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(GMT+08:00) 2006-02-07 12:28:29    
तिब्बत की सहायता करने वाले कर्मचारी ये लिन की कहानी

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वर्ष 2004 के जून माह में भीतरी इलाके के फ़ू च्येन प्रांत के शिक्षा ब्यूरो के अधिकारी श्री ये लिन तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की सहायता करने वाली चौथे खेप के एक सदस्य के रूप में तिब्बत पहुंचे और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के लिन ची प्रिफैक्चर के शिक्षा विभाग के उप निदेशक नियुक्त किए गए। तिब्बत आने के बाद एक साल तक उन्होंने स्थानीय शिक्षा के विकास की अथक कोशिश की। श्री ये लिन तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की शिक्षा व संस्कृति के विकास के लिए पूरा योगदान करने को तैयार हैं। आज के इस लेख में मैं आप को परिचय दूंगी तिब्बत की शिक्षा व संस्कृति के विकास में जुटे भीतरी इलाके के इस कर्मचारी का।

श्री ये लिन जोशीले स्वभाव के हैं और उन्हें संगीत बहुत पसंद है। मेरे साथ साक्षात्कार के पूर्व उन्होंने एक तिब्बती गीत गाया। श्री ये लिन ने बताया कि उन्हें तिब्बती संस्कृति व संगीत बहुत पसंद हैं। गीत गाते हुए श्री ये लिन उसकी धुन के साथ नाचे भी। इस तिब्बती गीत ने हमारी दूरी कम कर दी।

वर्ष 2004 के जून माह में श्री ये लिन भीतरी इलाके के फ़ू च्येन प्रांत से तिब्बत की सहायता के लिए पहुंचे। आम दिनों में वे तिब्बती संस्कृति के अनुसंधान में लगे रहते हैं। उन के विचार में तिब्बत का इतिहास व सभ्यता बहुत पुरानी है। तिब्बती भाषा ने इस सभ्यता को आज तक जारी रखा और यह तिब्बती संस्कृति के विकास का साधन भी है।

इधर के वर्षों में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश और भीतरी इलाके के बीच संपर्क व आवाजाही घनिष्ठ हुई। इस तरह तिब्बत में चीनी भाषा बोलने वालों की संख्या दिन ब दिन बढ़ने लगी और तिब्बती भाषा के विकास को भारी खतरे का सामना करना पड़ा। श्री ये लिन को लगता है कि तिब्बत की परम्परागत संस्कृति को बनाये रखने और इस की रक्षा करने के लिए तिब्बती भाषा की पढ़ाई को मज़बूत किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा

"जिस किसी जाति की अपनी जातीय भाषा व लिपि होती है, उस का इतिहास लंबा व सभ्यता पुरानी होती है। तिब्बती भाषा हमारी मातृभूमि की परम्परागत संस्कृति का अहम भाग है। मुझे लगता है कि तिब्बती भाषा के विकास को बरकरार रखना चाहिए। तिब्बत में प्राइमरी स्कूल से ही तिब्बती और चीनी भाषाओं का समान विकास किया जाना चाहिए । इससे विद्यार्थी तिब्बती व चीनी भाषाओं का प्रयोग कर अच्छी तरह बातचीत कर सकते हैं।"

तिब्बती भाषा की शिक्षा को महत्व देने के साथ श्री ये लिन ने तिब्बत की परम्परागत हस्तकला के विकास पर भी जोर दिया। उन के विचार में तिब्बती जाति की परम्परा और श्रेष्ठ संस्कृति को जारी रखा जाना चाहिए । तिब्बती जाति को विकास के रास्ते पर चलते हुए अपनी जातीय विशेषता को बरकरार रखना चाहिए, क्योंकि जातीय संस्कृति विश्व की संस्कृति होती है । श्री ये लिन ने बताया कि तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के लिन ची प्रिफैक्चर की गोंग बू तिब्बती जाति की अपनी विशेष वस्त्र संस्कृति है, लेकिन आधुनिक वस्त्रों के तिब्बत में प्रवेश करने और इस क्षेत्र में अनुभवी बूढ़े कलाकारों के होने से गोंग बू वस्त्रों की उत्पादन संख्या साल ब साल कम होती गयी है। तिब्बत की इस परम्परागत हस्तकला को जारी रखने के लिए श्री ये लिन लगातार कोशिश करते रहे हैं। उन के अनुरोध पर भीतरी इलाके के फ़ू च्येन प्रांत के शिक्षा विभाग ने यहां जो पूंजी लगायी, उसका प्रयोग कर लिन ची प्रिफैक्चर की लिन ची कांउटी के मिडिल स्कूल में गोंग बू वस्त्र बनाना सिखाने की कक्षा खोली गई। श्री ये लिन ने स्वयं दस हज़ार य्वान की धनराशि का अनुदान कर इस कक्षा के लिए चालीस सिलाई मशीनें खरीदीं। इस की चर्चा में उन्हों ने कहा

"मेरा विचार है कि गोंग बू वस्त्रों का विकास तिब्बती संस्कृति को जारी रखने के तरीकों में से एक है। इसलिए मैं इसको भरपूर समर्थन देता रहूंगा। अगर भविष्य में तिब्बती शैली के ये वस्त्र खत्म हुए औऱ हर कोई आधुनिक वस्त्र पहनने लगा, तो तिब्बत अपनी जातीय विशेषता खो बैठेगा।"

तिब्बती चिकित्सा और तिब्बती जड़ी-बूटी के विकास का भी बहुत पुराना इतिहास है। वर्तमान में तिब्बती चिकित्सा तिब्बत में ही नहीं विश्व भर में मशहूर है। श्री ये लिन का विचार है कि तिब्बती चिकित्सा के विकास को और गति दी जानी चाहिए। उन्होंने तिब्बत में काम करने के दौरान स्थानीय मशहूर छी जङ तिब्बती जड़ी-बूटी नामक कारखाने का आह्वान कर लिन ची प्रिफैक्चर में गोंग बू य्वू थो तिब्बती चिकित्सा स्कूल की स्थापना की। गोंग बू य्वू थो तिब्बती चिकित्सा पद्धति के संस्थापक थे। इस स्कूल को तिब्बत का एकमात्र तिब्बती चिकित्सा व जड़ी-बूटी स्कूल माना जाता है और इस के सभी विद्यार्थी तिब्बती जाति के हैं। स्कूल में पढ़ाने वाले अध्यापक तिब्बत के प्रसिद्ध तिब्बती चिकित्सक या मठों में तिब्बती चिकित्सा का अनुसंधान करने वाले भिक्षु हैं।