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(GMT+08:00) 2006-02-06 15:45:58    
चीनी फ़िल्म निर्देशक वांग श्याओ श्वाइ की कहानी

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चीन में चालीस वर्ष की उम्र के आसपास के निर्देशक छठी पीढ़ी के फिल्म निर्देशक कहलाते हैं। इन्होंने विशेष कलात्मक उपलब्यां हासिल की हैं और इन की फिल्मों ने विदेशी दर्शकों का भी बड़ा ध्यान आकृष्ट किया है। चीनी फिल्मी जगत के मशहूर निर्देशक वांग श्याओ श्वाइ चीन के छठी पीढ़ी के फिल्म निर्देशकों के प्रतिनिधि हैं। उन्होंने अनेक उच्च कलात्मक फिल्मों का निर्देशन किया है, जिन्होंने लोगों की नजर खींची है।

कुछ समय पूर्व वांग श्याओ श्वाइ द्वारा निर्देशित फिल्म "छिंग होंग" ने फ्रांस के कान फिल्म उत्सव में विशेष पुरस्कार प्राप्त किया।

फिल्म "छिंग होंग"में गत शताब्दी के सत्तर व अस्सी वाले दशक के एक साधारण चीनी परिवार की कहानी कही गयी है। छिंग होंग नामक लड़की के माता-पिता गत शताब्दी के साठ वाले दशक में तत्कालीन सरकार के आह्वान पर गरीब क्षेत्रों के निर्माण में सहायता देने के लिए शांग हाई से दक्षिण- पश्चिमी चीन के क्वेइ चो प्रांत को स्थानांतरित हुए। छिंग हांग का जन्म क्वेई चो प्रांत की राजधानी क्वेई यांग में हुआ। अस्सी वाले दशक में चीन में सुधार और खुला द्वार नीति लागू की गयी और शांग हाई शहर समृद्ध होने लगा। छिंग होंग के माता-पिता ने शांह हाई वापस लौटना चाहा। लेकिन छिंग होंग को एक स्थानीय लड़के से प्रेम हो गया था इसलिए वह शांग हाई नहीं लौटना चाहती थी। पिता ने बेटी पर नजर कड़ी की और धोखे व धमकी जैसे तरह-तरह के उपायों से उसके प्रथम प्रेम को नष्ट करने की कोशिश की। छिंग होंग के प्रेमी ने उससे बलात्कार किया। छिंग होंग ने आत्महत्या करने की कोशिश की और उस के प्रेमी को मौत की सज़ा सुनाई गयी।

फिल्म "छिंग होंग" देखने के बाद दर्शकों ने एक तरह का भारीपन महसूस किया। इस फिल्म के निर्देशक वांग श्याओ श्वाई ने अपनी अन्य फिल्मों की ही तरह इस फिल्म में भी सामाजिक सुधार के दौरान साधारण लोगों के द्वंद को अभिव्यक्त किया है। फिल्म की गति धीमी है और हर पात्र का ब्यौरेवार वर्णन किया गया है। वांग श्याओ श्वाई ने यथार्थ शैली का प्रयोग कर सफलतापूर्वक गत शताब्दी के सत्तर व अस्सी वाले दशकों के आम चीनी नागरिकों के जीवन का वर्णन किया है, जिसे पैंतीस वर्ष के ऊपर के चीनी नागरिकों की मान्यता हासिल हुई। फिल्म "छिंग होंग" की चर्चा में निर्देशक वांग श्याओ श्वाई ने कहा

"मैं लम्बे समय से इस फिल्म का शूटिंग करना चाहता था। फिल्म कॉलेज से स्नातक होने के बाद मैंने क्वेई यांग शहर को पृष्टभूमि में रख कर एक फिल्म की शूटिंग करने की तैयारी की जो मेरे व्यक्तिगत जीवन का एक भाग हो।"

उनचालीस वर्षीय वांग श्याओ श्वाई का जन्म शांग हाई में हुआ। जन्म के दो महीने बाद उनके माता-पिता उन्हें साथ लेकर शांग हाई से दक्षिण- पश्चिमी चीन के क्वेई चो प्रांत में आ बसे, इस प्रांत के निर्माण में सहायता देने के लिए। यहां उन्होंने तेरह साल बिताये। छोटी उम्र से ही वांग श्याओ श्वाई चित्र बनाने लगे थे। वर्ष 1985 में उन्होंने पेइचिंग फिल्म कॉलेज के निर्देशन विभाग में दाखिला लिया। यह समय चीनी फिल्मों के पुनरुत्थान का काल था। अनेक चीनी फिल्मों ने तब विश्व का ध्यान आकृष्ट करना शुरू किया था। पेइचिंग फिल्म कॉलेज में पढ़ने के दौरान वांग श्याओ श्वाई ने बड़ी संख्या में श्रेष्ठ देशी-विदेशी फिल्में देखीं।

