्वास्थ्य के विकास के लिए योगदान करने को तैयार हैं।
सुश्री छङ य्वू छिंग ने कहा कि तिब्बत आने के बाद उन्हें पता चला कि यहां के किसानों व चरवाहों को अस्पताल जाने की आदत नहीं है और महिलाओं व बच्चों की स्वास्थ्य रक्षा का विचार भी उनमें बहुत उन्नत नहीं है। यातायात की असुविधा के कारण गर्भवती महिलाएं घरों में बच्चों को जन्म देती हैं। इस कारण तिब्बत में गर्भवतियों और बच्चों की मृत्यु की दर भीतरी इलाके से कहीं ऊंची है। इसके साथ ही स्थानीय अस्पताल के बुनियादी संस्थापन सरल हैं और स्थानीय डाक्टरों को संबंधित तकनीकें भी कम ही हासिल हैं । इस स्थिति को देख कर सुश्री छङ य्वू छिंग चिंतित हैं पर उन्हें आशा है कि तिब्बत के अपने तीन सालों के कार्यकाल में वे स्थानीय चिकित्सा व स्वास्थ्य कार्य के विकास के लिए कुछ वास्तविक काम कर सकेंगी। वे अक्सर चिकित्सा दल गठित कर स्थानीय काउंटी जाकर महिलाओं व बच्चों की स्वास्थ्य रक्षा संबंधित जानकारी का प्रचार करती हैं और ग्रामीणों व चरवाहों को बीमारियों के इलाज के लिए अस्पताल जाने को प्रेरित करती हैं। इस के साथ ही वे स्थानीय डाक्टरों को पर्याप्त चिकित्सीय जानकारी देती हैं और उन का ऑपरेशन में मार्गदर्शन करती हैं। सुश्री छङ य्वू छिंग ने कहा
"स्थानीय डाकटरों में इलाज की तकनीक की कमी है। मुझे लगता है कि उन्हें चिकित्सा की प्रगतिशील जानकारी देना जरूरी है। मैं यहां की विशेषता के अनुसार उन्हें सिखाती हूँ । यहां के अस्पतालों के बुनियादी संस्थापन अच्छे नहीं है। ऑपरेशन के समय मैं पूरे धैर्य के साथ उन्हें कदम ब कदम सारी जानकारी देती हूं और काम काज के समय उन्हें भीतरी इलाके की प्रगतिशील तकनीक भी बताती हूँ।"
स्थानीय डाकटरों की चिकित्सीय जानकारी और तकनीकी क्षमता के कम होने की स्थिति को देख कर सुश्री छङ य्वू छिंग अपने अस्पताल में स्थानीय डाक्टरों को पढ़ाने के साथ उनके साथ अकादमिक आदान- प्रदान भी करती हैं। उन की प्रेरणा से यहां के डाक्टर और मेहनत से काम करने लगे हैं। वे अब चिकित्सा की किताबें पढ़ते हैं और आपस में विचारों का आदान-प्रदान करते हैं । इस की चर्चा में सुश्री छङ य्वू छिंग ने कहा
"अस्पताल के संसाधन अच्छे नहीं है, तो भी डाक्टरों की क्षमता सब से महत्वपूर्ण है। अगर यहां बुनियादी संस्थापन अच्छे हों और उन का प्रयोग करने वाले सुयोग्य डाक्टरों की कमी हो, तो भी रोगियों को कोई सुविधा नहीं मिलेगी। मेरा विचार है कि यहां सुयोग्य डाक्टरों की भारी आवश्यक्ता है और ऐसे सुयोग्य व्यक्तियों का प्रशिक्षण बड़ा महत्वपूर्ण है। लिन ची प्रिफैक्चर के महिला-बाल अस्पताल को इस क्षेत्र के प्रिफैक्चर स्तर के एक मात्र अस्पताल होने के चलते ज्यादा सुयोग्य डाक्टरों की जरूरता है। तीन से पांच वर्षों के भीतर हम ऐसे यहां सुयोग्य व्यक्तियों को प्रशिक्षित कर सकेंगे , लेकिन मेरा विचार है कि तिब्बत की सहायता के लिए लम्बा समय चाहिए।"
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