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(GMT+08:00) 2006-02-14 17:54:52    
तिब्बत की शिक्षा व संस्कृति के विकास के लिए

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श्री ये लिन जोशीले स्वभाव के हैं और उन्हें संगीत बहुत पसंद है। मेरे साथ साक्षात्कार के पूर्व उन्होंने एक तिब्बती गीत गाया। श्री ये लिन ने बताया कि उन्हें तिब्बती संस्कृति व संगीत बहुत पसंद हैं। गीत गाते हुए श्री ये लिन उसकी धुन के साथ नाचे भी। इस तिब्बती गीत ने हमारी दूरी कम कर दी।

वर्ष 2004 के जून माह में श्री ये लिन भीतरी इलाके के फ़ू च्येन प्रांत से तिब्बत की सहायता के लिए पहुंचे। आम दिनों में वे तिब्बती संस्कृति के अनुसंधान में लगे रहते हैं। उन के विचार में तिब्बत का इतिहास व सभ्यता बहुत पुरानी है। तिब्बती भाषा ने इस सभ्यता को आज तक जारी रखा और यह तिब्बती संस्कृति के विकास का साधन भी है।

तिब्बती चिकित्सा और तिब्बती जड़ी-बूटी के विकास का भी बहुत पुराना इतिहास है। वर्तमान में तिब्बती चिकित्सा तिब्बत में ही नहीं विश्व भर में मशहूर है। श्री ये लिन का विचार है कि तिब्बती चिकित्सा के विकास को और गति दी जानी चाहिए। उन्होंने तिब्बत में काम करने के दौरान स्थानीय मशहूर छी जङ तिब्बती जड़ी-बूटी नामक कारखाने का आह्वान कर लिन ची प्रिफैक्चर में गोंग बू य्वू थो तिब्बती चिकित्सा स्कूल की स्थापना की। गोंग बू य्वू थो तिब्बती चिकित्सा पद्धति के संस्थापक थे। इस स्कूल को तिब्बत का एकमात्र तिब्बती चिकित्सा व जड़ी-बूटी स्कूल माना जाता है और इस के सभी विद्यार्थी तिब्बती जाति के हैं। स्कूल में पढ़ाने वाले अध्यापक तिब्बत के प्रसिद्ध तिब्बती चिकित्सक या मठों में तिब्बती चिकित्सा का अनुसंधान करने वाले भिक्षु हैं। श्री ये लिन ने कहा

"मेरा विचार है कि भाषा की शिक्षा, गोंग बू वस्त्रों का विकास और तिब्बती चिकित्सा व जड़ी-बूटी स्कूल की स्थापना बहुत जरूरी है। हम सर्वतोमुखी तौर पर तिब्बती जाति की विशेष परम्परा को जारी रखने की कोशिश कर रहे हैं।"

भीतरी इलाके के फ़ू च्येन प्रांत से तिब्बत की सहायता करने आए ये लिन का विचार है कि तिब्बत के विकास के लिए विभिन्न किस्मों के सुयोग्य व्यक्तियों की आवश्यकता है। इसलिए शिक्षा का विकास भी सर्वतोमुखी तौर पर किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जातीय विशेषता व परम्परा का विस्तार एक महत्वपूर्ण बात है, लेकिन आधुनिक उच्च तकनीक में सुयोग्य व्यक्ति भी अपरिहार्य हैं। इसीलिए श्री ये लिन तिब्बत में उच्च शिक्षा के विकास को विशेष महत्व देते हैं। उन्होंने ज्यादा से ज्यादा तिब्बती विद्यार्थियों को भीतरी इलाके में पढ़ने के मौके देने के लिए फू च्येन प्रांत के शिक्षा विभाग से अनुरोध किया और कहा कि वहां के विश्वविद्यालय और अधिक तिब्बती विद्यार्थियों को दाखिला दें। उनके अनुसरा तिब्बती विद्यार्थी भीतरी इलाके में शिक्षा लेने के बाद वहां प्रगतिशील संस्कृति व विचारधारा प्राप्त कर सकेंगे। विश्विद्यालयों से स्नातक होने के बाद वे नए दृष्टिकोण से तिब्बत का विकास करेंगे। श्री ये लिन ने कहा कि तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के लिन ची प्रिफैक्चर का शिक्षा ब्यूरो ऐसे विद्यार्थियों का विशेष सहायता प्रदान करता है, जो गरीबी या रोग की वजह से पढ़ाई पूरी नहीं कर पाते। ऐसे विद्यार्थी स्थानीय शिक्षा विभाग से विशेष धनराशि पाकर विश्वविद्यालय की पढ़ाई पूरी कर सकते हैं।

श्री मी च्युन तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के लिन ची प्रिफैक्चर के शिक्षा ब्यूरो के कर्मचारी हैं। वे कभी-कभार श्री ये लिन के साथ स्थानीय कांउटी के निरीक्षण दौरे पर जाते हैं। मी च्युन ने भीतरी इलाके से आए कर्मचारी ये लिन का उच्च मूल्यांकन करते हुए कहा

"येलिन समेत भीतरी इलाके से आए कर्मचारी बहुत नरम हैं । वे हमें मदद देते हैं । तिब्बत का जीवन भीतरी इलाके से मुश्किल है, लेकिन वे मेहनत से काम करते हैं। हमें भीतरी इलाके से आए कर्चमारी बहुत पसंद हैं, और हम उनके आभारी हैं।"

निर्धारित नियम के अनुसार, तिब्बत की सहायता करने के लिए भीतरी इलाके से आने वाले कर्मचारियों वहां तीन साल काम कर सकते हैं। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के लिन ची प्रिफैक्चर के शिक्षा ब्यूरो के उप निदेशक श्री ये लिन ने कहा कि कि तीन साल तिब्बत के लिए बहुत कम हैं। सहायता का यह समय व इसके लिए पूंजी सीमित होती है। इसलिए वे अकसर यही सोचते हैं कि एक सीमित समय में तिब्बत के लिए कैसे कोई बड़ा योगदान किया जा सकता है। उन की आशा है कि तिब्बत में तीन साल रहने के दौरान वे तिब्बती लोगों के लिए ज्यादा से ज्यादा काम कर सकेंगे। उन्होंने कहा

"तिब्बत की सहायता करने के लिए अपने कार्यकाल के बाकी समय में मैं शिक्षा के क्षेत्र में अपने लक्ष्य को साकार करने की लगातार कोशिश करूंगा। भविष्य में जब भी मैं भीतरी इलाके में वापस लौटूंगा और तिब्बत के अपने जीवन को याद करूंगा, तो यही महसूस करूंगा कि यह मेरे जीवन का एक मूल्यवान भाग था। यहां हम स्वर्ग से नज़दीक है, सच्चाई के निकट हैं, गरीबी के पास हैं और अपने योगदान के भी करीब हैं। अकेलापन हो, दुख हो या सुख मैं यहां के हर पल को मूल्यवान समझता हूँ ।"

श्री ये लिन ने बताया कि अवकाश के समय वे स्थानीय तिब्बती कर्मचारियों से तिब्बती भाषा और तिब्बती गीत सीखते हैं । तिब्बत की चर्चा में वे अकसर उत्तेजित हो उठते हैं। उनका कहना है कि वे इस रहस्यमय स्थल और इसके सीधे-सादे लोगों को बहुत प्यार करते हैं।