सिन्चांग के ऊरूमुची शहर में महा कांस्य कारीगरी कंपनी जो स्थित है , वह पाकिस्तान की कारीगरी चीजें बेचने वाली कंपनी है , कंपनी के मालिक पाकिस्तानी है , उन का नाम जामील अहमद बट्ट है , लेकिन उन की चीनी पत्नी थान य्यु येङ सिन्चांग की स्थानीय निवासी है । दोनों मिया बीवी की कंपनी ने सिन्चांग में कुल छै शाखाएं खोली हैं और उन का व्यापार बड़े गर्मागर्म से चल रहा है । तो पाक व्यापारी और चीनी मूल की पत्नी की क्या कहानी है
चीनी लोगों को पाकिस्तान की परम्परागत कारीगरी की चीजें बहुत पसंद है । इसे देख कर जामील और थान य्यु येङ दंपत्ति ने पाक कारीगरी चीजें बेचने की कंपनी खोली ।
दरअसल श्री जामील अहमद बट्ट पाकिस्तान के गुजरनवाला शहर के निवासी हैं । वर्ष 1988 के जून में तत्काल 20 वर्षीय जामील चीन के प्रति असीम जिज्ञासा लिए पहली बार चीन आये , वह अपने से कुछ साल पहले चीन आए एक पाक व्यापारी के साथ व्यापार करने लगा । वे दक्षिण सिन्चांग के काश्गर से हाथों से बुने ऊनी कालीन को दक्षिण चीन के क्वागंचो और हांगकांग में ले कर बेचते थे ।
लेकिन चीन के पश्चिमी भाग में स्थित सिन्चांग व दक्षिण भाग के विभिन्न शहरों के बीच व्यापार करने में श्री जामील को खासा असुविधा लगी , क्योंकि चीन के दक्षिण प्रांतों में मुसलमान बहुत कम हैं , वहां मुस्लिम रेस्तरां और दुकान भी कम मिलते हैं , इसलिए जामील के लिए खाने तथा लोक व्यवहार में कुछ कठिनाइयां उत्पन्न हुई , सो उस ने दक्षिण चीन को छोड़ कर केवल सिन्चांग में कैरियर चलाने का निश्चय किया , जहां चीनी मुसलमान बड़ी आबादी में रहते हैं । इस की चर्चा में श्री जामील ने चीनी भाषा में कहाः
मैं क्वांगचाओ और हांगकांग में कुल पांच साल तक ठहरा , मैं इसलिए सिन्चांग को चुना है , क्योंकि यहां मेरा पसंद भोजन मिलता है , जीवन की प्रथा भी पाकिस्तान से मिलती जुलती है ।
सिन्चांग वेवूर स्वायत्त् प्रदेश में वेवूर , ह्वी , किरगिज आदि अल्पसंख्यक जातियां रहती हैं , उन की दो करोड़ आबादी के आधा भाग इस्लाम में विश्वास रखते है । सिन्चांग में जामील के लिए व्यापार और जीवन बहुत सुविधापूर्ण साबित हुए हैं ।
श्री जामील को गहरा अनुभव हुआ है कि अगर चीन में व्यापार करना चाहते हो , तो उसे चीनी भाषा सीखना चाहिए । वर्ष 1994 में उन्हों ने सिन्चांग विश्वविद्यालय में विदेशियों के लिए विशेष रूप से खोले गए हान भाषा प्रशिक्षण स्कूल में भाग लिया । आधा साल के बाद उन का चीनी भाषा का स्तर असाधारण उन्नत हो गया । घर से दूर परदेश में रहने से जामील को कभी कभार अकेलापन भी महसूस हुआ , जब तो वे पाक व्यापारियों के आवास होटल में जाना पसंद करते थे , वहां अपने देश के लोगों के साथ बातचीत बड़ी स्नेहजनक लगती थी । होटल में वे कभी कभी दूसरों को दोभाषिया के रूप में मदद भी देते थे । एक बार होटल के बड़े हॉल में दूसरों की मदद में बातचीत का अनुवाद करने में उसे एक शब्द याद नहीं आया, तभी होटल की एक महिला कर्मचारी ने आगे आ कर जामील की मदद की । इस चीनी युवती की जोशीली मदद से जामील का ध्यान आकर्षित हुआ । जब कभी कठिनाई आयी , तो वह युवती से मदद लेने गए , धीरे धीरे उसे युवती से प्यार आया ।
युवती का नाम है थान य्यु येङ , जो होटल की कर्मचारी थी , वह अध्ययनशील है और अवकाश समय में अंग्रेजी सीखती थी । युवती रात्रि क्लास में जाती थी , तो उसे वापस लेने के लिए जामील अकसर स्कूल जाते थे । सुश्री थान य्यु येङ ने कहा कि एक बर्फीली रात , कड़ाके की सर्दी की परवाह न कर जामील फिर उसे लेने गये ।
