• हिन्दी सेवा• चाइना रेडियो इंटरनेशनल
China Radio International
चीन की खबरें
विश्व समाचार
  आर्थिक समाचार
  संस्कृति
  विज्ञान व तकनीक
  खेल
  समाज

कारोबार-व्यापार

खेल और खिलाडी

चीन की अल्पसंख्यक जाति

विज्ञान, शिक्षा व स्वास्थ्य

सांस्कृतिक जीवन
(GMT+08:00) 2006-01-20 16:14:28    
रिटायर वेवूर अध्यापिका बहारगुल

cri

दोस्तो , श्रीमती बहारगुल रिटायर होने से पहले एक अध्यापिका थी , उन्हें सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश में शिक्षा का काम करते हुए 25 साल हुए । रिटायर होने के बाद वे आरामदेह अवकाश कालीन जीवन के बजाए अपनी पूंजी से एक व्यवसायी प्रशिक्षण स्कूल खोला और सिन्चांग के लोगों के लिए अपनी सेवा जारी रखी ।

तीन साल पहले , 55 वर्ष की बहारगुल नियम के अनुसार स्कूल से सेवानिवृत्त हुई । वर्षों के अध्यापिका जीवन से उन्हें गहरा अनुभव हुआ है कि सिन्चांग में व्यवसायी शिक्षा का आधार बहुत कमजोर है । बिना विशेष व्यवसायी क्षमता की हालत में बहुत से लोगों के लिए नौकरी मिलना मुश्किल पड़ता है । गहन सोच विचार कर बहारगुल ने सिन्चांग की राजधानी ऊरूमुची में एक व्यवसायी तकनीक शिक्षालय खोलने का निश्चय किया , जिस के माध्यम से तकनीक सीखने के जिज्ञासी गरीब अल्पसंख्यक जातीय लोगों को व्यवसायी प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।

शुरू शुरू में स्कूल में ऐसे दर्जनों छात्र दाखिला किए गए थे , जिन में से बहुत से लोगों की पारिवारिक आर्थिक स्थिति कठिन है और खुद वे बेरोजगार भी थे । बहारगुल ने उन की स्कूली फीस भी माफ कर दी । उन का कहना है कि हमें समाज के कल्याण के लिए कुछ तो करना ही चाहिएः

उन्हों ने कहा कि मानव को इस दुनिया में यो बेमतलब नहीं आना चाहिए , केवल स्वयं के अच्छा खाने , पहनने तथा मनोरंजन का ख्याल रखना नहीं चाहिए , मानव को समाज के लिए कुछ महत्व का काम कर देना चाहिए । जब मैं ने देखा कि मेरे स्कूल से स्नातक हुए लोगों को रोजगार मिला , तो मुझे बड़ा आनंद लगा , जो कुछ कष्ट हुआ , वह भी खास मतलब नहीं रहा ।

श्री साईर्कन बहारगुल के व्यवसायी शिक्षा विद्यालय में कभी पढ़ा था , दो बच्चों के बाप होने पर उस समय वे बेराजगार रहा था , परिवार के चार सदस्यों का जीवन 150 य्वान की मासिक सरकारी राहत सहायता पर आश्रित था । उस ने बाहरगुल के स्कूल में घरेलू विद्युत यंत्रों की रखरखाव व मरम्मत की तकनीक सीखी । खर्च बचाने के लिए वह अक्सर भूख की स्थिति में भी स्कूल जाता था ।

उस की दुभर हालत मालूम होने के बाद श्रीमती बहारगुल ने उस की स्कूली फीस माफ कर दी और समय समय पर उसे वित्तीय सहायता भी दी । बहारगुल और अन्य शिक्षकों की मदद से श्री साईर्कन ने अपने व्यवसायी तकनीक कॉर्स पूरा किया और स्नातक होने के बाद उस ने अपनी एक विद्युत यंत्र मरम्मत दुकान खोली , अब उस की दुकान बड़ी अच्छी चली और उस का जीवन भी बहुत सुधर गया ।

अगस्त 2005 में दक्षिण सिन्चांग में शिक्षा देने के दौरान श्रीमती बहारगुल को एक संयोगी मौके से पता चला कि भूकंप की आफत में जान बचे बीस अनाथ बच्चों की माध्यमिक शिक्षा आगे नहीं चल पायी , तो उन्हों ने इन अनाथों को अपने स्कूल में दाखिला किया और आगे शिक्षा पूरा करने में निस्वार्थ सहायता प्रदान की ।

ऊरूमुची में खुले तकनीक स्कूल में पढ़ने के मौके को ये बच्चे बहुत मूल्यवान समझते हैं और सभी बच्चों ने अच्छी तरह पढ़ने का वायदा किया , इस से बहारगुल बहुत प्रभावित हुई । उन्हों ने कहाः

