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(GMT+08:00) 2006-01-16 15:19:34    
मशहूर चीनी फोटोग्राफ़र जाओ बो और उन के माता-पिता

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जाओ बो चीन के बहुत मशहूर फ़ोटोग्राफ़र हैं। पिछले तीस वर्षों में उन्होंने अपने माता-पिता के हज़ारों फ़ोटो खींचे, जो उन के जीवन का ब्यौरा देते हैं। जाओ बो की"मेरे माता-पिता"शीर्षक वाली फ़ोटो प्रदर्शनी की बड़ी धूम मची। चीनी मीडिया ने इस का उच्च मूल्यांकन करते हुए इसे"पूरे चीन पर प्रभाव डालने वाली प्रदर्शनी"बताया। आज के लेख कार्यक्रम में मैं आप को परिचय दूंगा इस चीनी फ़ोटोग्राफ़र का और सुनाऊंगा उस के माता-पिता की कहानी।

इस वर्ष जाओ बो ने मेरे माता-पिता नामक अपना फ़ोटो एलबम जारी किया, जिस में 120 फोटो शामिल हैं। इस से जाओ बो के माता- पिता या एक किसान दंपत्ति के तीस सालों का जीवन लोगों के सामने आता है। इसमें वे खेती करते हुए दिखते हैं, जाओ बो की मां उनके पिता की मालिश करती नजर आती हैं,अपने नन्हे पोते को चलना सीखने में सहायता करते दिखती हैं या उसे खाना खिलाते दिखती हैं। तीस सालों में इस दंपत्ति के बाल सफेद हो गये और उसका नन्हा पोता विश्वविद्यालय का छात्र बन गया। एक दंपत्ति के तीस सालों के जीवन और उसके बेटे- बेटियों की प्रेम भावना ने फोटो एलबम के दर्शकों को बहुत प्रभावित किया।

वर्ष 1998 में जाओ बो ने मेरे माता-पिता नामक फ़ोटो प्रदर्शनी आयोजित की थी और इस वर्ष प्रकाशित फ़ोटो एलबम में इस प्रदर्शनी के फोटो शामिल किये। इस प्रदर्शनी को चीन के दस से ज्यादा प्रांतों के एक हजार से ज्यादा उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रदर्शित किया गया और इसे लगभग दस हजार दर्शकों ने देखा। इसे देखकर दर्शक बड़े प्रभावित हुए। कई लोगों को ये फोटो देखने के बाद अपने माता-पिता की बड़ी याद आई और उन्होंने परिवार की गर्माहट व शक्ति एक बार फिर महसूस की। अनेक दर्शक यह प्रदर्शनी देखने के बाद अपना काम खत्म कर अपने माता- पिता को देखने घर वापस लौटे। इसने जैसे चीनी युवाओं से अपने माता-पिता का आदर करने का आह्वान किया। जाओ बो ने कहा,"मेरे माता पिता"फोटो प्रदर्शनी का इतना बड़ा प्रभाव होगा, इस का अनुमान उन्हें नहीं था। उन का कहना है

"मेरे माता-पिता ने जीवन हज़ारों साधारण लोगों की तरह का जीवन जिया। मेरे माता-पिता के चित्र देख कर उन की कहानी जानने के बाद दर्शक इसलिए प्रभावित हुए क्योंकि इनसे उन के दिल में एक बहुत कोमल याद उभरी। कई लोगों ने मुझ से कहा कि मैं ने हज़ारों बेटों-बेटियों का वह काम किया था, जो वे करना चाहते थे, लेकिन नहीं कर पाये। ऐसे मूल्यांकन के बारे में मैं ने ये फ़ोटो खींचते समय नहीं सोचा था। तब मैं सिर्फ़ अपने माता-पिता के लिए कुछ करना चाहता था और मैं ने सफलता या पुरस्कार प्राप्त करने की बात नहीं सोची थी। मैं ने तब अपने माता-पिता के प्रति गहरे प्यार से ये फ़ोटो खींचे थे।"

करीब 50 वर्षीय जाओ बो का जन्म पूर्वी चीन के शान तोंग प्रांत के ज़ी बो शहर के एक छोटे से गरीब गांव में हुआ। जाओ बो के पिता सिर्फ़ चार साल स्कूल में पढ़ सके, पर उन की आशा यही रही कि उनके बेटे-बेटी निरक्षर नहीं होंगे। जाओ बो घर में सब से छोटे थे। उन के बड़े भाई और बड़ी बहन पिता की आशा पूरी नहीं कर पाये तो वे पिता के एकमात्र आशा बन गए। 15 वर्ष की उम्र में जाओ बो अध्यापन की प्रवेश परीक्षा को पास कर दूसरे गांव पढ़ने गए। इससे पिता बहुत खुश हुए और उन्होंने तीन सौ य्वान से भी ज्यादा की रकम जाओ बो के लिए साइकिल, घड़ी व अच्छे कपड़े खरीदने में खर्च की। उस वक्त उनके पिता की मासिक आय तीन य्वान से भी कम थी।

अपने माता-पिता के प्यार को जाओ बो ने बहुत गहराई से महसूस किया। वर्ष 1974 में जाओ बो ने एक साथी कर्मचारी के पुराने कैमरे से अपने माता-पिता का पहला फोटो खींचा। जाओ बो ने कहा कि उनके पास तब तक अपने माता-पिता का कोई फ़ोटो नहीं था। इसके बाद जब भी उन के पास कैमरा होता, वे तुरंत अपने माता-पिता के फ़ोटो खींचना चाहते। जाओ बो को याद है कि पहली फ़ोटो खींचे जाने के समय उनके माता-पिता शर्माये भी। माता ने इसके लिए नए कपड़े पहने, जो त्योहार के समय पहने जाते हैं। पिता ने अपनी युवावस्था का सूट पहना। उन के लिए फोटो खींचना बड़ी भव्य रस्म थी।

इस के बाद घर में रहने के दौरान जाओ बो अपने माता-पिता के फोटो खींचने लगे। फोटो खींचने की तकनीक को उन्नत करने के लिए जाओ बो अखबारों में छपे फोटो की नकल करते और यही सोचते कि एक दिन वे एक पेशेवर फोटोग्राफ़र बन सकेंगे। वर्ष 1983 में जाओ बो ने ज़ी बो कालेज में दाखिला लिया। उन्होंने कालेज में फोटोग्राफ़र संघ की स्थापना की और अपने सहपाठियों के साथ जगह-जगह जाकर फोटो खींचने लगे। कालेज से स्नातक होने के बाद वे एक समाचार एजेंसी में फ़ोटो-संवाददाता बने। पर इस समय भी उन का अपने माता-पिता के फोटो खींचना जारी रहा और धीरे-धीरे उन के मन में यह विचार आया कि वे कैमरे के जरिए अपने माता-पिता की छवि सुरक्षित कर सकते हैं।