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(GMT+08:00) 2006-02-10 13:38:46    
चीनियों को बचाने वाले कजाख दोस्त

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गत मई में कजाखस्तान में कार्यरत चीनी लोग चांग श्वी यो , वांग चिनशान और तुरसन एक दुर्घटना के शिकार हो गए और उन की जान बड़े खतरे में पड़ गई थी , उन्हें बचाने के लिए कजाखस्तान की जनता ने भरसक कोशिश की और उन्हें मौत के मुह से जिन्दा वापस लाया । अब पेश है कि उन की यह हृदयग्राही कहानी ।

श्री चांग श्वीयो चीन के सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश की एक कपंनी के मेनेजर जनरल हैं , गत मई में वे व्यापार सौदा के लिए कजाखस्तान पहुंचे । उन के साथ दुभाषिया वांग चिनशान और दोस्त तुरसन थे । सिन्चांग की राजधानी ऊरूमुची से वे तीनों सीमा चौकी पर पहुंचे , वहां से गाड़ी में सवार 500 किलोमीटर दूर स्थित कजाखस्तान के लिए रवाना हुए । तीनों में से श्री तुरसन वेवूर जाति के हैं और वर्षों से सीमांत व्यापार के व्यवसाय में जुटे हैं और कजाखस्तान की हालत से काफी अच्छे वाकिफ हैं । गाड़ी में वे चांग श्वीयो और वांग चिनशान को कजाखस्तान के बारे में जानकारी बताते रहे । आकाश में हल्की बारिश हो रही थी , पर उन का इस पर ध्यान नहीं गया । क्या जाने इसी वक्त गाड़ी की दुर्खटना हुई , इस की याद करते हुए श्री चांग श्वीयो ने कहाः

उस दिन , हल्की वर्षा हो रही थी , सड़क काफी फिसलना थी । हमारी गाड़ी के सामने एक ट्रेक्टर आ रहा था , ट्रेक्टर की खिड़की पर कीचड़ लगने से ड्राइवर की नजर बाधित हुई , हमारी गाड़ी की रफ्तार भी तेज थी , इसलिए असावधानी के कारण दोनों एक दूसरे से टक्कर हो गए । गाड़ी की दुर्घटना से ग्रस्त होने के बाद पीछे आयी गाड़ियों के लोगों ने तुरंत दुर्घटना ग्रस्त गाड़ी में बन्द हुए चांग श्वीयो और वांग चिनशान को बाहर निकाल कर बचाया।

दूरगम पहाड़ी रास्ते में सिगनल नहीं होने के कारण उन के सेलफान का काम नहीं चलता , उन्हें बचाने वाले कजाखस्तानी लोगों ने किसी तरह एक उपग्रही तेलीफान लाया और समय पर निकटस्थ अस्पताल के साथ संपर्क कायम किया , 40 मिनटों के बाद ऐंबुलेन्स गाड़ी आ गई और घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया ।

ज्यादा खून बहने की वजह से श्री वांग चिनशान की हालत गंभीर थी , वे अचेतनावस्था में पड़े , चांग श्वी यो के मुख पर चोट लगी और पेट में बड़ी दर्द आयी ,जबकि तुरसन की हालत हल्की थी । स्थानीय अस्पताल ने उन का आपातकालीन उपचार किया ।

उसी दिन की आधी रात , श्री तुरसन ने अपने कजाखस्तानी दोस्त कुजीमिन .निकोले अलेक्सीवची को तेलीफन दे कर संपर्क कायम किया । कजाखस्तानी दोस्त अलेक्सीवची ने उन की हालत जान कर तुरंत कजाख सेना से हैलिकोप्टर भेजने का आग्रह किया । अल्पसमय में ही तीनों घायल चीनियों को कजाखस्तान के एक अच्छी सुविधा युक्त अस्पताल पहुंचाया गया ।

लेकिन अस्पताल में रक्त बैंक में आरक्षित रक्त काफी नहीं था , अस्पताल के नेता ने आपात आदेश दे कर अपने चिकित्सकों से रक्तदान करने को कहा । इस के साथ कजाख सेना ने रक्तदान के लिए बीस साल उम्र वाले कुछ जवान भी भेजे । इस तरह कजाखस्तानी मित्रों की ताजा खून चीनी रोगियों के शरीर में बहने लगी । यह प्यार का रक्त है और दोस्ती का रक्त है ।

अस्पताल में इलाज पाने के दौरान श्री अलेक्सीवची ने रोज तीनों चीनी दोस्तों के सहेतमंदी के लिए प्रार्थना की थी ,उन्हों ने अपने स्वास्थ्य देखभाल वाले डाक्टर को समुन्नत उपकरण से तीनों को स्वास्थ्य लाभ देने के लिए लगाया और अस्पताल के डाक्टरों व नर्सों ने भी चीनी दोस्तों की देखभाल में कोई कसूर नहीं छोड़ा । श्री चांग श्वीयो ने अपना अनुभव बतायाः

