• हिन्दी सेवा• चाइना रेडियो इंटरनेशनल
China Radio International
चीन की खबरें
विश्व समाचार
  आर्थिक समाचार
  संस्कृति
  विज्ञान व तकनीक
  खेल
  समाज

कारोबार-व्यापार

खेल और खिलाडी

चीन की अल्पसंख्यक जाति

विज्ञान, शिक्षा व स्वास्थ्य

सांस्कृतिक जीवन
(GMT+08:00) 2006-01-20 15:34:41    
धनी साधु और गरीब साधु

cri

बहुत पहले की बात थी , एक अमीर भिक्षु और एक गरीब भिक्षु थे । एक दिन गरीब भिक्षु ने अमीर भिक्षु से कहा। 

मैं बौध धर्म के तीर्थ स्थल नान हाई जाना चाहता हूं , आप की क्या राय है । धनी भिक्षु ने जवाब में कहा , नानहाई यहां से बहुत दूर है  । 

 वहां जाने आने में कई हजार ली का रास्ता तय करना है , वहां जाने के लिए आप के पास कौन सा साधन उपलब्ध है । गरीब भिक्षु ने कहा , मेरे लिए पानी भरने का एक बोतल और खाना खाने का एक कटोरा काफी है ।

अमीर भिक्षु ने परिहाश मार कर कहा कि कुछ साल पहले मैं ने भाड़े पर एक जहाज ले कर तीर्थ नान हाई सागर जाने की ठान ली थी । 

 लेकिन धनी होने पर भी अब तक मैं ने यह तौयारी पूरी नहीं की  । तो एक बोतल और एक कटोरा के साथ आप क्या कर सकते हैं , आप के लिए नान हाई जाना दिवास्वप्न होगा ।

एक साल के बाद अमीर भिक्षु जहाज भाड़े पर लेने के लिए पैसा जुटाने में अभी भी लगा रहा था कि गरीब साक्षु नानहाई सागर की तीर्थ यात्रा पूरा कर वापस आ चुका था ।

दोस्तो , कहते हैं कि खाली संकल्प करने से ज्यादा काम आता है ठोस काम करना ।

बेमतलब का तर्क वितर्क शीर्षक नीति कथा 

 

एक दिन दोनों भाई शिकार करने घास मैदान चले गए , दूर आकाश में जंगली हंसों का एक झुंड नजदीक उड़ने आ रहा नजर आया ।

 

दोनों भाई अपना अपना तीर को राजहंस की ओर साध कर रहे थे कि बड़े भाई की बात छिड़ी , देखो , भाई , इस मौसम में जंगली हंस का मांस बड़ा ताजा और स्वादिष्ट है , उसे पानी में उबाल कर खाने से मजा आएगा । छोटा भाई ने भाई के सुझाव का विरोध किया , पालतू हंस का मांस उबाल कर पकाया जाता है , लेकिन जंगली हंस का मांस भुन कर पकाया जाने से अधिक मजेदार है । 

 

 बड़े भाई ने पके लहजे में कहा । इस बार मेरा सुझाव चलेगा , उसे आग पर भुन कर पकाया जाएगा । छोटा भाई अपनी जिद्द पर कायम रहा । इस तरह दोनों अपनी अपनी राय पर तुले रहे और आपस में वादविवाद जारी रहा । अंत में दोनों भाई वापस गांव के मुखिया के सामने जा पहुंचे ,  वृद्ध मुखिया ने उन के झगड़े को सुलझने का यह उपाय रखा कि जंगली हंस का आधा भाग उबाला जाए और आधा भाग भुन दिया जाए । दोनों भाई राजी हो गए और फिर घास मैदान वापस लौटे , इस वक्त आकाश में किसी जंगली हंस की छाया भी नहीं रह गयी।

 

दोस्तो , किसी काम को पूरा करने से पहले बेकार का तर्क वितर्क में लग जाने से यही परिणाम निकलना स्वाभाविक है । हमें खोखली विवाद से बचना चाहिए ।