• हिन्दी सेवा• चाइना रेडियो इंटरनेशनल
China Radio International
चीन की खबरें
विश्व समाचार
  आर्थिक समाचार
  संस्कृति
  विज्ञान व तकनीक
  खेल
  समाज

कारोबार-व्यापार

खेल और खिलाडी

चीन की अल्पसंख्यक जाति

विज्ञान, शिक्षा व स्वास्थ्य

सांस्कृतिक जीवन
(GMT+08:00) 2006-02-09 16:02:19    
तिब्बत किसानों व चरवाहों के लिये मकान बनवाने में दस करोड़ य्वान का अनुदान देगा

cri

मित्रो यहां बता दें कि हाल में हमें चीन के तिब्बत स्वायत प्रदेश की सरकार से खबर मिली है कि 2006 से आगामी पांच सालों में तिब्बत सरकार स्थानीय किसानों व चरवाहों के लिये मकान बनवाने के लिये हर वर्ष दस करोड़ य्वान का अनुदान देगी , ताकि समूचे स्वायत प्रदेश के 80 प्रतिशत से अधिक किसान व चरवाहे नये मकान में रह सकें ।

वर्तमान में तिब्बत स्वायत प्रदेश के विशाल किसानों व चरवाहों का जीवन खुशहाल नहीं है और उन के मकान पक्के नहीं हैं । इधर सालों में तिब्बत स्वायत प्रदेश की सरकार ने चरवाहों के लिये पक्के मकान बनवाने की परियोजना शुरू की । गत पांच सालों में इस परियोजना से दो लाख सात हजार चरवाहे परिवारों को नये मकान नसीब हुए हैं ।

मित्रो यहां बता दें कि चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के पोताला मेहल, नार्बुलिंका और सागा मठ आदि तीन महत्वपूर्ण सांस्कृतिक अवशेषों के जीर्णोद्धार की परियोजना की अस्सी प्रतिशत समाप्त हुई ।

हमाले संवाददाता को तिब्बत की राजधानी लाह्सा में आयोजित सांस्कृतिक अवशेष संबंधी कार्य सम्मेलन से खबर मिली कि इन तीन महत्वपूर्ण सांस्कृतिक अवशेषों के जीर्णोद्धार की परियोजना वर्ष 2002 के जून माह में शुरू हुई, वर्तमान में पोताला मेहस और नार्बुलिंका के प्राचीन काष्ठ निर्माण, नार्बुलिंका की भीत्ति चित्रों और सागा मठ के सांस्कृतिक अवशषों के प्रदर्शनी हॉल के जीर्णोद्धार को समाप्त किया गया ।

पता चला है कि पोताला मेहल की स्थापना सातवीं शताब्दी में हुई , जिसे तिब्बत के काष्ठ निर्माण कला और जातीय संस्कृकि की सब से बड़ी उपलब्धि मानी जाती है । नार्बुलिंका को विश्व भर में सब से बड़े पैमाने वाले और सब से अच्छी तरह सुरक्षित उद्यान निर्माण माना जाता है । पोताला मेहल और नार्बुलिंका को अलग-अलग तौर पर वर्ष 1994 और वर्ष 2001 में युनेस्को ने विश्व सांस्कृति विरासतों के नामसूचि में शामिल किया । सागा मठ तिब्बती बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण मठों में से एक है जिस में बड़ी दादात में बौद्ध सूत्रों व मुल्यवान सांस्कृति अवशेष सुरक्षित हैं ।

यहां बता दें कि इस वर्ष हम आप की सेवा में समय समय पर तिब्बत स्वायत प्रदेश से मिले खुश खबरियां बताने की कोशिश करेंगे । आप का हमारे कार्यक्रम के सुनने पर स्वागत है ।

यहां बता दें कि चीनी राष्ट्राध्यक्ष श्री हू चिन थाओ और भारतीय राष्ट्रपति श्री कलाम ने 1 तारीख को चीन-भारत मैत्री वर्ष औपचारिक रूप से शुरू होने पर एक दूसरे के नाम बधाई संदेश भेजे।

श्री हू ने बधाई संदेश में बताया कि चीन और भारत मैत्रीपूर्ण पड़ोसी देश है, दोनों देशों की जनता की मैत्री बहुत पुरानी है। राजनयिक संबंधों की स्थापना के बाद दोनों देशों के समान बढ़ावे में दोनों देशों के संबंध आगे बढ़ते रहे हैं। वर्ष 2005 में दोनों पक्षों ने जिस शांति व समृद्धि के रणनीतिक सहयोग व साझेदार संबंध स्थापित करने की घोषणा की, उस से जाहिर है कि दोनों देशों के संबंध नये विकास दौर में प्रविष्ट हो गये हैं । दोनों पक्षों ने वर्ष 2006 को चीन-भारत मेत्री वर्ष सुनिश्चित कर दिया है , जिस से दोनों देशों व दोनों देशों की जनता की अच्छे पड़ोसियों जैसे मैत्रीपूर्ण संबंध , आपसी लाभ व सहयोग व समान विकास बढ़ाने की अभिलाषा अभिव्यक्त हुई है ।श्री हू चिन थाओ ने कहा कि नये साल में चीन भारत के साथ चीन-भारत मैत्री वर्ष का फायदा उठाकर दोनों देशों के रणनीतिक सहयोग व साझेदार संबंध को चौतरफा तौर पर आगे बढ़ाएगा।

श्री कलाम ने संदेश में कहा कि चीन और भारत इन दो प्राचीन सभ्य वाले देशों के बीच बरकरार गहरे ऐतिहासिक व सांस्कृतिक सम्पर्क ने मानव जाति की प्रगति के लिये बड़ा योगदान किया। 50 सालों से पहले दोनों देशों के नेताओं ने समान रूप से शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के पांच सिद्धांत प्रवर्तित किये हैं। इधर वर्षों में भारत-चीन संबंध में उल्लेखनीय प्रगति प्राप्त हो गयी। गत वर्ष में दोनों देशों ने शांति व समृद्धि के रणनीतिक सहयोग व साझेदार संबंध की स्थापना करने का फैसला किया। भारत-चीन मैत्री वर्ष का आयोजन दोनों देशों के संबंधों का एक मील पत्थर है।

यहां बता दें कि 26 झनवरी को भारत के राष्ट्रीय दिवस की खुशी मनाने पर चीन की राजधानी पेइचिग में एक शानदार मिलन समारोह आयोजित हुआ जिस में बहुत से गण्यमान्य लोगों ने भाग लिया । हमारी संवाददाताल्यू हवी ने भी खुशी खुशी इस मिलन समारोह में भाग लिया । वहां उन्हों ने क्या देखा और क्या सुना तो वे आप को बतायेंगी । उन्हों ने एक के बाद एक अनेक रिपोटें भेजीं । आप का हमारे नियमित कार्यक्रम ( आज का तिब्बत ) के सुनने पर हार्दिक स्वागत करते हैं ।