एक बार आपरेशन के बाद मैं मुत्रमैल निकासी पर नियंत्रण करने में नाकामयाब हो गया , मेरी देखभाल करने के लिए उस रात कार्यरत नर्सों की आंखें रात भर एक क्षण के लिए भी नहीं मूदी, चंद ही मिनटों पर एक बार मेरे लिए सूखा अंडरवेवर बदलती रही । अपनी ड्युटी के लिए इतनी निस्वार्थ भावना से मैं बहुत प्रभावित हुआ और मैं उन का बेहद आभारी हूं । अस्पताल के डाक्टर और नर्स रोज हमारे की हालत मालूम करने के बाद दूसरे काम में लग जाते थे ।

इस दुर्घटना में श्री वांग चिनशान के छै दांत टूट पड़े , अस्पताल में इलाज के दौरान उन का नीचला जबड़ा लोह तार से जड़ित किया गया था , सो खाने में बड़ी कठिनाई हुई , उन की मदद के लिए अस्पताल ने उन्हें रोज स्वादिष्ट चाइना भोजन बनाया था । उन्हों ने कहाः

अस्पताल में एक कजाखस्तानी डाक्टर रोज घर में खाना बना कर लाते थे , मेरे दांत खराब हो गए थे , तो वे मेरे लिए विशेष तौर पर मुलायम खुराक बनाते थे और तरकारी बहुत महीन बनाते थे , ताकि मुझे खाने में कम मुश्किल लगता हो । वे खुद भी छोटी चमची से मुझे खिलाते थे ।

तीनों घायल चीनियों में से तुरसन कम जख्म हुए थे , वे चांग श्वीफे और वांग चिनशान की देखभाल भी करते थे और उन के और कजाखस्तानी डाक्टरों के बीच दुभाषिया का काम भी करते थे । वे सख्त मिजाज के आदमी है , पहले कभी नहीं रोए थे , किन्तु इस बार प्रभावित हो कर वे भी रो पड़े । इस की याद में उन्हों ने कहाः

जब मैं वार्ड से बाहर निकला , तो देखा कि एक नर्स की आंखों में आंसू बह रही है , मैं ने उस से रोने का कारण पूछा , तो जवाब में उस ने कहा कि उस का बेटा भी एक गाड़ी दुर्घटना में घायल हुआ और किसी दूसरे अस्पताल में आपात इलाज किया जा रहा है । मैं ने पूछा कि वे क्यों बेटा देखने नहीं गई , तो उस ने कहा कि उसे हमारे घायल चीनियों की देखभाल करना है । उस की बात सुन कर मेरा मन काफी खटा पड़ा और सहा नहीं गया , तो आंखों में एकदम आंसू बह आयी । मैं पहले कभी नहीं रोता था, पर इस बार मैं अपनी आंसू पर नियंत्रण नहीं कर सकता ।

श्री तुरसन ने अपने जेब में से तमाम पैसा निकाल कर उस नर्स को थापा और उसे अपने बेटे को देखने भेजा ।

54 वर्षीय वांग चिनशान अनेक बार विदेश गये थे , किन्तु इस बार के विदेश आवास ने उन पर अमिट छाप छोड़ी । वे कहते हैः

इस दुर्घटना की वजह से हम बहुत से विदेशी दोस्तों से परिचित हुए , वे सभी सहृद्य लोग हैं , उन्हों ने देशों व राष्ट्रों की सीमा तोड़ कर दूसरे देशों के लोगों को निस्वार्थ सहायता दी और इंसाफ व नैतिकता का परिचय किया । विदेश में हम ने नैतिकता सीखी है , जो हर समय अपने के अलावा दूसरों को मदद देने को पेश आते है । इन विदेशियों से हम पहले परिचित नहीं थे , पर उन की निस्वार्थ भावना को हम कभी नहीं भूलेंगे ।

जीवन मौत से जूझने के बाद श्री चांग श्वीफी ने स्वदेश लौटने के बाद अपने एहसानदार कुजीइमिन .निकोले अलेक्सीवसी के फोटो को अपने कार्यालय की सब से बेहतर जगह रख दिया , ताकि हमेशा उन की याद कर सकें । उन्हों ने कहाः

इंसाफ और प्यार से परिपूर्ण भावना को देश और राष्ट्र की सीमा विभाजित नहीं कर सकती , जो मन के तहे स्वःफुर्ट निस्वार्थ भावना है और निस्वार्थ वरदान है । हमें मानव में स्नेह और प्यार गहरा महसूस हुआ है ।

श्री चांग श्वीफी के अनुसार वे तीनों तय चुके हैं कि एक बार फिर कजाखस्तान जाएंगे और उन्हें बचाने और उन की देखभाल में लगे कजाखस्तानी लोगों से मिलने जाएंगे ।