सुङ काल में दर्शनशास्त्र के क्षेत्र में हेतुवादी मत को प्रधानता प्राप्त थी, जिस का प्रतिनिधित्व उत्तरी सुङ के छङ हाओ और छङ ई तथा दक्षिणी सुङ के चू शी करते थे। वे लोग यह मानते थे कि न्याय या दैवी न्याय ही विश्व का मूल है और सामन्ती व्यवस्था दैवी न्याय का मूर्त रुप है, जो शाश्वत और अपरिवर्तनीय है।
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