प्रिय दोस्तो , पहले चीन का भ्रमण कार्यक्रम में हम आप को पेइचिंग स्थित पुराने राज प्रासाद के दौरे पर ले गये हैं , आज के चीन का भ्रमण कार्यक्रम में हम फिर इसी राज महल के समूह के नये जीर्णोंद्धार भवन के दौरे पर ले चलेंगे।
चीन की राजधानी पेइचिंग के केंद्र में स्थित पुराने राज प्रासाद का चीन के इतिहास में विशेष स्थान है।
आप को पता भी है कि इस जीर्णोद्धार परियोजना को शुरू हुए दो साल हो गये हैं, पर गत माह से ऊ इंग त्येन भवन ही नयी सूरत में सामने आया है।
ऊ इंग त्येन भवन पुराने राज प्रासाद की बायीं ओर खड़ा है। राज प्रासाद के मुख्य द्वार में प्रविष्ट होकर कुछ कदम चलने के बाद यह भवन नजर आता है। ऊ इंग त्येन भवन एक बृहत भवन है और यहां पहले राजा रहते थे और मंत्रियों के साथ बैठक करते थे। बाद में इसे एक प्रकाशन गृह का रूप दिया गया। छिंग राजवंश काल में हजारों ग्रंथों का संकलन और प्रकाशन इसी भवन में किया गया। अब पुनर्निर्मित ऊ इंग त्येन भवन में निखार आ गया है। पिछले दो सालों तक चले इस बृहत भवन के जीर्णोद्धार में इस पर सोने के पत्तर लगाना सब से महत्वपूर्ण कार्य रहा। भवन के बाहरी भाग पर सोने के पत्तर लगाने के अतिरिक्त इंजीनियरों व मजदूरों ने दूसरी जीर्णोद्धार परियोजना पूरी करने में भी अत्यन्त सावधानी बरती। पुराने राज प्रासाद की गाइड सुश्री चांग श्यो य्वे ने इस बारे में बताया ऊ इंग त्येन भवन के जीर्णोद्धार में देवदार की जिन लकड़ियों का प्रयोग किया गया, वे सब की सब सीधे उत्तर-पूर्वी चीन से लायी गयीं, जबकि इस भवन पर लगे रंगीन खपरैल पेइचिंग के पश्चिमी उपनगर में स्थित मन थाऊ काऊ में विशेष तौर पर तैयार किए गये। नयी तकनीक और नयी किस्म की सामग्री से तैयार ये रंगीन खपरैल दिखने में ही सुंदर नहीं हैं, बहुत टिकाऊ भी हैं। अब ऊ इंग त्येन भवन पुराने राज प्रासाद में संरक्षित मूल्यवान प्राचीन ग्रंथों, पुरानी लिपि व चित्र कलाकृतियों का प्रदर्शनी स्थल बन गया है। संयोग की बात है कि ऊ इंग त्येन भवन में हमारी मुलाकात पेइचिंग विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के शोध छात्र वांग फेइ से हुई । उस ने कहा कि मैं पहली ही बार ऊ इंग त्येन भवन आया हूं। इससे मुझे बहुत अच्छा लगता है । हम इस स्थल पर उत्पन्न कहानियों का स्पर्श कर सकते हैं। यहां प्रदर्शित बेशकीमती प्राचीन ऐतिहासिक ग्रंथों को देखकर लगता है मानो हम एक महापुस्तकालय में प्रविष्ट कर गये हों। ऊ इंग त्येन भवन का जीर्णोद्धार पुराने राज प्रासाद की मरम्मत परियोजना का एक नमूना भर है। इस समय पुराने राज प्रासाद के जीर्णोद्धार के और मुद्दों पर भी जोर-शोर से काम चल रहा है। पुराने राज प्रासाद के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित राजाओं के मनोरंजन व विश्राम गृह च्वान छिन चाय भवन का जीर्णोद्धार भी पूरा होने वाला है। अपने ढंग का यह भवन 2006 में ही पर्यटकों के लिए खुल जायेगा। च्वान छिन चाइ भवन का क्षेत्रफल बहुत बड़ा नहीं है, सिर्फ कुछ सौ वर्गमीटर है, पर उस का बड़ा नाम है । छ्वान छिन चाइ भवन की छत, पश्चिमी व उत्तरी दीवारों पर विविध चित्र अंकित हैं । प्रशंसा की बात है कि इस भवन की छत पर जो चित्र दिखते हैं, वे यूरोपीय गिरजों की छतों पर अंकित चित्रों की नकल हैं। ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है। छवान छिन चाइ भवन की छत के इन चित्रों का इतिहास कोई दो सौ वर्ष पुराना है और उन का कैथोलिक धर्म से वास्ता रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार ये चित्र यूरोप के एक पादरी व प्रसिद्ध चित्रकार ज्योस्पे अस्तिलियोने के चीनी शिष्यों ने बनाये। यों कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि खुद ज्योस्पे अस्तिलियोने ये चित्र तैयार करने में शामिल रहे। छ्वान छिन चाइ भवन की पूरी छत पर लतादार पेड़ चित्रित हैं। उनकी लताओं पर बैंगनी रंग के फूल खिलते दिखते हैं। रोचक बात यह है कि यदि कोई पर्यटक इस भवन के बीचोंबीच खड़ा होकर ऊपर देखे, तो खिले हुए फूल को ठीक अपने सिर के ऊपर लटका महसूसता है और इस फूल के गिर्द बेशुमार खिले फूल देखता है। पुराने राज प्रासाद के संग्रहालय में कार्यरत सुश्री शू वन चिंग छ्वान छिन चाइ भवन की मरम्मत में शामिल रहीं। उन्हों ने मरम्मत के काम का परिचय इस तरह दिया कि यह अपनी किस्म के वातावरण से ओतप्रोत एक कला स्थल है। चीन की परम्परागत कलाकृतियों में इस से मिलता-जुलता उदाहरण देखने को नहीं मिलता। चित्रकला की दृष्टि से देखें तो इन कृतियों में गहरी यूरोपीय शैली नजर आती है। तत्कालीन यूरोप में गिरजों की छतों पर चित्रण आम बात थी। चीन, अमरीका और इटली आदि देशों के सात विशेषज्ञ एक साल से भी अधिक समय से पूरी लगन व परिश्रम से इन कलाकृतियों के संरक्षण में पूरी तरह जुटे हुए हैं। छ्वान छिन चाइ भवन का जीर्णोद्धार पूरा होने वाला है। हमें विश्वास है कि पुराना राज प्रासाद जल्द ही एक नयी सूरत में सामने आयेगा।
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