चीन की संबंधित संस्थाओं ने नागरिकों के आहार में पोषक तत्वों की मौजूदगी की जांच के परिणाम में पाया कि पश्चिमी चीन के अपेक्षाकृत गरीब क्षेत्रों के लोगों के भोजन में पोषक तत्व का अभाव है, जबकि पूर्वी चीन के अमीर क्षेत्रों में लोगों के खाद्य पदार्थों में पोषक तत्व हद से ज्यादा हैं। दोनों स्थितियां लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकर है। इसलिए इस असंतुलन को दूर करने के लिए सरकार को कुछ कदम उठाने पड़ेंगे।
चीन के एक पौष्टिक आहार विशेषज्ञ श्री च्यांग चैनपींग के अनुसार हद से खाने में बहुत अधिक पोषक तत्व होने या फिर पर्याप्त पोषक तत्व न होने से स्वास्थ्य को क्षति पहुंचती है। दोनों स्थितियों कैकोट्रोफिया रोग माना जाता है जो आज चीनी नागरिकों के स्वास्थ्य का दुश्मन बन चुका है।
उन्हों ने कहा कि लोगों को जरूरत से अधिक खाना खाने की वजह से उच्च रक्तचाप,हृदय रोग, मधुमेह और बहुत ज्यादा मोटापे के रोग ग्रस लेते हैं। चीन में उच्च रक्तचाप के रोगियों की संख्या 16 करोड़ है और कुल जनसंख्या के एक तिहाई लोग मोटोपे के शिकार हैं। उधर शहरों में रहने वाले बच्चों की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है, बहुत से बच्चे हद से ज्यादा मोटे हैं और अधेड़ लोगों की रोग लगने की उम्र पहले से घट गयी है। इस विशेषज्ञ के मुताबिक चीनी लोगों के आहार का मुख्य भाग वनस्पति और मांस है और उसमें ऐसे पदार्थों की कमी है जिनमें अधिक खनिज पदार्थ होते हैं। चीन के शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों के आहार में लोहे, ओटोनाइट, जस्ते तथा विटामिन का अभाव है। दूसरी तरफ कुछ खाद्य पदार्थों के पोषक तत्व अनावश्यक प्रोसेसिंग से नष्ट हो जाते हैं।
प्रौढ़ों में में कैकोट्रोफिया होने से उनके शिशुओं का स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। चीन के ग्रामीण क्षेत्रों में 14 प्रतिशत शिशुओं का वजन मापदंड के नीचे है। वे पोषक तत्व खाने की स्थिति में नहीं हैं। आंकड़े बताते हैं कि देश के बीस करोड़ छात्रों में से चालीस प्रतिशत ओटोनाइट के अभाव के शिकार हैं। लोहे के अभाव से कुछ बच्चों को रक्ताल्पता या एनीमिया रोग हो जाता है। गरीब क्षेत्रों में कुछ छात्र कैकोट्रोफिया के कारण सूखे रोग से पीड़ित हो जाते हैं।
इस स्थिति को चीन सरकार हाथ पर हाथ रख कर नहीं देख रही है। उसने छात्रों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए सिलसिलेवार कदम उठाये हैं। मिसाल के लिए चीन सरकार की सोयाबीन योजना के तहत गरीब क्षेत्रों के छात्र हर रोज एक गिलास सोयाबीन का रस मुफ्त पीते हैं। परिणामस्वरूप इन क्षेत्रों में छात्रों में कैकोट्रोफिया पाये जाने की स्थिति में बड़ा सुधार आया है। इस के अतिरिक्त चीन सरकार ने शहरों के छात्रों के बीच दूध पीने की योजना लागू की है। प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में छात्रों को पौष्टिक भोजन दिया जाता है। इस का मूल्यांकन करते हुए पौष्टिक आहार विशेषज्ञ श्री च्यांग चैनपींग कहते हैं कि दुनिया के अनेक देशों ने दर्जनों सालों तक छात्रों को पौष्टिक भोजन की आपूर्ति करने या दूध पिलाने की योजना लागू की। चीन सरकार को भी छात्रों के स्वास्थ्य के सुधार को अपने महत्वपूर्ण विषयों में शामिल करना चाहिये।
वर्ष 2001 में चीनी सार्वजनिक पोषक तत्व विकास केंद्र की स्थापना हुई, जो नागरिकों में पोषक तत्व संबंधी जानकारी का प्रसार करने तथा संबंधित नीतियों का अनुसंधान करने के लिए जिम्मेदार है। चीनी नागरिकों के आहार में पोषक तत्वों के अभाव को दूर करने के लिए केंद्र ने विश्व के अनेक देशों में उपयोगी भोजन के उपाय अपनाने का सुझाव पेश किया। इस तरह पोषक तत्वों को आम खाद्य पदार्थों में शामिल कराया जाएगा ताकि नागरिक कम कीमत पर स्वास्थ्य के लिए उपयोगी आहार प्राप्त कर सकें।
वर्ष 2002 में उत्तर-पश्चिमी चीन के गैनसू प्रांत में चीनी सार्वजनिक पौषक तत्व विकास केंद्र ने आटेव मैदे में अतिरिक्त पोषक तत्व मिलाने की योजना लागू की। इस तरह नागरिकों को आटे-मैदे में लोहे,जस्ते तथा विटामिन आदि पोषक तत्व दिये गये। वहां के एक हजार स्वयंसेवकों ने इस विशेष आटे को खाने के परीक्षण में भाग लिया। किसान चेन क्वेलैन ने बताया कि यह विशेष आटा खाने के बाद उन के मुंह में छाले पड़ने का रोग गायब हो गया। इस परीक्षण का परिणाम घोषित होने के बाद बहुत से दूसरे किसानों ने भी यह आटा खाना शुरू किया।
इस केंद्र के एक विशेषज्ञ ने कहा कि जो आटा हम रोज़ खाते हैं, उस में विशेष पोषक तत्व मिला के तरीके से लोगों के स्वास्थ्य को उन्नत किया जा सकता है। अब चीन के अनेक प्रांतों में इस विशेष अनाज का प्रसार किया जा रहा है। अनाज के बाद खाद्य तेल, नमक तथा सोयासौस आदि में भी विशेष पोषक तत्व मिलाये जाएंगे।
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