जब मैं इन बच्चों को लेने के लिए रेलवे स्टेशन पहुंची , तो वे सभी मेरे पास आए और आंसू बहाते हुए मुझ से लिपट हुए और उन सभी ने कसम खा कर यह वायदा किया कि वे जरूर मेहनत व लगन से पढ़ें और मेरी और गृह स्थानों के लोगों की आशा पर पानी नहीं फिरने दें । इन बच्चों की यह मर्मस्पर्शी बातें सुन कर मैं बहुत प्रभावित भी हुई और दुख भी हुई । मैं अवश्य उन्हें पाल बढ़ा कर समाज के लिए सुयोग्य व्यक्ति के रूप में प्रशिक्षित करूंगी ।

अनाथ बच्चों को ऊरूमुची के अपने व्यावसायी स्कूल में दाखिला करने के बाद बहारगुल जहां कड़ाई के साथ उन्हें लगन से व्यावसायी तकनीक सीखने में प्रेरित करती हैं , वहां मां की भांति उन के जीवन का ख्याल रखती हैं । इस साल 18 साल के वेवूर युवा मावुलान ने संवाददाता से कहाः

एक दिन मुझे रक्त की कमी होने की बीमारी का पता चला , इस के इलाज के लिए तीन दिन विश्राम करना चाहिए । हमारी कुलपति बहारगुल ने अपना दूसरा काम अलग रख कर मेरे लिए दुकान से पोष्टिक आहार खरीदा और अस्पताल में तीन दिन तीन रात मेरे पास बैठे मेरा देखभाल करती रही , उन्हों ने मेरे स्वास्थ्य लाभ के लिए विशेष रूप से स्वादिष्ट खाना बनाया , रात भर मेरे पलंग के बगल में बैठे नींद ले रही। मेरे लिए कुलपति द्वारा इतना सारे परिश्रम किए जाने पर मैं इतना प्रभावित हुआ था कि कई बार रो पड़ा ।

तकनीकी प्रशिक्षण के लिए अध्यापिका बहारगुल ने बच्चों की पसंद और रूचि के अनुसार पाठ्यक्रमों का बंदोबस्त किया , उदारहण के लिए ,मावुलान को घरेलू विद्युत यंत्रों के रखरखाव में दिलचस्पी है , बहारगुल ने उसे इस तकनीक को सिखाने की कक्षा में बिठाया । दो महीनों के अल्प समय में ही मावुलान ने फ्रीजर , रंगीन टीवी सेट और वाशिंग मशीन जैसे विद्युत यंत्रों की सरल समस्याओं को हल करने की कार्यक्षमता प्राप्त की है । कुछ लड़कियां सिलाई मशीन चलाने में दिलचस्प हैं , तो बहारगुल ने उन्हें वस्त्र सिलाई का हुनर सीखने के लिए प्रोत्साहित किया।

बहारगुल ने बच्चों को प्रशिक्षित करने और उन की योग्यता को विकसित करने में जो ढेर सारे काम किए हैं , इस के बदले में बच्चों ने भावभीना आभार प्रकट किया है । 17 वर्षीय वेवूर लड़की आसिया ने बहारगुल के प्रति अपना आभार जताने के लिए एक कविता भी लिखीः

कविता का भावार्थ इस प्रकार हैः हमारे परिजन भूकंप के मलबों तले सदैव सो गए , हम अनाथ बने जो दुनिया के दुर्भाग्य रहे , किन्तु सौभाग्य यह हुआ कि कुलपति बहारगुल आयी , जो हमारे जीवन में देवी सरीखी मां बनी । आप के स्नेही बहार से हमारे दिल द्रवित हुए , जीवन की उम्मीद के साथ आप ने हमें ज्ञान भी प्रदान किया , आप के एहसान हम कभी नहीं भूलेंगे ।

पिछले तीन सालों में कुल तीन हजार 600 से ज्यादा लोगों ने बहारगुल के व्यवसायी प्रशिक्षण स्कूल में पढ़े और स्नातक हुए । तकनीकी प्रशिक्षण पाने के लिए उन्हों ने अपने लिए योग्य रोगजार पाये और उन का जीवन बहुत सुधर गए । स्कूल के सलाहकार श्री मैमातकन ने संवाददाता को बतायाः

जिन लोगों ने बहारगुल के तकनीकी प्रशिक्षण स्कूल से पढ़ने के बाद फिर नौकरी पाये है , वे अकसर उपहार ले कर बहारगुल और अन्य शिक्षकों से मिलने आते हैं , उस मौके पर असाधारण उत्साह से भरे माहौल से हम सभी बहुत प्रभावित हुए हैं , इस ने हमारे इस संकल्प को और पक्का कर दिया कि हम आगे समाज के कमजोर वर्गों को मदद देने के लिए हर संभव कोशिश करें ।

दोस्तो , अभी आप ने सुनी रिटायर वेवूर अध्यापिका बहारगुल द्वारा समाज के कमजोर वर्गों , खास कर अनाथ बच्चों को सहायता देने की दिलचस्प कहानी । हमारा समाज ऐसे ही निस्वार्थ लोगों के सक्रिय प्रयासों से ज्यादा खुशहाल और सौहार्द रहा है । हमें पक्का विश्वास है कि समाज में और बड़ी संख्या में ऐसे ही परोपकारी लोग सामने आएं ।