सी ती गांव से 20 किलोमीटर दूर स्थित हुंग छुन गांव भी अपने ही ढंग का है। इस गांव का आकार एक सुप्त गाय जैसा है। गांव के चारों तरफ हरे- भरे पर्वत और छायादार वृक्ष नजर आते हैं और गांव के भीतर की नालियों का पानी एकदम साफ दिखता है। अनेक नालियां कलकल करती गांव के घरों के सामने से होकर बहती हैं। गांव को चीर कर बहने वाली ये नालियां इस गांब की सब से बड़ी विशेषता हैं। गांव के अधिकतर परिवार अपने घरों में इन्हीं नालियों का पानी इस्तेमाल करते हैं।150 वर्ष से भी ज्यादा पुराना छंग ची थांग प्रागण हूंगछुन गांव के मकानों के बीच एक नमूने की तरह है।
प्रिय दोस्तो , जैसा कि आप जानते हैं कि पूर्वी चीन में स्थित ह्वांगशान पर्वत अपने अनोखे प्राकृतिक दृश्य के लिए चीन में बहुत प्रख्यात है और साल भर देशी-विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर खींचे रखता है। इस प्रसिद्ध पर्वत की तलहटी में स्थित ई श्येन नामक काउंटी है तो छोटी सी पर देखने लायक है। पूर्वी चीन के आन ह्वी प्रांत में स्थित ई श्येन काउंटी में प्राचीन वास्तुशैली वाले कोई तीन हजार छै सौ से अधिक मकान आज भी पूरी तरह सुरक्षित हैं यों ऐसा चीन में अब बहुत कम देखने को मिलता है। पहले हम आप के साथ इस कांउटी के सी ती गांव के दौरे पर गये थे । आज के हम आप को इसी सी ती गांग के बगल में स्थित हुंग छुन गांव की सैर पर ले चल रहें हैं ।
ई श्येन की विशेष भौगोलिक स्थिति की बजह से ही बहुत अधिक प्राचीन मकान बड़े अच्छे ढंग से सुरक्षित रखे जा सके हैं। इसलिये ह्वांगशान पर्वत की तलहटी में हर जगह पुरानी स्थानीय वास्तुशैली में निर्मित मकान देखे जा सकते हैं और छायादार वृक्षों के बीच खड़े सफेद दीवारों व काले खपरैलों वाले इन पुराने मकानों की अपनी अलग ही पहचान है। इस काउंटी के सी ती व हुंग छुन नामक दो गांव चीन के मिंग व छिंग राजवंशों के ग्रामीण रिहायशी मकानों के संग्रहालय माने जाते हैं। 2002 में युनेस्को ने इन दोनों गांवों को एक साथ विश्व की सांस्कृतिक विरासतों में शामिल किया।
सी ती गांव से 20 किलोमीटर दूर स्थित हुंग छुन गांव भी अपने ही ढंग का है। इस गांव का आकार एक सुप्त गाय जैसा है। गांव के चारों तरफ हरे- भरे पर्वत और छायादार वृक्ष नजर आते हैं और गांव के भीतर की नालियों का पानी एकदम साफ दिखता है। अनेक नालियां कलकल करती गांव के घरों के सामने से होकर बहती हैं। गांव को चीर कर बहने वाली ये नालियां इस गांब की सब से बड़ी विशेषता हैं। गांव के अधिकतर परिवार अपने घरों में इन्हीं नालियों का पानी इस्तेमाल करते हैं।
150 वर्ष से भी ज्यादा पुराना छंग ची थांग प्रागण हूंगछुन गांव के मकानों के बीच एक नमूने की तरह है। वह एक तत्कालीन नमक व्यापारी का निवास स्थान था। लकड़ियों से निर्मित इस मकान का क्षेत्रफल तीन हजार वर्गमीटर से अधिक है। मकान के पत्थरों व लकड़ियों पर चित्रों व मानवाकृतियों की जो सुनहरी नक्काशी की गयी है, वह बहुत सजीव लगती है। छंग ची थांग को अपनी अद्भुत भव्यता के लिए प्राचीन लोक प्रासाद के नाम से भी जाना जाता है।
छंग ची थांग का पहला कक्ष इसका सर्वश्रेष्ठ भाग माना जाता है। इसके प्रमुख द्वार के पीछे एक मध्य द्वार भी है। यह मध्य द्वार आम तौर पर महत्वपूर्ण त्यौहारों की खुशियां मनाने व आदरणीय मेहमानों का स्वागत करने के समय ही खोला जाता था, साधारण मेहमान मध्य द्वार के दोनों तरफ के छोटे द्वारों से अंदर आते थे। इन दोनों छोटे द्वारों के ऊपरी भाग पर श्यांग यानी व्यापार का शब्द अब भी अंकित है। हमारी गाइड सुश्री ली ह्वा ने उस की ओर इशारा करते हुए बताया कि व्यापार पुराने जमाने में तुच्छ कार्य माना जाता था। यह अवधारणा छंग ची थांग के मालिक को बुरी लगी। इसलिए उन्हों ने इन दोनों छोटे द्वारों के ऊपरी भाग पर व्यापार का शब्द अंकित कराया। इस का अर्थ था, चाहे आप कोई भी व्यवसाय क्यों न करते हों, मेरे घर आपको व्यापार शब्द के नीचे से गुजर कर ही आना होगा।
15 वीं से 18 वीं शताब्दी तक इस क्षेत्र के स्थानीय व्यापारी बड़े प्रभावशाली रहे। तब यहां के अधिकतर लड़के 13-14 वर्ष की उम्र में ही व्यापार करने के लिए बाहर निकल जाते थे। पर ऐसा वे केवल जीविका के लिए ही करते थे और धनी बन जाने पर सरकारी अधिकारी बनने के लालच में रहते थे।
छंग ची थांग मकान समूह की दूसरी विशेषता उसके मकानों के बीच नौ आकाश कुएं स्थापित होना भी है । दक्षिणी चीन के निवास स्थानों में मकानों के निर्माण के समय बीचोंबीच एक बड़ी खुली जगह छोड़ी जाती थी और जल निकासी का प्रबंध भी किया जाता था। इस खुली जगह को आकाश कुआं कहा जाता था। उस समय स्थानीय व्यापारियों के लिए पानी संपत्ति का प्रतीक था और आकाश से बरसने वाली वर्षा सोने की तथा आकाश से गिरने वाली सफेद बर्फ चांदी की प्रतीक थी। इस का अर्थ था कि आकाश से लगातार संपत्ति की वर्षा होती रहे और मकान के खुले कुएं तिजोरी की तरह इस संपत्ति को एकत्र करते रहें। इस तरह आकाश कुएं इर्द-गिर्द के रोशनदार व हवादार मकानों के लिए भी विशेष तौर पर स्थापित किये गये। वास्तव में ये दक्षिणी चीन में प्रचलित एक वास्तुकला का भाग थे।
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