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(GMT+08:00) 2006-01-10 13:59:25    
लिन ची के लामालिन मठ का दौरा

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तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के लिन ची प्रिफ़ैक्चर की राजधानी बा यी के दक्षिण-पूर्वी भाग में कोई 30 किलोमीटर दूर स्थित एक छोटा सा पहाड़ है लामालिन। इस पहाड़ की तलहटी में तिब्बती बौद्ध धर्म के दो संप्रदायों के मठ हैं- लामालिन मठ और बुच्यो मठ। लामालिन मठ तिब्बती बौद्ध धर्म के निंमा यानी लाल संप्रदाय का मठ है , जबकि बुच्यो मठ करूबा यानी पीले संप्रदाय का।

लामालिन मठ का एक और नाम सांगतो बाईरी मठ है। इस मठ का मख्य भवन एक पगोडा है। तीन मंजिले मठ की कुल उंचाई 20 मीटर से ज्यादा और अंदरूनी चौड़ाई 10 मीटर से अधिक है। पहली मंजिल के बाहर के मकान में कुल 20 कोने हैं और दूसरी व तीसरी मंजिल के बाहर के मकानों में आठ कोने। पगोडे की चोटी सोने की है और उसके चारों ओर की दीवारें सफ़ेद, नीले, लाल और हरे रंग की हैं। सांगतो बाईरी मठ के निर्माण की शैली में तिब्बती और हान जाति का मेल है। ऐसा तिब्बती मठों में ज्यादा नहीं होता। मठ के तीनों ओर पहाड़ हैं और एक ओर नीयांग नदी (भारत की ब्रह्मपुत्र के चीनी भाग की शाखा ) बहती है। पगोडे की स्वर्णिम चोटी लामालिन पहाड़ के हरे वृक्षों के साथ और चमकदार लगती है ।

 पहाड़ की तलहटी के पेड़ों पर रंग-बिरंगी झंडियां रखी होती हैं जो बहुत सुन्दर लगती हैं। लामालिन पहाड़ की तलहटी में कई तिब्बती किसान रहते हैं। उन्हें सांगतो बाईरी मठ की कासी जानकारी है। स्थानीय निवासी खुनछ्याओ जाशी ने तिब्बती भाषा में बताया

"तिब्बती भाषा में सांगतो बाईरी मठ का मतलब है "कांसे के रंग के पहाड़ का मठ"या "कांस्य शिखर और पवित्र कमल मठ "। कांसे के रंग वाला पहाड़ भारतीय महाभिक्षु पद्ममसंभव के निवासस्थल का नाम है। लामालिन मठ यानी सांगतो बाईरी मठ की स्थापना तिब्बती बौद्ध धर्म के निंगमा यानी लाल संप्रदाय के प्रवर्तक सूर्जाई फूबा के शिष्य ने की। इस का इतिहास कोई 500 वर्ष पुराना है।"

हर रोज़ अनेक देशी-विदेशी पर्यटक और तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायी सांगतो बाईरी मठ के दर्शन और यहां पूजा करने आते हैं। अनेक तिब्बती बंधु मठ के बाहर सूत्र चक्र लिये सूत्र पढ़ते चक्कर काटते हैं। अनेक पर्यटक मठ के विशेष काष्ठ वास्तु का आनंद उठाने के साथ तिब्बती बंधुओं की तरह मठ के भवन का चक्कर काटते हैं और तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायियों के पूजा के वातावरण को महसूस करते हैं।

सांगतो बाईरी मठ की एक तरफ़ खड़ा है एक और मठ--बुच्यो मठ, जिस के निर्माण की शैली बिलकुल अलग है। यह तिब्बती बौद्ध धर्म के करूबा यानी पीले संप्रदाय का मठ है। बुच्यो मठ की स्थापना सातवीं शताब्दी में हुई और कोई 1300 वर्ष पुराना है। मठ में ग्यारह सिरों वाले अवलोकितेश्वर की मूर्ति की पूजा की जाती है। बुच्यो मठ और सांगतो बाईरी मठ के बीच दस-बीस मीटर की दूरी है। इन मठों के भवन के बाहर तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायी सूत्र चक्र लिये सूत्र पढ़ते चक्कर काटते हैं। तिब्बती बौद्ध धर्म के दो अलग संप्रदायो के मठों का एक ही स्थान पर रहना और हज़ारों वर्षों से सहअस्तित्व बनाये रखना एक आश्चर्यजनक बात ही है।

लामालिन पर्यटन क्षेत्र के प्रधान श्री जाशी ने बताया कि हर वर्ष मई से अक्तूबर माह तक तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की यात्रा करने वालों की संख्या सब से ज्यादा होती है। इस दौरान हर रोज़ लगभग तीन- चार सौ पर्यटक यहां आते हैं। पहले लामालिन पहाड़ की यात्रा करने वाले आम तौर पर क्वोग तुंग व फ़ूच्येन प्रांतों से आते थे, लेकिन इधर के वर्षों में चीन के भीतरी इलाके विशेष कर कान सू, छिंग हाई, हनान प्रांत और शिंग च्यांग स्वायत्त प्रदेश के पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है। पहाड़ की तलहटी में लामालिन मठ का तिब्बती शैली का रेस्त्रां भी है। पर्यटक और तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायी यहां तिब्बती खाना खा सकते हैं और आराम कर सकते हैं । अनेक विदेशी पर्यटक भी यहां सोंगतो बाईरी और बुच्यो मठ का दौरा करने आते हैं। लामालिन पर्यटन क्षेत्र के प्रधान श्री जाशी ने कहा

"यहां आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़ती जा रही है। हर वर्ष यह लगभग एक हज़ार से ज्यादा रहती है। कुछ विदेशी लोग मठ के रेस्त्रां में घी पीते हैं, तिब्बती नूडल खाते हैं और तिब्बती वीडियो देखते हैं और खूब मज़ा लेते हैं।"

लिन ची में प्राचीन दा ज और सांगतो बाईरी व बुच्यो मठों के अलावा अन्य कई मठ भी देखने योग्य हैं। लिन ची प्रिफ़ैक्चर की राजधानी बा यी से 120 किलोमीटर दूर स्थित एक सुन्दर पठारी झील है , जिस का नाम है बा सोंग त्सो। इस झील का दौरा हम पहले के कार्यक्रम में कर चुके हैं। झील के केंद्र में खड़े द्वीप पर भी एक मठ खड़ा है-त्सोजोंग मठ । इस मठ की स्थापना 13 वीं शताब्दी के मध्य में तिब्बती बौद्ध धर्म के निंग मा संप्रदाय के महाभिक्षु सांग जे लिन बा ने की। यह कोई 600 सौ वर्ष पुराना है। मठ में भारतीय महाभिक्षु पद्मसंभव की मूर्ति की पूजा होती है। हर वर्ष बड़ी संख्या में तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायी यहां आकर पूजा करते हैं और सूत्र पढ़ते इसके चक्कर काटते हैं।

अगर आप चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की यात्रा करने आ रहे हैं तो लिन ची प्रिफ़ैक्चर का दौरा जरूर करें। यहां आप तिब्बती बौद्ध धर्म के विभिन्न संप्रदायों की विभिन्न शैली के मठ देख सकते हैं । यहां आप तिब्बती बौद्ध धर्म की गहरी धार्मिकता भी महसूस करेंगे। तिब्बत की पवित्र भूमि लोगों का दिल स्वच्छ करती है ।

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