उस रात की याद करते हुए थान य्यु यङ ने कहा कि मैं हर रात को प्रशिक्षण स्कूल जाती थी , जामील ने मुझे लेते समय कहा कि मैं तुम्हें अंग्रेजी सिखाऊंगा , मैं ने मुस्कराते हुए कहा कि आप जो सिखाते हैं , वह मेरे लिए ज्यादा उपयोगी नहीं है । उस रात बड़ी कड़ाके की सर्दी थी , स्कूल से छूटने के बाद ही मैं बस स्टोप पर चले गई , जामील दौड़ कर मेरे पास आये और पूछा कि क्यों पहले चली गई , मैं ने कहा कि मुझे कैसा मालूम हुआ कि आप यहां भी आ सके , उन्हों ने कहा कि मेरी जबान है , पूछ कर तुम्हारे पास आया हूं । इस से मुझे लगा कि हम दोनों मुहब्बत में डूबे हैं ।
चीनी युवती के लिए अपने से अलग धार्मिक विश्वास और जीवन का तौर तरीका रखने वाले पाक युवक के साथ मुहब्बत करना काफी मुश्किल था , लेकिन जामीन ने अपनी ईमानदारी और सच्चे दिल से उसे प्रभावित कर दिया । लेकिन थान का परिवार इस प्रेम ब्याह का विरोध करता था , वह परिवार की एकलौती लड़की है ,पिता उसे बहुत प्यार करते हैं , वे इस शादी का जबरदस्त विरोध करते थे ।
लेकिन थान य्यु यङ को अपने चयन पर पक्का विश्वास था , वे समझती थी कि जामीन उसका अच्छा जीवन साथी बन जाएगा । इस तरह परिवार के विरोध के बावजूद वर्ष 1997 के दिसम्बर में दोनों की शादी हुई ।
शादी के बाद सुश्री थान य्यु यङ ने अपनी होटल नौकरी का त्याग कर अपने पति जामील की मदद के लिए कंपनी में हिस्सा लिया , उन्हों ने व्यापार में ईमानदारी और साख का परिचय कर ग्राहकों से खासा विश्वास पाया और व्यापार भी अच्छी तरह चलने लगा । लेकिन इस के दौरान उन्हों ने धोखा भी खायी । वे कहती हैः
वर्ष 1998 में हमारी कंपनी जब अच्छी तरह चल रही थी , लेकिन क्या जाने एक पुराने ग्राहक ने हमारी ईमानदारी से बेजा लाभ उठाकर हमें धोखा दी थी । उस ने अपने साथ पर्याप्त पैसा नहीं लाने के बहाने से हमारा माल खरीदने को कहा , पुराने ग्राहक होने के कारण हमें उस पर विश्वास था , हमें क्या मालूम था कि हमारी कंपनी का माल भेजा तो गया , लेकिन उस का पैसा फिर कभी नहीं आया । इस से जामील दंपत्ति को 70 हजार य्वान का नुकसान पहुंचा । सुश्री थान बड़ी दुख व परेशानी में डूब गई , किन्तु जामील ने खासा उदारता दिखाई और अपनी पत्नी को तसल्ली देते हुए कहा कि नुकसान हुआ तो हुआ , हमारा व्यापार फिर अच्छा चल सकेगा ।
सुश्री थान तेज मिजाजी है , जब कोई दुख व परेशानी हुई , तो वह तुरंत जामील को बताती और मीट्ठी मिजाज वाले जामील तो हर बार उसे समझाते हुए नाखुशी को सुलझाता रहा । उन्हों ने हमें बतायाः
हम दोनों में भी कभी कभार तुतु मैं मैं हुआ , लेकिन थोड़ी देर में ही सब ठीकठाक होगा । हम दोनों एक दूसरे को समझते हैं , हम मिया बीवी के कोई विशेष अन्तरविरोध नहीं है ।
जामील की कंपनी का व्यापार लागातार विकसित होता गया , ऊरूमुची में पाक कारीगरी चीजों का सौदा करने वाले सभी व्यापारी उन दोनों को जानते हैं । सुश्री थान ने कहाः
अब हमारी कंपनी मानक तर्ज पर चल रही है , व्यापार बहुत अच्छा चला , हम ग्राहकों की मांग जानते हैं और दोनों के बीच लेनदेन बहुत आसानी से चलता है ।
व्यापार के अच्छे विकास के चलते जामील और थान य्युयङ दोनों के भाई भी उन की कंपनी में शामिल हुए । जामील के बारे में सुश्री थान के परिवारजनों का विचार भी बदला , थान के छोटे भाई की नजर में उस का यह बहनोई बहुत स्नेही , मेहनती और सुशील है । वे कहते हैः
वर्ष 1999 में जब मैं एक दुकान संभाल रहा था , मेरे बहनोई मुझे भरसक मदद देते थे, क्यों कि उस समय मेरा अनुभव कम था , वे रोज मेरी दुकान पर मदद के लिए आते थे ।
अब जामील और सुश्री थान के तीन प्यारे बच्चे हैं । बड़ा बेटा हसिनान तथा बेटी मारेयामू पाकिस्तान में पढ़ते हैं और छोटा बेटा हरिस मांबाप के पास । उन के जीवन सुख चैन की बंसी बजा रहा है ।
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