वर्ष 1993 में वांग श्याओ श्वाई ने अपनी प्रथम फिल्म का निर्देशन किया। "सर्दी व वसंत में जीवन"नामक यह फिल्म दो चित्रकारों की कहानी थी। फिल्म में ये दो चित्रकार प्रेमी- प्रेमिका हैं। वर्षों से चित्र खींचते-खींचते जीवन में वे रुचि खो बैठते हैं। अंत में महिला चित्रकार विदेश जाकर किसी दूसरे के साथ शादी करती है और अकेला पुरुष चित्रकार पागल हो जाता है। इस फिल्म को ब्रिटेन की बी.बी.सी. कंपनी ने विश्व में फिल्मों के जन्म के बाद की सौ श्रेष्ठ फिल्मों में शामिल किया और यह सभी चीनी फिल्मकारों का गौरव बनी। इस के बाद वांग श्याओ श्वाई ने "अति सर्दी", "कांवर और लड़की","स्वप्न का उद्यान"और"सत्रह वर्ष की साइकिल"आदि फिल्मों का निर्देशन किया और अपनी विशेष शैली विकसित की। उन की फिल्मों में आम तौर पर सुधार के काल में साधारण चीनी नागरिकों के सुख-दुख का वर्णन है। वांग श्याओ श्वाई फिल्में लोगों की मानसिक स्थिति पर केंद्रित होती हैं और उनमें जीवन के प्रति उन का प्यार अभिव्यक्त होता है। इन फिल्मों की चीन में बड़ी बिक्री न होने के बावजूद इनका अंतरराष्ट्रीय फिल्म जगत में उच्च मूल्यांकन हुआ है। फिल्म"कांवर और लड़की" ने वर्ष 1998 में फ्रांसीसी कान फिल्म उत्सव में प्रवेश किया और"सत्रह वर्ष की साइकिल" ने 51वें बर्लिन फिल्म उत्सव में रजत पदक जीता। वर्ष दो हज़ार पांच के फ्रांसीसी कान फिल्म उत्सव में फिल्म "छिंग होंग"ने विशेष पुरस्कार हासिल किया। इस की चर्चा में वांग श्याओ श्वाई ने कहा

"यह मेरे लिए बड़ी प्रेरणा थी। मैं स्थिरता के साथ आगे विकास करूंगा। मुझे विश्वास है कि भविष्य में और पुरस्कार हासिल कर सकूंगा। इस के लिए मुझे ज्यादा कोशिश करनी होगी।"

वांग श्याओ श्वाई चीन के स्वतंत्र फिल्मी निर्देशकों में से एक हैं । वे किसी फिल्मी संस्था के अधीन नहीं हैं और अपनी शक्ति से पैसे जमा कर फिल्मों की शूटिंग करते हैं। यह बहुत मुश्किल काम है और इसके लिए बड़े साहस की आवश्यकता होती है। वांग श्याओ श्वाई कलात्मक फिल्मों का निर्देशन करने पर डटे हुए हैं। कोई दस सालों की कलात्मक खोज में उन्होंने अपनी फिल्मों में सदा व्यक्ति पर ध्यान दिया है और कलात्मक अखंडता बनाए रखने की कोशिश की। आजकल ज्यादा से ज्यादा लोग वाणिज्यिक फिल्मों पर अधिक ध्यान देते हैं, लेकिन वांग श्याओ श्वाई पहले की ही तरह अपनी फिल्मों का निर्देशन कर रहे हैं। कई बार कहा जा चुका है कि वांग श्याओ श्वाई अपनी फिल्म में भावना की अभिव्यक्ति पर ज्यादा ध्यान देते हैं और दर्शकों की प्रतिक्रिया पर नहीं। इस की चर्चा में वांग श्याओ श्वाई ने कहा

"मेरा विचार है कि फिल्म की शूटिंग में भावना की अभिव्यक्ति होनी चाहिए, लेकिन मैं दर्शकों का त्याग नहीं करता। चीनी फिल्म के विकास के सौ सालों में अनगिनत फिल्मों का उत्पादन हुआ। लेकिन लोग किसी फिल्म की कमाई पर ध्यान नहीं देते। अब ये फिल्में हमारी मानसिक संपदा बन गई हैं। इन फिल्मों के हम से दूर होने के बावजूद नागरिक इन के जरिए अपनी संस्कृति को समझ सकते हैं।"

चीन में कलात्मक फिल्म का शूटिंग करना बहुत कठिन काम है और इन फिल्मों में से अधिकांश दर्शकों के सामने प्रदर्शित नहीं हो पाती हैं। लेकिन वांग श्यओ श्वाई का कहना है कि वे कलात्मक फिल्म बनाने के रास्ते पर डटे रहेंगे। उन्हेंने कहा कि वे चीन में कलात्मक फिल्मों की खोज जारी रखेंगे, और कलात्मक फिल्मों के प्रेमियों को ऐसी और फिल्में प्रदान करेंगे ।