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(GMT+08:00) 2006-01-11 16:40:50    
जुकाम के उपचार के लिए कारगर दवा का प्रयोग

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सर्दियों के दिनों में बहुत से लोग जुकाम का शिकार होते हैं। जुकाम लगने पर लोगों को सिरदर्द, ज्वर, खांसी और नाक बंद होने की शिकायत होती है और वे आम जीवन और काम में कठिनाई महसूस करते हैं।

अनेक लोग जुकाम को मामूली बीमारी समझते हैं। वे अस्पताल जाने के बजाय इसके इलाज के लिए स्वयं औषधि की किसी दुकान से दवा खरीदते हैं। लेकिन इन दुकानों पर जुकाम की अलग-अलग दवाएं बिकती हैं और गलत दवा खाने से बीमारी दूर नहीं होती, बल्कि स्वास्थ्य को क्षति पहुंचती है। इसलिए जुकाम के उपचार में दवाओं का वैज्ञानिक प्रयोग ही किया जाना चाहिये।

यहां हम आम जुकाम की चर्चा कर रहे हैं, फ्लू की नहीं। आम जुकाम में विषाणु की वजह से श्वास नली सूज जाती है। कई लोग साल में कई बार जुकाम के शिकार होते हैं। लेकिन इससे यह भी नहीं कहा जा सकता कि जुकाम कोई हल्की बीमारी नहीं है। पेइचिंग के तुंगरेन अस्पताल के डाक्टर चेन के अनुसार जुकाम का समय पर इलाज न किये जाने से शरीर के दूसरे भागों पर भी कुप्रभाव पड़ सकता है। जुकाम से प्रभावित होने वाली श्वासनली शरीर का ऊपरी भाग है, पर इससे कान, फेफड़े, दिल, यहां तक कि गुर्दे भी प्रभावित हो सकते हैं।

जुकाम की दवा का कोई साधारण नुस्खा नहीं होता, इससे लोग दवा की दुकानों से खुद दवा खरीद सकते हैं। लेकिन जुकाम की दवा चुनना कोई सरल बात नहीं है। पेइचिंग की दवा की एक दुकान की बिक्रेता सुश्री वांग के अनुसार आम तौर पर लोग जुकाम की दवा के कारगर होने तथा उस के पश्चप्रभाव पर ध्यान देते हैं। वे मशहूर कंपनियों द्वारा उत्पादित दवा खरीदना पसंद करते हैं, जबकि इन कंपनियों की दवाएं विज्ञापनों के कारण मशहूर रहती हैं। वास्तव में महत्वपूर्ण बात यह है कि लोग अपनी विशेष स्थिति के अनुसार उचित दवा चुनें।

आजकल दुकानों में जुकाम की जो दवाएं हैं उनमें आम तौर पर ज्वररोधी दवाएं, खून की नलियों को सिकोड़ने वाली दवाएं तथा अतिसंवेदनशीलता रोधी दवाएं शामिल हैं, जिनसे खांसी और बंद नाक की शिकायत दूर की जा सकती है। लेकिन जुकाम की दवाओं के अक्सर पश्चप्रभाव होते हैं। मिसाल के लिए ज्वर को दूर करने वाली जुकाम की दवा खाने से आम तौर पर जिगर और गुर्दे को क्षति पहुंचती है , दिल के रोगियों को खून की नलियों को सिकोड़ने वाली दवा नहीं खानी चाहिये और अतिसंवेदनशीलता रोधी दवा खाने से लोगों को नींद आ सकती है, इसलिए ऐसी दवा दिन में काम के समय नहीं खानी चाहिये।

बहुत से रोगी जुकाम लगने पर रोगाणुरोधी दवा खाते हैं, पर वास्तव में यह ठीक नहीं है. क्योंकि जुकाम के विषाणुओं का कारगर मुकाबला करने वाली रोगाणु रोधी दवा अभी नहीं बनाई जा सकी है। आम रोगाणुरोधी दवा जुकाम को दूर करने में अर्थहीन रहती है और गलत दवा खाने से शरीर को क्षति भी पहुंचती है। इसलिए जुकाम के साथ निमोनिया न होने पर रोगाणु रोधी दवा खाने की जरूरत नहीं है।

चीन की परंपरागत चिकित्सा पद्धति जुकाम के उपचार में बहुत कारगर साबित हुई है। परंपरागत चीनी चिकित्सा पद्धति के अनुसार जुकाम के रोगियों का रोग बलगम आने और नाक बंद होने की शिकायत के आधार पर तय किया जा सकता है। इस तरह तय रोग के मुकाबले के लिए तय दवा का प्रयोग किया जाता है।

इससे स्पष्ट है कि जुकाम के रोगियों को इलाज के लिए सबसे पहले अपने रोग की किस्म जाननी चाहिये। इससे पहले बेवजह दवा खाना ठीक नहीं है। पर अगर रोगी के शरीर का तापमान 38 डिग्री से अधिक हुआ, तो उसे जल्द से जल्द अस्पताल में भरती हो जाना चाहिये।