प्राचीन काल में चाओ राज्य के निवासी छङ यांग खान के घर में एक दिन आग लगी , आग मकान की छत पर बढ़ रही थी , लेकिन उसे बुझाने के लिए घर में लकड़ी की सीढी नहीं थी , घर के सभी लोग बेहद चिंतित थे ।
छङ यांग खान ने तुरंत अपने पुत्र छङ यांग नु को युङ शी के घर सीढी लेने भेजा ।
छङ यांग नु बालावस्था से अब तक किताबें पढ़ता आ रहा था, जो किताबों का कीड़ा नाम से जाना जाता था ,अखिर में उस ने ज्ञान कितना सीखा था , इस का किसी को साफ साफ पता नहीं चला था , पर प्राचीन जमाने वाले विद्वानों का चटिल शिष्टाचार के वह जरूर पारंगत था । पिता का आदेश पाने के बाद उस ने पहले उस प्रकार का कपड़ा पह न लिया , जो दूसरे घर में मेहमान बनने के समय पहना जाता था ।
फिर वह विद्वान की ही तरह बड़े आरामदेह कदम के साथ धीरे धीरे युङ शी के घर की ओर बढ़ा । युङ शी के घर पहुंच कर उस ने तीन बार हाथ जोड़ कर नमस्ते कहे , फिर बैठक कमरे में बड़े शिष्टाचार के साथ बैठ गया । युङ शी ने समझा कि छङ यांग नु मेहमान के रूप में आया होगा , तो उस ने तुरंत उस के स्वागत सत्कार में चायपान परोसा , छङ यांग नु ने विनय से जवाबी शिष्टाचार बरताया । खाने पीने के बाद युङ शी ने पूछा कि आप इस समय हमारा घर तशरीफ लाया है , क्या कोई काम होगा ।
तभी छङ यांग नु ने आने का मकसद बताते हुए कहा , दरअसल हमारे घर पर आफत पड़ी है , मकान आग से जल रहा है , आग इतना भंयकर है कि छत पर भी चढ़ी , घर में आग बुझाने के लिए छत पर चढ़ने की सीढी नहीं है । हम लोगों के पर-पंख तो नहीं है , जिस के सहारे हम ऊपर चढ़ सके , घर वाले बेहद चिंतित हैं । सुना है कि आप के घर में सीढी है , क्या आप हमें आग बुझाने के लिए सीढी उधार दे सकते हैं ।
कहने के बाद उस ने भी बार बार हाथ जोड़ कर नमस्ते किए । छङ यांग नु की बातें सुन कर युङ शी को बड़ी चिंता आई , उस ने जमीन पर पांव टपकते हुए कहा , तुम बड़ा ऊल्लू निकला हो , जब पहाड़ पर खाना खाते समय बाघ आ धमका , तो कोई भी खाना छोड़ कर भाग जाना जानता हो , जब नदी में पांव धोते समय मगरमच्छ आ पहुंचा , तो ऐसा कोई नहीं समझता है कि अपना जूता जान से ज्यादा मूल्यवान हो । तुमहारे घर पर आग छत पर भी पहुंची है , इस समय तुम कैसा इतना अनाप शनाप शिष्टाचार कर सकते हो ।
कहते ही युङ शी पीठे पर सीढी लादे छङ यांग नु के घर की ओर दौड़ा , लेकि न वह बहुत देर आई , अब तो छङ यांग नु के घर के मकान जल कर राख रह चुके थे ।
दोस्तो , यह कथा हमें बताती है कि अलग अलग हालत में काम करने का तरीका अलग अलग होना चाहिए । खास कर आपात स्थिति में शिष्टाचार के सड़े गले तौर तरीके पर अड़े रहने से बुरा नदीजा निकल सकता है
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