आजकल अनेक लोग अपने घरों में बिल्ली और कुत्ते पाल रहे हैं, लेकिन उनमें से कई लोगों को मालूम नहीं कि पालतू पशुओं से छूत की बीमारी लगने का भी खतरा होता है। ऐसी बीमारी कैसे पालतू पशुओं से मानव तक पहुंचती है, पशु से मानव तक रोग के संक्रमण का क्या रास्ता है, इस सब के बारे में जानकारी हासिल करने की बड़ी आवश्यकता है।
चीन के पेइचिंग शहर में रहने वाले श्री छीन सांस लेते समय मुश्किल महसूस करते हैं। अस्पताल में एक्स-रे जांच के बाद उन्हें पता चला कि वे निमोनिया के शिकार हैं। डाक्टर ने श्री छीन के खून में पक्षियों के एंटीजन का पता लगाया जिसका कारण बाद में साफ हुआ। दरअसल श्री छीन के घर में पलने वाले तोते के शरीर में ऐसे विषाणु थे, जिनके श्री छीन के शरीर को प्रभावित करने से उन्हें निमोनिया हुआ।
श्री छीन की तरह पेइचिंग में बहुत से लोगों को पशु-पक्षियों में पाये जाने वाले विषाणुओं से संक्रमित होकर अस्पताल जाना पड़ता है। पता चला है कि मानव को होने वाली सौ से अधिक बीमारियों का संबंध पालतू पशुओं से है। इन में पागल कुत्ते का रोग और निमोनिया आदि काफी आम दिखते हैं। चीनी बीमारी रोकथाम केंद्र के अनुसंधानकर्ता श्री वांग का कहना है कि मानव के पशुओं में पाये जाने वाले विषाणुओं से संक्रमित होने की घटनाएं अक्सर होती रही हैं। उन्हों ने कहा कि पशुओं से मानव तक बीमारियों का फैलाव होने का खतरा हमेशा रहा है। उदाहरण के लिए वर्ष 2003 में एशिया के कुछ देशों में फैला सार्स रोग पशुओं से मानव तक गया था। दक्षिण- पूर्वी एशिया में कुछ लोग पक्षियों के फ्लू की वजह से मरे। चीनी बीमारी रोकथाम केंद्र के दूसरे अनुसंधानकर्ता श्री शांग के अनुसार पशुओं से मानव तक बीमारियों के फैलाव के कई मार्ग हैं।
विभिन्न रोगों के मानव तक फैलने के रास्ते अलग-अलग हैं। इनमें से चार प्रमुख मार्ग हैं, श्वास नली, आहारनाल , त्वचा और कीट । पक्षियों का निमोनिया श्वास नली के जरिये ही पक्षी से मानव तक फैलता है। किसी भी पक्षी से इस रोग का फैलाव होने की संभावना रहती है। बत्तख और हंस के जरिये तक यह रोग फैल सकता है।
आहारनाल के जरिये टायफायड रोग फैल सकता है। लोगों को पशुओं के मल से प्रदूषित खाद्य पदार्थ खाने के बाद ज्वर हो सकता है । टायफायड के रोगी को पेट दर्द, दस्त तथा ज्वर की शिकायत होती है। अगर कोई आदमी अक्सर पशुओं को चूमता है, तो उसे इस रोग का खतरा हो सकता है। श्लेषमा के जरिये पागल कुत्ते का रोग होने का खतरा होता है। पागल कुत्ते के काटने या बिल्ली के पंजे से चोट लगने के बाद मनुष्य के शरीर में रोग के विषाणु पहुंचते हैं। लोगों को पागल कुत्ते का रोग होनेके बाद बड़े खतरे का मुकाबला करना पड़ता है।
कीटों से मानव तक फैलने वाला एक गंभीर रोग प्लेग है। प्लेग का विषाणु चूहों के शरीर में रहता है। बिल्ली और कुत्ते के चूहे खाने पर इस रोग का विषाणु उनमें आ जाता है, लेकिन वे चूहे खाने के बावजूद स्वयं बीमार नहीं होते। पर मच्छर या अन्य कीटों के ऐसे बीमार पशुओं को काटने के बाद मनुष्य को काटने पर यह रोग मनुष्य तक पहुंचता है।
इस तरह हम पाते हैं कि पालतू पशुओं के साथ खेलते समय हमें होशियार रहने की जरूरत है। वास्तव में बहुत से लोग अपने पालतू पशुओं के विभिन्न रोगों से संक्रमित होने को लेकर सतर्क नहीं होते। पेइचिंग में रहने वाली सुश्री क्वो ने बताया कि वे हर हफ्ते अपने कुत्ते को नहलाती हैं, और इसके लिए साबुन का प्रयोग करती हैं, उन के विचार में ऐसा करना काफी है।
लेकिन वास्तव में पशु को सिर्फ नहलाना ही काफी नहीं है। लोगों को अपने पालतू पशुओं को समय-समय पर कीटाणुमुक्त भी करना चाहिए। इसके साथ ही पालतू पशुओं के दड़बे, खाल और शौच जाने की जगह की भी अक्सर सफाई की जानी चाहिये। अगर कोई पालतू पशु आसामान्य दिखता है, तो उसकी पशु अस्पताल में जांच करवानी चाहिये।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि पालतू पशुओं वाले घर बिल्कुल साफ रखे जाने चाहिये। लोगों को अपने पालतू पशुओं के साथ घनिष्ठ संपर्क नहीं रखना चाहिये। कुछ लोग अपने पालतू पशुओं को बार-बार चूमते हैं, उन के साथ एक ही पलंग पर सोते हैं और उन्हें अपने हाथ-मुंह चाटने की इजाजत करते हैं पर यह सब ठीक नहीं है। पर सब से महत्वपूर्ण बात यह है कि लोग ठीक समय पर अपने पालतू पशुओं को संक्रामक रोगों से बचाने के लिए टीके लगवायें।
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